रविवार, 26 जनवरी 2014

गणतंत्र दिवस पर दिखी आकाश से पाताल तक की ताकत

नई दिल्ली। राजपथ पर 65वें गणतंत्र दिवस समारोह में एक ओर जहां स्वदेशी तकनीक से निर्मित चौथी पीढ़ी के अत्याधुनिक युद्धक विमान तेजस,मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन मार्क-2,परमाणु पनडुव्बी आईएनएस अरिहंंत,वायुसेना के भारी परिवहन विमान सी-130 जे तथा सी-17 ग्लोबमास्टर ने आकाश से लेकर पाताल तक देश की दुर्जेय सैन्य शक्ति का अहसास कराया वहीं दूसरी तरफ पूर्वोत्तर से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक देश की बहुरंगी सांस्कृतिक विरासत के साथ वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास की यात्रा का प्रभावी प्रदर्शन किया गया। गणतंत्र दिवस पर दिखी आकाश से पाताल तक की ताकत
देश ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की अगुवाई में राजपथ पर गणतंत्रदिवस समारोह भव्यता के साथ मनाया गया जिसमें इसवर्ष मुख्य अतिथि के रूप में जापान के प्रधानमंत्री शिन्जो आबे उपस्थित थे। समारोह की शुरूआत इंडियागेट स्थित अमर जवान ज्योति पर प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी द्वारा शहीद सैनिकों को श््रद्धाजंलि अर्पित करने के साथ हुई।

इसके बाद उन्होंने मुख्य समारोह स्थल पर पहुंचकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और मुख्य अतिथि जापानी प्रधानमंत्री एवं उनकी पत्नी अकाई आबे की अगवानी की। राष्ट्रपति के आगमन के बाद राष्ट्रध्वज फहराया गया और राष्ट्रगान की धुन के बीच राष्ट्रीय तिरंगे को 21 तोपों की सलामी दी गई।

राष्ट्रगान के बाद राजपथ पर समारोह की शुरूआत में राष्ट्रपति ने आंध्रप्रदेश पुलिस के नक्सल विरोधी दस्ते ग्रेहाउंड्स में रिजर्व निरीक्षक के एल.वी.एस.एस.एच.एन.वी प्रसाद बाबू को शांतिकाल में वीरता का सर्वोच्च पुरस्कार अशोक चक्र (मरणोपरांत)प्रदान किया। आंध्रप्रदेश-छत्तीसगढ की सीमा पर नक्सल विरोधी अभियान में असाधारण शौर्य का परिचय देते हुए प्रसाद बाबू चार कमांडो की जान बचाने के प्रयास में शहीद हुए थे। उनके पिता के.वेंकटरमन ने पुरस्कार ग्रहण किया।

इसके बाद परेड की शरूआत हुई जिसका नेतृत्व सेना में दिल्ली क्षेत्रके कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सुव्रत मित्रा ने किया तथा उप नेतृत्वकर्ता दिल्ली क्षेत्र के चीफ आफ स्टाफ मेजर जनरल राजबीर सिंह थे। उनके बाद परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह, सूबेदार योगेन्द्र सिंह यादव, (जेएके राइफल्स) तथा अशोक चक्र विजेता मेजर जनरल साइरस पीठावाला, लेफ्टिनेंट कर्नल जसराम सिंह मेजर डी श््रीराम कुमार, नायब सूबेदार हैरिंग मुटुप तथा मध्यप्रदेश के हुकुम सिंह गोविन्द सिंह और भूरेलाल जीपों में सवार होकर गुजरे। उनके पीछे सेना की ग्वालियर लांसर की समारोहिक पोशाक में सजेधजे विश्व की एकमात्र घुडसवार टुकडी 61 कैवेलरी के दस्ते ने राष्ट्रपति को सलामी दी।

इसके बाद मैकेनाइज्ड कॉलम में सैन्य आयुद्धों का प्रदर्शन शरू हुआ। मुख्य युद्धक टैंक टी-90 भीष्म,इन्फैन्ट्री काम्बेट व्हीकल सारथ, टीके टी-72 बरूदी सुरंग निष्क्रियन वाहन, पीएमएस ब्रिजिंग सिस्टम, ओसा. एके शस्त्र प्रणाली, मल्टी लांचर राकेट सिस्टम स्मर्च, ब्रrोस प्रक्षेपास्त्र प्रणाली और सचल सैटेलाइट टर्मिनल प्रदर्शित किये गए।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की झांकी में उसके द्वारा विकसित मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन मार्क-2, अस्त्र एवं हेलिना मिसाइलें, रिमोट चालित वाहन दक्ष और मंत्र,पानी के भीतर चलने वाला स्वचालित वाहन, पायलट रहित विमान नेत्र-निशांत के साथ सैन्य ताकत के मामले में देश की आत्मनिर्भरता की यात्रा का प्रदर्शन किया गया।

वायुसेना की झांकी में समय के साथ हवाई ताकत में आए बदलाव को दर्शाया गया। पुराने ट्रेनर टाइगर मोथ और आधुनिक ट्रेनर पिलाट्स पीसी -7 विमान, युद्धक विमानों में पुराने वापीती बाइप्लेन एवं अत्याधुनिक सुखोई -30 एमकेआई तथा परिवहन विमानों में डाकोटा डीसी -3 से लेकर सी-17 ग्लोब मास्टर तक दिखाए गए।

नौसेना की झांकी में उसकी सबसे घातक पनडुव्बियों में एक अरिहंत का माडल दर्शाया गया। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली इस पनडुव्बी ने पानी के अंदर भारत की सेना ताकत को कई गुना बढा दिया है। हालांकि इस मॉडल का नाम किन्ही कारणों से नहीं दर्शाया गया। इसके बाद पैदल माचिट्वग दस्तों की बारी आयी। पैराशूट रेजीमेंट, पंजाब रेजीमेंट, मद्रास रेजीमेंट, राजपुताना राइफल्स, महार रेजीमेंट, जम्मू एवं कश्मीर लाइट इंफ्रेन्ट्री रेजीमेंट, 9 गोरखा राइफल्स, 103 इन्फैन्ट्री बटालियन सिख लाइट इन्फैन्ट्री की सजी धजी टुकडियां तथा उनके साथ विभिन्न बैण्डवादक दस्ते कदमताल करते हुए गुजरे। नौसेना के 144 सदस्यीय दस्ते का नेतृत्व सर्जन लेफ्टिनेंट अम्बिका नौटियाल और वायुसेना के इतने ही बडे दस्ते का नेतृत्व स्कवाड्रन लीडर मनविन्दर सिंह ने किया। अर्द्धसैन्य बलों में सीमा सुरक्षा बल, असम राइफल्स, तटरक्षक बल, भारत तिव्बत सीमा पुलिस, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल और रेल सुरक्षा बल के साथ ही दिल्ली पुलिस, राष्ट्रीय कैडेट कोर, राष्ट्रीय सेवा योजना के दस्ते राजपथ पर राष्ट्रपति को सलामी देते हुए गुजरे। सीमा सुरक्षा बल के ऊंट सवार जवानों एवं बैण्ड दस्तों और भूतपूर्व सैनिकों के दस्ते ने भी सुप्रीम सैन्य कमांडर को सलामी पेश की। सैन्य परेड के बाद देश में विकास यात्रा के साथ रंग बिरंगी संस्कृति परंपरा एवं इतिहास की विरासत को दर्शाती हुई 13 राज्यों, चार केन्द्रीय मंत्रालयों एवं केन्द्रीय लोकनिर्माण विभाग की झांकियां निकलीं।

उत्तरप्रदेश की झांकी में बनारस के गंगातट की सुबह का नजारा दिखाई दिया जबकि उत्तराखंड की झांकी में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की खेती प्रदर्शित की गई। महाराष्ट्र का नारियल पूर्णिमा पर्व, जम्मू कश्मीर में घूमंतू जनजातियां, राजस्थान की कावड कला एवं तेरह ताली नृत्य तथा छत्तीसगढ में बस्तर का स्वाधीनता संग्राम दर्शाया गया। इसके अलावा असम के लोकप्रिय संगीतकार डॉ. भूपेन हजारिका के स्वर्णिम स्वर, चंडीगढ का राक गार्डन, तमिलनाडु का पोंगल उत्सव, पश्चिम बंगाल का परूलिया छऊ, कर्नाटक का वीर योद्धा टीपू सुल्तान, अरूणाचल प्रदेश का आजी लहमू नृत्य और मेघालय की सुपारी की खेती भी झांकियों केरूप में दिखाई दिये। रेल मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर में पीर पंजाल पर्वत श््रंृखला में 1 किलोमीटर सुरंग में बिछाई गई काजीगुण्ड बानिहाल रेल लाइन दर्शाई जबकि कृषि मंत्रालय ने कृषि में सूचना एवं संचार तकनीक का उपयोग प्रदर्शित किया।

इसके अलावा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने अंटाकर्टिका में भारतीय वैज्ञानिक अभियान, जनजाति कार्य मंत्रालय ने आदिवासी जनजीवन तथा केन्द्रीय लोकनिर्माण निगम ने फूलों से बना इंडिया गेट एवं संसद भवन का प्रदर्शन करके दर्शकों का मन मोह लिया। प्रदर्शनियों के बाद राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से अलंकृत 25 में से 20बच्चे जीप में सवार होकर निकले। इसके बाद दिल्ली के चार स्कूलों तथा पूर्वोत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र अरूणाचल प्रदेश के करीब एक हजार बच्चाें ने छत्तीसगढ, नागालैण्ड और केरल, अरूणाचल प्रदेश के लोकनृत्य पेश किये। नेवी चिल्ड्रेन्स स्कूल के बच्चों ने देशभकित पूर्ण प्रस्तुति बढे चलो दी।

राजपथ पर अंतिम प्रस्तुति सीमा सुरक्षा बल का मोटर साइकिल सवार जांबाजों के हैरतअंगेज करतब थे। तीस मोटर साइकिलों पर 162 जवान अलग अलग करतब दिखाते हुए निकले तो दर्शक रोमांचित हो उठे और सीटाें से उठकर तालियों से उनकी हौसला अफजाई की। अंत में वायुसेना के विमानों का फ्लाईपास्ट हुआ। तीन एमआई 35 हेलीकाप्टर विक सरंचना में सबसे पहले निकले।

इसके बाद तीन सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस विमान और फिर एक सी-17 ग्लोबमास्टर गुजरा जिसके इर्दगिर्द दो सुखोई-30 चल रहे थे। इसके बाद युद्धक विमानों का नंबर आएगा। पहले पांच जगुआर एयरो सरंचना में फिर पांच मिग 29 फलक्रम सरंचना में गुजरे। इसके बाद तीन सुखाई 30 एमकेआई सलामी मंच के ठीक सामने आकर आसमान में ऊपर त्रिशूल संरचना बनाते हुए गुजरे।

अंत में एक सुखोई 30 एमकेआई ने वर्टिकल चार्ली शैली में सर्वोच्च सैन्य कमांडर को सलामी दी। इसके उपरांत राष्ट्रगान की धुन के बाद मुख्य समारोह संपन्न हुआ और आसमान में तीन रंगों के गुब्बारे छोडे गए।

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