जालोर। राजस्थान में सोलहवीं लोकसभा के लिए पहले चरण में सत्रह अप्रेल को होने वाले चुनाव में जालौर संसदीय सीट पर पूर्व केन्द्रीय गृह मंत्री सरदार बूटा सिंह इस बार प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस एवं बीजेपी के उम्मीदवारों को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। भाजपा ने मौजूदा सांसद देवजी एम पटेल पर फिर भरोसा जताया हैं जबकि कांग्रेस ने नया उम्मीदवार पूर्व विधायक उदय लाल आंजना को चुनाव मैदान में उतारा हैं।
इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी सहित इस क्षेत्र से कुल सोलह उम्मीदवार अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं। राजनीतिक जीवन में पचास वर्ष से भी अधिक दबदबा रखने वाले एवं पूर्व राज्यपाल बूटा सिंह के इस बार भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने से मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है और वह दोनों प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए कड़ी चुनौती बन गए हैं। बूटा सिंह अब तक आठ बार सांसद रह चुके हैं और जिसमें वह वर्ष 1984, 1991, 1998 एवं 1999 में कांग्रेस के टिकट पर चार बार जालोर से सांसद चुने गए हैं। हालांकि इसके बाद वर्ष 2004 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव हार गए थे। बाद में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया।
गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिंह को टिकट नहीं दिया और वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा जिसमें भाजपा के देवजी पटेल से करीब चालीस हजार मतों से हार गए। इसके बावजूद सिंह ने हार नहीं मानी और इस बार इस क्षेत्र से फिर निर्दलीय के रूप में ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस गत लोकसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रही संध्या चौधरी को इस बार टिकट नहीं दिया और गत विधानसभा चुनाव हार चुके आंजना को मौका दिया गया हैं लेकिन आठ विधानसभा वाले जालोर में इस बार सात भाजपा के विधायक हैं जबकि एक विधानसभा सीट कांग्रेस के पास हैं ऎसे में आंजना की चुनावी नैया पार होना आसान नहीं होगा।
इसके अलावा गत विधानसभा चुनावों से चल रही मोदी लहर एवं वयोवृद्ध एवं कद्दावर नेता बूटा सिंह के चुनाव मैदान में होने से यह राह और भी मुश्किल नजर आ रही हैं। उधर, भाजपा के देवजी पटेल दूसरी बार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं लेकिन इस क्षेत्र में चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके और पिछले दो चुनावों कड़ी टक्कर दे रहे बूटा सिंह उनके लिए कड़ी चुनौती हैं। हालांकि गत विधानसभा में ऎतिहासिक जीत एवं युवाओं का मोदी की ओर झुकाव होने से पटेल और बूटा सिंह के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा हैं। कांग्रेस प्रत्याशी श््री आंजना विधायक रह चुके हैं लेकिन उन पर गत दिनों दुष्कर्म के आरोप भी लगे थे।
इस क्षेत्र से इनके अलावा बसपा के ओटाराम एवं बहुजन मुक्ति पार्टी के चिमनाराम चुनाव मैदान में अपने किस्मत आजमा रहे हैं लेकिन इस बार इनसे मतदाताओं पर कोई खास प्रभाव पड़ता नजर नहीं आ रहा हैं। क्षेत्र में अब तक हुए पन्द्रह लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक नौ बार कांग्रेस काबिज रही हैं। जिसमें सर्वाधिक चार बार बूटा सिंह, वर्ष 1957 में सूरज रतन दमानी, सन् 1962 में हरीश चंद्र माथुर, वर्ष 1971 में एन के संघी, वर्ष 1980 में वृद्धा राम पुकलवाडिया तथा सन् 1996 के लोकसभा चुनाव में परसराम मेघवाल ने एक बार चुनाव जीता।
इसी तरह भाजपा ने तीन बार यहां से चुनाव जीता जिसमें वर्ष 1989 में कैलाश मेघवाल, सन् 2004 में सुशीला एवं गत लोकसभा चुनाव में देवजी पटेल एक बार चुनाव जीतने वालों में शामिल हैं। इनके अलावा वर्ष 1967 में स्वतंत्र पार्टी के डीन एन पालोडिया, वर्ष 1977 में जनतापार्टी के हुकम राम तथा वर्ष 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में भवानी सिंह ने भी इस क्षेत्र से प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। जालोर में अब तक किसी भी राजनीतिक दल के बड़े नेताओं की चुनाव सभा नहीं हुई और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं उपाध्यक्ष राहुल गांधी तथा भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सभाए होने की संभावना हैं जिससे चुनावी माहौल गरमाने की उम्मीद हैं।
इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी सहित इस क्षेत्र से कुल सोलह उम्मीदवार अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं। राजनीतिक जीवन में पचास वर्ष से भी अधिक दबदबा रखने वाले एवं पूर्व राज्यपाल बूटा सिंह के इस बार भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने से मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है और वह दोनों प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए कड़ी चुनौती बन गए हैं। बूटा सिंह अब तक आठ बार सांसद रह चुके हैं और जिसमें वह वर्ष 1984, 1991, 1998 एवं 1999 में कांग्रेस के टिकट पर चार बार जालोर से सांसद चुने गए हैं। हालांकि इसके बाद वर्ष 2004 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव हार गए थे। बाद में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया।
गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिंह को टिकट नहीं दिया और वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा जिसमें भाजपा के देवजी पटेल से करीब चालीस हजार मतों से हार गए। इसके बावजूद सिंह ने हार नहीं मानी और इस बार इस क्षेत्र से फिर निर्दलीय के रूप में ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस गत लोकसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रही संध्या चौधरी को इस बार टिकट नहीं दिया और गत विधानसभा चुनाव हार चुके आंजना को मौका दिया गया हैं लेकिन आठ विधानसभा वाले जालोर में इस बार सात भाजपा के विधायक हैं जबकि एक विधानसभा सीट कांग्रेस के पास हैं ऎसे में आंजना की चुनावी नैया पार होना आसान नहीं होगा।
इसके अलावा गत विधानसभा चुनावों से चल रही मोदी लहर एवं वयोवृद्ध एवं कद्दावर नेता बूटा सिंह के चुनाव मैदान में होने से यह राह और भी मुश्किल नजर आ रही हैं। उधर, भाजपा के देवजी पटेल दूसरी बार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं लेकिन इस क्षेत्र में चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके और पिछले दो चुनावों कड़ी टक्कर दे रहे बूटा सिंह उनके लिए कड़ी चुनौती हैं। हालांकि गत विधानसभा में ऎतिहासिक जीत एवं युवाओं का मोदी की ओर झुकाव होने से पटेल और बूटा सिंह के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा हैं। कांग्रेस प्रत्याशी श््री आंजना विधायक रह चुके हैं लेकिन उन पर गत दिनों दुष्कर्म के आरोप भी लगे थे।
इस क्षेत्र से इनके अलावा बसपा के ओटाराम एवं बहुजन मुक्ति पार्टी के चिमनाराम चुनाव मैदान में अपने किस्मत आजमा रहे हैं लेकिन इस बार इनसे मतदाताओं पर कोई खास प्रभाव पड़ता नजर नहीं आ रहा हैं। क्षेत्र में अब तक हुए पन्द्रह लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक नौ बार कांग्रेस काबिज रही हैं। जिसमें सर्वाधिक चार बार बूटा सिंह, वर्ष 1957 में सूरज रतन दमानी, सन् 1962 में हरीश चंद्र माथुर, वर्ष 1971 में एन के संघी, वर्ष 1980 में वृद्धा राम पुकलवाडिया तथा सन् 1996 के लोकसभा चुनाव में परसराम मेघवाल ने एक बार चुनाव जीता।
इसी तरह भाजपा ने तीन बार यहां से चुनाव जीता जिसमें वर्ष 1989 में कैलाश मेघवाल, सन् 2004 में सुशीला एवं गत लोकसभा चुनाव में देवजी पटेल एक बार चुनाव जीतने वालों में शामिल हैं। इनके अलावा वर्ष 1967 में स्वतंत्र पार्टी के डीन एन पालोडिया, वर्ष 1977 में जनतापार्टी के हुकम राम तथा वर्ष 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में भवानी सिंह ने भी इस क्षेत्र से प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। जालोर में अब तक किसी भी राजनीतिक दल के बड़े नेताओं की चुनाव सभा नहीं हुई और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं उपाध्यक्ष राहुल गांधी तथा भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सभाए होने की संभावना हैं जिससे चुनावी माहौल गरमाने की उम्मीद हैं।
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