बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

फतवे थोपे नहीं जा सकते : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा, मौलवियों की ओर से जारी फतवे लोगों पर थोपे नहीं जा सकते। सरकार को ऎसे फतवे मानने से इनकार करने वाले लोगों को उत्पीड़न से बचाना चाहिए।
एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, फतवे मानना या न मानना लोगों पर निर्भर करता है। दारूल कजा व दारूल इफ्ता जैसी संस्थाओं का काम राजनीतिक-धार्मिक मसला है।

अदालतों को तभी दखल देना चाहिए जब उनके फैसलों से किसी के अधिकारों का हनन हो रहा हो। कोर्ट ने कहा, जब एक पुजारी दशहरे की तिथि बताता है तो वह किसी को उसी दिन दशहरा मनाने को बाध्य नहीं कर सकता।

याचिकाकर्ता की ओर से फतवे को असंवैधानिक बताने पर कोर्ट ने कहा, यदि कोई उसे मानने को बाध्य करता है तो हम सुरक्षा कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा, कुछ फतवे जनहित में भी जारी किए गए हो सकते हैं।

यह था मामला
एक लड़की को अपने शौहर को सिर्फ इसलिए छोड़ना पड़ा, क्योंकि उसे फतवा जारी कर ससुर के साथ रहने को कहा गया था, जिसने उससे दुष्कर्म किया।

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