वडोदरा। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार तथा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के "शादीशुदा" होने का खुलासा होते लोकसभा चुनाव के घमासान में मुख्य विपक्षी कांग्रेस और अन्य विरोधी दलों को "मुद्दा" मिल गया है।
इस बीच गुरूवार को उनके परिजनों ने इस मुद्दे पर विस्तृत सफाई दी है। ज्ञातव्य है कि जनवरी 2001 में भी राजकोट दो विधानसभा सीट पर उपचुनाव में जीत के बाद मोदी के मुख्यमंत्री बनने पर कांग्रेस ने उनके विवाह को मुद्दा बनाते हुए पर्चे वितरित किए थे।
मोदी के बड़े भाई सोमभाई मोदी ने गुरूवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी देश सेवा में लगे हैं और आज भी परिवार से अलिप्त है। चालीस-पचास साल पूर्व हुई उनकी शादी मात्र औपचारिकता बन कर रह गई थी क्योंकि उन्हीं दिनों उन्होंने देश सेवा के लिए सांसारिक भोग विलास को छोड़ते हुए गृहत्याग कर दिया था। उन्होंने यह कहते हुए मोदी का बचाव किया कि उन्होंने इनकार ही कब करा कि वे शादीशुदा नहीं है।
उन्होंने कहा है कि उनके माता पिता भी कम पढ़े लिखे और गरीब थे। उन्होंने तत्कालीन रूढियों के अनुरूप बर्ताव करते थे इसलिए छोटी सी उम्र में मोदी की शादी करा दी गई। सोमभाई मोदी ने कहा कि उनका पूरा परिवार देशवासियों से हाथ जोड़ कर विनती करता है कि मोदी के बचपन की इस घटना को आज की उनकी पद प्रतिष्ठा के आधार पर मूल्यांकित ना करें।
उन्होंने इस मामले में विरोधियों की टीका-टिप्पणी को स्वाभाविक बताते हुए कहा कि इस घटना को एक गरीब और रूढिवादी परिवार की तत्कालीन परिस्थितियों के संदर्भ में देखा जाए।
वडोदरा लोकसभा सीट पर नामांकन के साथ दिए हलफनामे में पहली बार खुद के शादीशुदा होने की बात स्वीकार करने से राजनीतिक गलियारों में तूफान मच गया और महिलाओं की सहानुभूति बटोरने के लिए विरोधी मोदी की स्वीकारोक्ति को एक चुनावी मुद्दा बनाने के लिए विरोधी जुट गए हैं।
पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे मोदी (63) ने अपने नामांकन दस्तावेजों में बुधवार को पत्नी के स्थान पर जशोदाबेन का नाम लिखा। अब से पहले 2001, 2002, 2007 और 2012 में चार बार विधानसभा चुनावों के नामांकन में उन्होंने अपने वैवाहिक स्थिति के कॉलम को रिक्त छोड़ दिया था।
उनके नामांकन पत्रों में वैवाहिक स्थिति के कॉलम को रिक्त छोड़ने को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को गत नवंबर में खारिज करते हुए उच्चतम न्यायालय ने ऎसे मामलों को आयोग के क्षेत्राधिकार की बात करार दिया था। आयोग ने इस बार नामांकन पत्र के सभी कॉलम को भरने की ताकीद की थी। बताया जाता है कि मोदी ने इसी वजह से विस्तृत कानूनी सलाह के बाद हलफनामे में अपने विवाहित होेने का उल्लेख किया है।
ज्ञातव्य है कि लगभग 19 साल की उम्र में जशोदाबेन से शादी के बाद से ही मोदी का कथित तौर पर उनसे कोई नाता नहीं रहा है। उनके गृहनगर वडनगर से लगभग 35 किमी दूर ब्राह्मणवाड़ा गांव की जशोदाबेन अब एक सेवानिवृत्त शिक्षिका हैं। पहली बार मोदी ने खुद के शादीशुदा होने की बात औपचारिक तौर पर स्वीकार की है।
इस बीच गुरूवार को उनके परिजनों ने इस मुद्दे पर विस्तृत सफाई दी है। ज्ञातव्य है कि जनवरी 2001 में भी राजकोट दो विधानसभा सीट पर उपचुनाव में जीत के बाद मोदी के मुख्यमंत्री बनने पर कांग्रेस ने उनके विवाह को मुद्दा बनाते हुए पर्चे वितरित किए थे।
मोदी के बड़े भाई सोमभाई मोदी ने गुरूवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी देश सेवा में लगे हैं और आज भी परिवार से अलिप्त है। चालीस-पचास साल पूर्व हुई उनकी शादी मात्र औपचारिकता बन कर रह गई थी क्योंकि उन्हीं दिनों उन्होंने देश सेवा के लिए सांसारिक भोग विलास को छोड़ते हुए गृहत्याग कर दिया था। उन्होंने यह कहते हुए मोदी का बचाव किया कि उन्होंने इनकार ही कब करा कि वे शादीशुदा नहीं है।
उन्होंने कहा है कि उनके माता पिता भी कम पढ़े लिखे और गरीब थे। उन्होंने तत्कालीन रूढियों के अनुरूप बर्ताव करते थे इसलिए छोटी सी उम्र में मोदी की शादी करा दी गई। सोमभाई मोदी ने कहा कि उनका पूरा परिवार देशवासियों से हाथ जोड़ कर विनती करता है कि मोदी के बचपन की इस घटना को आज की उनकी पद प्रतिष्ठा के आधार पर मूल्यांकित ना करें।
उन्होंने इस मामले में विरोधियों की टीका-टिप्पणी को स्वाभाविक बताते हुए कहा कि इस घटना को एक गरीब और रूढिवादी परिवार की तत्कालीन परिस्थितियों के संदर्भ में देखा जाए।
वडोदरा लोकसभा सीट पर नामांकन के साथ दिए हलफनामे में पहली बार खुद के शादीशुदा होने की बात स्वीकार करने से राजनीतिक गलियारों में तूफान मच गया और महिलाओं की सहानुभूति बटोरने के लिए विरोधी मोदी की स्वीकारोक्ति को एक चुनावी मुद्दा बनाने के लिए विरोधी जुट गए हैं।
पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे मोदी (63) ने अपने नामांकन दस्तावेजों में बुधवार को पत्नी के स्थान पर जशोदाबेन का नाम लिखा। अब से पहले 2001, 2002, 2007 और 2012 में चार बार विधानसभा चुनावों के नामांकन में उन्होंने अपने वैवाहिक स्थिति के कॉलम को रिक्त छोड़ दिया था।
उनके नामांकन पत्रों में वैवाहिक स्थिति के कॉलम को रिक्त छोड़ने को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को गत नवंबर में खारिज करते हुए उच्चतम न्यायालय ने ऎसे मामलों को आयोग के क्षेत्राधिकार की बात करार दिया था। आयोग ने इस बार नामांकन पत्र के सभी कॉलम को भरने की ताकीद की थी। बताया जाता है कि मोदी ने इसी वजह से विस्तृत कानूनी सलाह के बाद हलफनामे में अपने विवाहित होेने का उल्लेख किया है।
ज्ञातव्य है कि लगभग 19 साल की उम्र में जशोदाबेन से शादी के बाद से ही मोदी का कथित तौर पर उनसे कोई नाता नहीं रहा है। उनके गृहनगर वडनगर से लगभग 35 किमी दूर ब्राह्मणवाड़ा गांव की जशोदाबेन अब एक सेवानिवृत्त शिक्षिका हैं। पहली बार मोदी ने खुद के शादीशुदा होने की बात औपचारिक तौर पर स्वीकार की है।
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