मंगलवार, 13 मई 2014

अपने आप ठीक होगी मोबाइल की टूटी स्क्रीन!

वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने एक ऎसे नए प्लास्टिक तैयार किया है जो अपनी टूट-फूट की खुद ही मरम्मत कर लेगा यानी अगर आपके मोबाइल फोन की स्क्रीन टूट जाए या फिर आपका टेनिस रैकेट टूट जाए, तो वह अपनी मरम्मत खुद ही कर लेगा।
कैसे होगा संभव

self healing plastic mimics blood clotting 
यह पॉलीमर तीन सेमी चौड़ी दरारों के खुद ही भर देगा, यह खोज खून के जमने की प्रक्रिया से प्रेरित है। इसमें सूक्ष्म नलिकाओं यानी कोशिकाओं का एक जाल होता है, जो दरार वाली जगह को भरने के लिए जरूरी रसायन पहुंचाता है।

इसे तैयार किया है यूनिवर्सिटी आफ इलिनॉय के इंजीनियरों ने। वैज्ञानिक पिछले कई दशकों से ऎसे प्लास्टिक की कल्पना कर रहे हैं, जो इंसानी त्वचा की तरह अपने घाव खुद भर सके।

ये होगा फायदा
इससे पानी की पाइप और कार की बोनट में आई दरार अपने आप बंद हो जाएगी। सैटेलाइट अपने नुकसान की खुद मरम्मत कर सकेंगे। लैपटॉप और मोबाइल फोन की टूटी हुई इलेक्ट्रॉनिक चिप अपनी समस्याएं अपने आप सुलझा लेंगी।

पहली बड़ी सफलता यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय को 2001 में मिली थी। प्रोफेसर स्कॉट व्हाइट और उनके साथियों ने एक पॉलीमर में सूक्ष्म कैप्सूलों को मिलाया। इन कैप्सूलों में मरम्मत में काम आने वाला द्रव भरा हुआ था।

जब भी इस पदार्थ में दरार आती थी तो रसायन का स्त्राव होता था और दरारें भर जाती थी। हालांकि इस तरह के प्लास्टिक या पॉलीमर भी केवल छोटी-मोटी दरारों को ही ठीक कर सकते हैं।

प्रोफेसर व्हाइट कहते हैं, यह छोटे-मोटे नुकसान को अपने आप ठीक करने में सक्षम है लेकिन बड़े नुकसान के मामले में अलग दृष्टिकोण की जरूरत है। यही वजह है कि बड़ी टूट-फूट को ठीक करने के लिए प्रोफेसर व्हाइट और उनकी टीम ने इंसानी शिराओं और धमनियों से प्रेरित एक नए तरह का नलिका तंत्र डिजाइन किया है।

ऎसे होता काम
इसमें टूट-फूट वाली जगह पर सूक्ष्म नलिकाओं का एक नेटवर्क मरम्मत करने वाले रसायन ले जाता है। इसमें रसायन दो अलग-अलग धाराओं से आते हैं।
यह रसायन दो चरणों में दरारों को भरता है। इसके तहत पहले दरार में गाढ़ा तरल पदार्थ भरा जाता हैं।

यही पदार्थ बाद में सख्त होकर सूख जाता है और मजबूत संरचना बनाता है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि 35 मिलीमीटर से अधिक मोटी दरार को 20 मिनट में भरा जा सकता है और तीन घंटे के अंदर प्रभावित मशीन को फिर से काम में लाया जा सकता है।

परीक्षणों से पता चला है कि टूटी हुई वस्तु को 62 फीसदी तक दुरूस्त किया जा सकता है। इस नए पदार्थ के निर्माण से भविष्य के उन पॉलीमरों का रास्ता साफ होगा, जो बंदूक की गोली, बम या रॉकेट से हुई क्षति की मरम्मत खुद कर सकें। -

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें