नई दिल्ली। दो कश्मीर पण्डित जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता और ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी से मिले थे। समाचार पत्र द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक 22 मार्च को दो कश्मीरी पण्डित गिलानी से मिले थे।
इनके नाम हैं संजय सर्राफ और एमएल मट्टू। समाचार पत्र ने जम्मू कश्मीर के खुफिया सूत्रों के हवाले से यह दावा किया है। संजय सर्राफ रामविलास पासवान की पार्टी (लोकजनशक्ति पार्टी)से जुड़े हुए हैं। सर्राफ लोजपा की यूथ विंग के अध्यक्ष हैं। एमएल मट्टू पूर्व विधायक हैं। मट्टू कश्मीर पण्डितों की राजनीति में सक्रिय हैं।
गिलानी ने शुक्रवार को दावा किया था उनसे मोदी के दो दूत मिले थे। दोनों कश्मीरी पण्डित थे। गिलानी ने दोनों की पहचान बताने से इनकार कर दिया था। गिलानी ने कहा था कि मुलाकात गोपनीयता का आश्वासन दिए जाने के बाद 22 मार्च को हुई थी। भाजपा ने गिलानी के दावे को खारिज किया था। समाचार पत्र के मुताबिक सर्राफ ने कबूल किया है कि चार हफ्ते पहले वह श्रीनगर में गिलानी से मिले थे।
हालांकि सर्राफ ने कहा,मुलाकात गिलानी के तेजी से गिरते स्वास्थ्य को लेकर जताई गई चिंता के चलते हुई थी। सर्राफ ने कहा,हालांकि हमारी पार्टी(लोकजनशक्ति पार्टी)एनडीए का हिस्सा है। बकौल सर्राफ मैं भाजपा की ओर से कोई संदेश लेकर नहीं गया था और न ही कभी ऎसा करूंगा। मैं गिलानी से एक बार नहीं बल्कि दर्जन बार मिल चुका हूं।
पासवान को भी गिलानी से बात करने के लिए ले गया था। मेरा इरादा था कि गिलानी उन नामों का खुलासा करे जो उनसे मिले थे। मैंने गिलानी से मेरा नाम क्लीयर करने को कहा था। सर्राफ लंबे वक्त तक गिलानी के सहयोगी रहे हैं। सर्राफ सार्वजनिक सभाओं में गिलानी के साथ मंच साझा कर चुके हैं।
सर्राफ ने गिलानी के कट्टपंथ सहयोगी मुश्ताक अहमद बट्ट की रिहाई के लिए पिछले साल प्रचार भी किया था। मुश्ताक अहमद कश्मीर में हिंसक भीड़ को एकत्रित करने के आरोप में जेल में हैं। 2010 में कश्मीर में हिंसा हुई थी। गिलानी से जुड़े राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक सर्राफ ने गिलानी से समर्थन मांगा था। सर्राफ अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान श्रीनगर से चुनाव लड़ना चाहते हैं,इसलिए उन्होंने गिलानी से समर्थन मांगा था। हालांकि सर्राफ ने इससे इनकार किया है।
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