महात्मा बुद्ध की एक आदत थी, वह प्रवचन देने के बाद अंत में तीन बार कहते अपना अपना काम करो। एक बार महात्मा बुद्ध के प्रिय शिष्य आनंद ने बुद्ध से यह प्रश्न किया कि प्रभु आप हमेशा प्रवचन के अंत एक ही बात तीन बार क्यों कहते हैं कि 'अपना अपना काम करो'। महत्मा बुद्ध ने कहा कि प्रवचन में हर दिन कुछ नए लोग होते हैं जिन्हें समझाने के लिए यह एेसा करना जरुरी है।
शिष्य के चेहरे को देखकर बुद्ध को लगा कि शिष्य उनकी बातों से संतुष्ट नहीं हुआ। इसलिए बुद्ध ने आनंद से कहा कि आज के प्रवचन में एक चोर, एक साधु आैर एक वेश्या शामिल हुई थी। तुम जाकर सुबह उनसे मिल लो
एक बार की बात है महात्मा बुद्ध संध्या के समय प्रवचन दे रहे थे। एक वेश्या भी प्रवचन सुनने वालों के बीच में आकर बैठ गई। बुद्ध जानते थे कि सभा में एक वेश्या भी बैठी है। और वह इस ओर किसी प्रकार का ध्यान दिए बिना प्रवचन देते रहे।
बुद्ध ने जब अपनी बात कह ली और सभा समाप्त होने लगी तो बुद्ध ने तीन बार यह वचन दुहराया कि अपना अपना काम करो। सभा सामाप्त हुई सभी अपने अपने घर लौट गए। वेश्या ने बुद्ध के अंतिम वचन को गांठ बांधकर रख लिया और जाकर महफिल सजाने में जुट गई। वेश्या ने उस रात अति उत्तम नृत्य किया। राजे महाराजे ने खूब धन लुटाए। इसके बाद वेश्या ने तय किया कि वह फिर कभी नृत्य नहीं करेगी क्योंकि उसे एक रात में इतना धन प्राप्त हो गया था कि उसे फिर उसे नृत्य करने की जरुरत नहीं थी।
वेश्या ने बुद्ध के वचनों को सांसारिक रुप में लिया था लेकिन बुद्ध के कहने का तात्पर्य था। मानव जीवन मुक्ति प्राप्ति के लिए मिला है। अपना यह काम करो ईश्वर का ध्यान करते हुए उसमें लीन हो जाओ। बुद्ध के इस विचार को उस साधु ने समझा था जो बुद्ध की उसी सभा में बैठा बुद्ध के वचनों को सुन रहा था। बुद्ध ने कहा है मनुष्य को हमेशा अपना काम करते रहना चाहिए। अपना कर्तव्य पालन करने वाले का कभी अहित नहीं होता।
शिष्य के चेहरे को देखकर बुद्ध को लगा कि शिष्य उनकी बातों से संतुष्ट नहीं हुआ। इसलिए बुद्ध ने आनंद से कहा कि आज के प्रवचन में एक चोर, एक साधु आैर एक वेश्या शामिल हुई थी। तुम जाकर सुबह उनसे मिल लो
एक बार की बात है महात्मा बुद्ध संध्या के समय प्रवचन दे रहे थे। एक वेश्या भी प्रवचन सुनने वालों के बीच में आकर बैठ गई। बुद्ध जानते थे कि सभा में एक वेश्या भी बैठी है। और वह इस ओर किसी प्रकार का ध्यान दिए बिना प्रवचन देते रहे।
बुद्ध ने जब अपनी बात कह ली और सभा समाप्त होने लगी तो बुद्ध ने तीन बार यह वचन दुहराया कि अपना अपना काम करो। सभा सामाप्त हुई सभी अपने अपने घर लौट गए। वेश्या ने बुद्ध के अंतिम वचन को गांठ बांधकर रख लिया और जाकर महफिल सजाने में जुट गई। वेश्या ने उस रात अति उत्तम नृत्य किया। राजे महाराजे ने खूब धन लुटाए। इसके बाद वेश्या ने तय किया कि वह फिर कभी नृत्य नहीं करेगी क्योंकि उसे एक रात में इतना धन प्राप्त हो गया था कि उसे फिर उसे नृत्य करने की जरुरत नहीं थी।
वेश्या ने बुद्ध के वचनों को सांसारिक रुप में लिया था लेकिन बुद्ध के कहने का तात्पर्य था। मानव जीवन मुक्ति प्राप्ति के लिए मिला है। अपना यह काम करो ईश्वर का ध्यान करते हुए उसमें लीन हो जाओ। बुद्ध के इस विचार को उस साधु ने समझा था जो बुद्ध की उसी सभा में बैठा बुद्ध के वचनों को सुन रहा था। बुद्ध ने कहा है मनुष्य को हमेशा अपना काम करते रहना चाहिए। अपना कर्तव्य पालन करने वाले का कभी अहित नहीं होता।
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