जोधपुर। लोकसभा टिकट नहीं मिलने से आहत पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता जसवंत सिंह ने शनिवार को कहा है कि उन्होंने निदर्लीय उम्मीदवार के रूप में बाड़मेर से चुनाव लड़ने का फैसला किया है और वे सोमवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगे। उन्होंने हालांकि अभी तक पार्टी नहीं छोड़ी है और कहा है कि वे अगला कदम उठाने से पहले अपने सहयोगियों के साथ विचार-विमर्श करेंगे।
दार्जिलिंग संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे 76 वर्षीय भाजपा नेता कांग्रेस से हाल में पार्टी में शामिल हुए कर्नल सोनाराम को बाड़मेर सीट का प्रत्याशी बनाए जाने से काफी आहत हुए हैं।
नहीं ली पार्टी से किसी ने खोज खबर
ऎसा बताया जा रहा है कि जसवंत द्वारा पार्टी छोड़ने के बारे में 48 घंटे की समयसीमा तय किए जाने के बावजूद किसी ने भी अभी तक उनसे संपर्क नहीं साधा है। जबकि अपनी अवहेलना से आहत हुए जसवंत सिंह की दिली इच्छा थी कि पार्टी की तरफ से उनसे इस विषय पर बातचीत की पहल की जाए।
राजनाथ की टिप्पणी का दिया कड़ा जवाब
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की उनकी सेवाओं का उपयुक्त ढंग से उपयोग करने की टिप्पणी का कड़ा जवाब देते हुए जसवंत ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने इस मानसिकता का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि मैं कोई फर्नीचर का टुकड़ा नहीं कि जब चाहो तब हटा दो।
शब्दों के पीछे असम्मान
जसवंत सिंह ने कहा कि इन शब्दों की श्ृंखला के पीछे के बारे विचार अहंकार और असम्मान से परिपूर्ण हैं। राजस्थान में जसवंत सिंह समर्थकों की ओर से नरेंद्र मोदी का पोस्टर फाड़े जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अगर पोस्टर फाड़े गए हैं, तब मैं समझता हूं कि यह प्रदर्शित करता है कि क्या हो रहा है।
राजस्थान से गहरा नाता
1960 के दशक में जसवंत सिंह को पहली बार राजस्थान के कद्दावर नेता और उपराष्ट्रपति रहे दिवंगत भैरोसिंह शेखावत ने ही जनसंघ में शामिल किया था और उन्हें ही जसवंत का पॉलिटिकल मेंटर माना जाता है। 1980 में राज्यसभा सदस्य बनने के बाद के आने वाले सालों में जसवंत सिंह ने सफलता पूर्वक अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में दो बार वित्त मंत्री और एक बार एक्स्टरनल अफेयर मिनिस्ट्री का कार्यभार भी संभाला।
राजस्थान के अजमेर में चर्चित मेया कॉलेज से पढ़ चुके जसवंत भारतीय सेना में एक अफसर के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
-
दार्जिलिंग संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे 76 वर्षीय भाजपा नेता कांग्रेस से हाल में पार्टी में शामिल हुए कर्नल सोनाराम को बाड़मेर सीट का प्रत्याशी बनाए जाने से काफी आहत हुए हैं।
नहीं ली पार्टी से किसी ने खोज खबर
ऎसा बताया जा रहा है कि जसवंत द्वारा पार्टी छोड़ने के बारे में 48 घंटे की समयसीमा तय किए जाने के बावजूद किसी ने भी अभी तक उनसे संपर्क नहीं साधा है। जबकि अपनी अवहेलना से आहत हुए जसवंत सिंह की दिली इच्छा थी कि पार्टी की तरफ से उनसे इस विषय पर बातचीत की पहल की जाए।
राजनाथ की टिप्पणी का दिया कड़ा जवाब
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की उनकी सेवाओं का उपयुक्त ढंग से उपयोग करने की टिप्पणी का कड़ा जवाब देते हुए जसवंत ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने इस मानसिकता का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि मैं कोई फर्नीचर का टुकड़ा नहीं कि जब चाहो तब हटा दो।
शब्दों के पीछे असम्मान
जसवंत सिंह ने कहा कि इन शब्दों की श्ृंखला के पीछे के बारे विचार अहंकार और असम्मान से परिपूर्ण हैं। राजस्थान में जसवंत सिंह समर्थकों की ओर से नरेंद्र मोदी का पोस्टर फाड़े जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अगर पोस्टर फाड़े गए हैं, तब मैं समझता हूं कि यह प्रदर्शित करता है कि क्या हो रहा है।
राजस्थान से गहरा नाता
1960 के दशक में जसवंत सिंह को पहली बार राजस्थान के कद्दावर नेता और उपराष्ट्रपति रहे दिवंगत भैरोसिंह शेखावत ने ही जनसंघ में शामिल किया था और उन्हें ही जसवंत का पॉलिटिकल मेंटर माना जाता है। 1980 में राज्यसभा सदस्य बनने के बाद के आने वाले सालों में जसवंत सिंह ने सफलता पूर्वक अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में दो बार वित्त मंत्री और एक बार एक्स्टरनल अफेयर मिनिस्ट्री का कार्यभार भी संभाला।
राजस्थान के अजमेर में चर्चित मेया कॉलेज से पढ़ चुके जसवंत भारतीय सेना में एक अफसर के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
-
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें