पंजाब की औद्योगिक इकाइयों द्वारा अशोधित अपशिष्ट एवं सीवेज छोडा जा रहा
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने पंजाब के मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल को पत्र् लिखकर बताया है कि सतलुज एवं इसकी सहायक नदियों में पंजाब की औद्योगिक इकाइयों द्वारा अशोधित अपशिष्ट एवं सीवेज छोडा जा रहा है। यह पानी राजस्थान के लोगों के लिए बहुत ही नुकसानदायक है।
उन्होंने इसके लिये जिम्मेदार औद्योगिक इकाइयों एवं स्थानीय निकायों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह करते हुए बताया कि पंजाब की ओर से औद्योगिक अपशिष्ट एवं सीवेज को बिना शोधन के निरन्तर रूप से सतलुज एवं इसकी सहायक नदियों में बहाये जाने के कारण इनका पानी अत्यधिक प्रदूषित हो गया है।
उन्होंने बताया कि हरिके बैराज से नहरों के माध्यम से छोडे जाने वाले प्रदूषित पानी के कारण इन्दिरा गांधी फीडर में पानी की गुणवत्ता को लेकर राजस्थान सरकार बेहद चिन्तित है क्योंकि पश्चिमी राजस्थान के 8 जिलों में इस फीडर का पानी पेयजल के रूप में उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह दूषित पानी स्वास्थ्य के लिये अत्यधिक हानिकारक है। इसके कारण इस क्षेत्र् के लोग जल जनित बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।
राजस्थान सरकार ने इस संबंध में बार-बार पंजाब सरकार से इस मामले में आग्रह किया है लेकिन समस्या जस-की-तस बनी हुई है। नवम्बर,2012 में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्र्ण बोर्ड ने पंजाब से निकलने वाली नहरों के पानी की गुणवत्ता की जांच कर अपनी रिपोर्ट में पंजाब प्रदूषण नियंत्र्ण बोर्ड को इस संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिये थे। इन सुझावों पर तुरन्त कार्यवाही करना जरूरी है।
उन्होंने इसके लिये जिम्मेदार औद्योगिक इकाइयों एवं स्थानीय निकायों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह करते हुए बताया कि पंजाब की ओर से औद्योगिक अपशिष्ट एवं सीवेज को बिना शोधन के निरन्तर रूप से सतलुज एवं इसकी सहायक नदियों में बहाये जाने के कारण इनका पानी अत्यधिक प्रदूषित हो गया है।
उन्होंने बताया कि हरिके बैराज से नहरों के माध्यम से छोडे जाने वाले प्रदूषित पानी के कारण इन्दिरा गांधी फीडर में पानी की गुणवत्ता को लेकर राजस्थान सरकार बेहद चिन्तित है क्योंकि पश्चिमी राजस्थान के 8 जिलों में इस फीडर का पानी पेयजल के रूप में उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह दूषित पानी स्वास्थ्य के लिये अत्यधिक हानिकारक है। इसके कारण इस क्षेत्र् के लोग जल जनित बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।
राजस्थान सरकार ने इस संबंध में बार-बार पंजाब सरकार से इस मामले में आग्रह किया है लेकिन समस्या जस-की-तस बनी हुई है। नवम्बर,2012 में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्र्ण बोर्ड ने पंजाब से निकलने वाली नहरों के पानी की गुणवत्ता की जांच कर अपनी रिपोर्ट में पंजाब प्रदूषण नियंत्र्ण बोर्ड को इस संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिये थे। इन सुझावों पर तुरन्त कार्यवाही करना जरूरी है।
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