भीलवाड़ा। हर थानेदार की चाहत शहर के थाने में तैनाती की रहती है, लेकिन भीलवाड़ा जिले में भीमगंज पुलिस थाने का मामला हो तो वहां जल्दी से कोई नहीं जाना चाहता है। यहां थानेदारों को नियुक्ति के साथ ही यह चिंता सताने लगती है कि वह कितने दिन थाने की कमान संभाल पाएगा? पिछले चार वर्ष के दौरान इस थाने में 13 प्रभारी बदल दिए गए।
अति संवेदनशील थाना
भीमगंज थाना अति संवेदनशील क्षेत्र के दायरे में आता है। त्योहारों एवं अन्य आयोजनों के दौरान आला पुलिस अधिकारी भीमगंज पुलिस थाने में डेरा डाले रहते हैं। विजयदशमी पर्व पर शुक्रवार को पुलिस अधीक्षक राघवेन्द्र सुहास थाने में मौजूद रहे और वहीं से वे मुख्यमंत्री कार्यालय एवं प्रदेश के आला अधिकारियों के सम्पर्क में रहे। यही कारण है कि इस थाने ने गत चार वर्ष में दो-चार नहीं, वरन 13 प्रभारी देखे हैं। इसके अलावा यहां दो बार ऎसे अवसर भी आए जब सहायक उप निरीक्षक भी कार्यवाहक थाना प्रभारी रहे हैं।
साल में दर्जन से अधिक मामले
थाना क्षेत्र में गत एक वर्ष के दौरान सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने वाली एक दर्जन से अधिक वारदात हो चुकी हैं। मंगला चौक व बहाला में आए दिन मारपीट, तोड़फोड़ व हमले की घटनाएं आम बात है। पूर्व में विहिप के जुलूस पर पथराव के बाद दो व्यक्ति पर जानलेवा हमले की घटना से माहौल गरमा उठा था। इस इलाके में छोटी-छोटी बातें भी बड़ा रूप ले लेती है।
लम्बा कार्यकाल 13 माह का
भीमगंज पुलिस थाने के प्रभारी के कार्यकाल का थाने में लगा बोर्ड बयां करता है कि 10 सितम्बर 2010 को चौकी से पुलिस थाने में क्रमोन्नत हुए थाने में चार वर्ष के दौरान सर्वाधिक लम्बा कार्यकाल उपनिरीक्षक नेमीचंद चौधरी का रहा। उन्होंने यहां एक वर्ष छह दिन का कार्यकाल पूरा किया।
व्यवस्था सर्वोपरि है
शांति एवं कानून व्यवस्था सर्वोपरि है। थाना प्रभारी बदलना प्रशासनिक व्यवस्थाओं का हिस्सा है। भीमगंज थाना क्षेत्र शहर के मध्य होने से यहां अधिकारियों की मौजूदगी कई मायने में बेहतर रहती है।
राघवेन्द्र सुहास, पुलिस अधीक्षक भीलवाड़ा -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें