सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

सीमा पर शहादत को 14 साल से भूलाया



झुंझुनूं। सेना में सबसे अधिक जांबाज देने वाले राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक परिवार अपने सपूत की शहादत के 14 साल बाद भी सरकारी घोषणाओं और सुविधाओं से महरूम है। प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद शहीद के आश्रितों ने फिर से उम्मीदें पालना शुरू कर दिया है कि शहीद पैकेज के जरिए उनकी भी कोई सुध लेगा।



उल्लेखनीय है कि जिले के सूरजगढ़ क्षेत्र के जयसिंवास गांव के जाबांज अमर चन्द्र जांगिड़ कारगिल युद्ध में 28 दिसम्बर 1999 को शहीद हो गए थे। लेकिन शहादत के 14 साल बाद भी शहीद के परिजन सरकार व सैनिक कल्याण विभाग की और से सहायता का इंतजार कर रहे है। शहीद के आश्रितों को सरकार की और से मिलने वाले शहीद पैकेज का आज भी इंतजार है।


इतलौते बेटा का सफना भी फौजी बनना


शहीद के परिजन सरकार व सरकार के प्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगा चुके है लेकिन न्याय नहीं मिला है। शहीद का एकलौता पुत्र विकास अपने पिता की शहादत के समय सिर्फ पांच वर्ष का था जो अब बालिग हो चुका है और अपने रिश्तेदारों की मदद से इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। विकास के अनुसार वह भी अपने पिता की तरह देश की सेवा का जज्बा दिल में रखता है और सेना में भर्ती होकर अपने पूरे गांव का नाम रोशन करना चाहता है।


वीरांगना के भरोसे घर खर्च,बेटे की शिक्षा


शहीद की वीरांगना सुशीला देवी अपने इकलौते बेटे की उच्च शिक्षा व घर खर्च के लिए पशु पालन व खेती करती है। सुशीला सहित उसके परिजनों को आज भी न्याय की आशा है। सरकारें बदलती रही पर शहीद के परिजनों की किसी ने सुध नहीं ली अब जब राजस्थान में नई सरकार बनी है तो शहीद के परिजनों को सरकार से न्याय की आशा है।

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