बाड़मेर हरीश चौधरी को जमानत बचाने के लिए दिलाए वोट
कांग्रेस प्रत्यासी हरीश चौधरी को कांग्रेस के परंपरागत मतदाताओ ने उतने ही वोट किये जिससे उनकी जमानत बच जाये ,कांग्रेस के दिग्गज नेताओ ने हरीश चौधरी की पहले ही हर मन ली थी। कांग्रेस नेता कर्नल सोनाराम को किसी भी सूरत में रोकना चाहते थे। इसीलिए हरीश चौधरी को मुकाबले में बनाये रखा ताकि जाट वोट बंट जाये तथा कुछ कांग्रेस के परंपरागत वोट भी मिले। यही हुआ।
कांग्रेस और भाजपा के वोटो का ध्रुवीकरण होने से समीकरण गड़बड़ा गए ,जसवंत सिंह को हराने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने विश्वश्नबीय मंत्रियो और जातिवार विधायको की पूरी फौज बाड़मेर जैसलमेर लगा राखी थी यहाँ की की सरकारी सेवा में काम कर रहे बाड़मेर जैसलमेर के अधिकारियो और कर्मचारियों को अवकाश देकर भेजा गया ताकि वो भाजपा उम्मीदवार की मदद कर सके। वसुंधरा राजे ने जितना जोर जसवंत के खिलाफ भरा जसवंत समर्थक और अधिक मजबूत होकरडटे रहे जसवंत दिन बी दिन मजबूत होते गए ,हरीश चौधरी को कई मुश्किलो का सामना करना पड़ा। नामांकन से पहले चर्चा दिल्ली से सार्वजनिक हो गयी की कांग्रेस जसवंत सिंह को समर्थन दे सकती हे इसीलिए अपने उम्मीदवार को नामांकन से रोका गया ,हालांकि बाद में उन्होंने नामांकन भरा भी ,बाद में राहुल गांधी की बाड़मेर सभा एकाएक निरस्त कर दी जिससे इस चर्चा को बल मिला की राहुल गांधी जसवंत सिंह की मदद कर रहे ,हैं राहुल की सभा निरस्त होने के साथ कांग्रेसी जसवंत के साथ आ गए।
जाट मतदाताओ का भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण
बाड़मेर जैसलमेर के तीन लाख जाट मतदाता हैं ,भाजपा ने नए नवेले कर्नल सोनाराम में शुरुआत में यही माहौल बनाया की जाट मतदाता भाजपा के साथ एक तरफा हैं जिसके चलते मुस्लिम मेघवाल मतदाता हरीश चौधरी से छिटक गए ,कॉंगेस्स कार्यकर्ता जसवंत खेमे में दिखाई देने लगे। हरीश चौधरी ने दम भरा मगर कामयाब नहीं हो पाये। उन्हें अपने नेताओ का साथ नहीं मिला ,अशोक गहलोत की जाती के माली मतदाता भी जसवंत के समर्थन में आ गए जिससे स्पष्ट होगया की राहुल और अशोक गहलोत कांग्रेस में नई खिचड़ी पका रहे हैं।
जाट मतदाताओ के कर्नल सोनाराम के पक्ष में एक जुट होने की खबरों से अन्य जातियों के मतदाता भाजपा के खिलाफ होते गए। जिसका विपरीत असर पड़ा। हरीश चौधरी को जाट बाहुल्य क्षेत्रो के आलावा मुस्लिम ,मेघवाल और कांग्रेस के परंपरागत मतदाताओ का साथ मिला।
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