लखनऊ। अगर कोई बालिग लड़का और लड़की एक दूसरे से प्रेम करते हैं और शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने के परिणाम को जानते हैं तो प्रेम संबंध के दौरान बनाए गए शारीरिक संबंध को रेप की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।
यूपी में इलाहाबाद की एक जिला अदालत ने शादी के नाम पर सेक्स करने और फिर बाद में शादी से मुकरने के एक मामले पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया है।
अपर जिला एवं सत्र जज वकार अहमद अंसारी ने आरोपी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे आरोप मुक्त कर दिया। उन्होंने टिप्पणी की कि प्रेम संबंध के दौरान प्रेमी जोड़े भावनाओं के वशीभूत होकर ऎसे संबंध बना लेते हैं, जबकि समाज या कोई धर्म इसकी अनुमति नहीं देता है। अगर बाद में वह बालिग लड़की या महिला रेप का आरोप लगाए तो उसे उचित नहीं कहा जा सकता है।
क्या था मामला?
योगेश नाम के युवक पर उसकी प्रेमिका ने अगस्त 2012 में रेप का मामला दर्ज कराया था। इस पर पुलिस ने योगेश के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया।
कोर्ट ने दिसंबर में तय आरोपों पर मामले की सुनवाई शुरू कर दी। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने आरोपी को दोषी नहीं माना और उसे आरोपों से बरी कर दिया।
गौरतलब है कि शादी के नाम पर रेप के मामलों में इजाफा हुआ है, ऎसे में यह फैसला आना काफी चौंकाने वाला हो सकता है।
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