जिसे पत्नी बताया, उसे खरीदकर लाया था
जयपुर। खरीद-फरोख्त कर लाई गई महिला को पत्नी बताया और जब वह गायब हुई तो एफआईआर दर्ज करा दी।
दो साल पहले दर्ज हुए मामले में सात जनों की गिरफ्तारी भी हो गई। इस पर भी पिछले साल कथित पति ने बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर कर दी। मामला हाईकोर्ट में पहुंचा तो राज खुला, स्वयं को पति बता रहा याचिकाकर्ता को ससुराल वालों का नाम-पता ही नहीं पता।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबवानी व न्यायाधीश वी.एस. सिराधना की खंडपीठ ने इसे मानव तस्करी का मामला मानते हुए याचिका पर आदेश दिया कि महिला गायब होने की एफआईआर में याची सीकर के नीम का थाना की ढाणी टेटरवाल निवासी रोहिताश का नाम भी शामिल हो, आवश्यक हो तो उसकी गिरफ्तारी की जाए।
बच्चे को चाइल्ड होम अथवा किसी रिश्तेदार को सौंपा जाए। पुलिस से कहा, रोहिताश के जमानत प्रार्थना-पत्र पेश करने पर संबंधित कोर्ट में हाईकोर्ट का यह आदेश पेश किया जाए। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को वापस लेने की अनुमति नहीं देने का आदेश भी दिया है। अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी।
साढ़े चार लाख में खरीदी
पुलिस के अनुसार रोहिताश के पिता ने दलालों से संपर्क कर साढ़े चार लाख रूपए में भरतपुर जिले की एक युवती को शादी के लिए खरीदा था। बच्चा होने के बाद माया देवी चली गई, इस पर रोहिताश ने गुमशुदगी दर्ज कराई थी।
जांच में खुला राज
हाईकोर्ट में थानाधिकारी रविंद्र सिंह ने बताया कि रोहिताश पत्नी मायादेवी को खरीद कर लाया था। उसे न सास-ससुर का नाम पता है और न ही पत्नी के रिश्तेदारों को जानता है।
अतिरिक्त महाधिवक्ता ब्रह्मानंद सांदू ने कोर्ट से कहा, इस मामले में याचिकाकर्ता पर संदेह के पुलिस के पास पुख्ता प्रमाण हैं। जबकि रोहिताश के वकील विकास जाखड़ ने कहा कि याची को ससुराल वालों की जितनी जानकारी थी वह पुलिस को बता चुका है।
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