इतिहास के पन्नों में चांद के लिए कई कहानियां लिखी गई मगर सबसे अनूठी कहानी आज ही के दिन 21 जुलाई 1969 को लिखी गई जबकि अमरीकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रमा की धरती पर अपना पहला कदम रखा। नील आर्मस्ट्रांग का यह कदम चांद की जमीन पर न केवल उनका पहला कदम था बल्कि मानव जाति का भी पृथ्वी से बाहर पहला कदम था। इसके पहले अमरीका तथा यूएसएसआर (तत्कालीन अविभाजित रूस) के बीच अंतरिक्ष में कौन पहले पहुंचेगा की रोचक प्रतिस्पर्धा चल रही थी। इस दौड़ में तत्कालीन रूस आगे चल रहा था।
पृथ्वी से बाहर किसी सजीव (जानवर और मानव दोनों) को भेजने का रिकॉर्ड केवल रूस के नाम था परन्तु अमरीका द्वारा भेजे गए अंतरिक्ष यान अपोलो 11 ने नई ऊंचाई छूते हुए मानव जाति के लिए खोज की एक नई राह खोल दी। अपोलो 11 का प्रक्षेपण 16 जुलाई 1969 को किया गया था। प्रक्षेपण के ठीक पांच दिन बाद 21 जुलाई 1969 को अपोलो 11 चन्द्रमा की सतह पर उतरा।
यान के सतह पर उतरने के बाद नील आर्मस्ट्रांग ने अपना पहला कदम चन्द्रमा पर रखा। उन्होंने वहां की धरती से कुछ सैम्पल भी उठाए तथा फोटोग्राफ्स लिए। नील आर्मस्ट्रांग तथा उनके सहयात्री एडविन ने अमरीकी राष्ट्रपति निक्सन का संदेश पढ़ा, "हम यहां मानव जाति की तरफ से शांति का संदेश लेकर आए हैं।"
इस ऎतिहासिक क्षण को अमरीकी टेलीविजन पर लाइव टेलीकास्ट किया गया जिसके साथ अमरीकी राष्ट्रपति का भाषण भी दिखाया गया। चन्द्रमा तक पहुंचने की इस दौड़ में जीतने के बाद अमरीका, रूस और दुनिया के अन्य विकसित देशों में अंतरिक्ष में खोज की एक अंतहीन दौड़ शुरू हुई जो वर्तमान में पृथ्वी से बाहर सभ्यता की खोज करने में जुटी हुई है।
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