रविवार, 5 जनवरी 2014

अंतरिक्ष में बड़ी सफलता,जीएसएलवी-डी 5 लांच

चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण की तकनीक जीएसएलवी-डी 5 (क्रायोजेनिक इंजन) को लांच कर दिया गया है। वर्ष 2010 में इसरो का पहला प्रयास असफल रहा था। जीएसएलवी-डी5 प्रक्षेपण यान की उल्टी गिनती शनिवार की सुबह 11.18 पर शुरू हो गई थी और अपराह्न 4.18 बजे इस यान का चेन्नई से 80 किलोमीटर दूर स्थित प्रक्षेपण स्थल से प्रक्षेपण किया गया। यह यान कक्षा संचार उपग्रह जीसैट-14 को लेकर रवाना हुआ है।
इसरो के अध्यक्ष ने शनिवार को ही कह दिया था कि परीक्षण यदि सफल रहता है तो न सिर्फ यह स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक इंजन की सफलता होगी बल्कि इससे अंतरिक्ष अनुसंधान में भारी बचत भी होगा। अब साबित हो गया है कि देश में निर्मित क्रायोजेनिक इंजन ठीक तरह से काम कर रहा है। इतना ही नहीं यह देश में प्रौद्योगिकी के विकास का बहुत अहम पड़ाव होगा।

इस अभियान के सफल होने से इसरो द्वारा संचार उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए दूसरे देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों को अदा की जाने वाली कीमत में भारी बचत होगा। बल्कि इस प्रक्षेपण यान के जरिए ट्रांसपोर्डर क्षमता बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक संचार उपग्रह प्रक्षेपित कर अधिक राजस्व भी इकट्ठा किया जा सकता है।

इससे पहले भारत को 3.5 टन के संचार उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिए लगभग 500 करोड़ रूपए अदा करने पड़ते रहे हैं, जबकि जीएसएलवी प्रक्षेपण यान द्वारा इसकी लागत 220 करोड़ रूपए ही आएगी। रविवार को प्रक्षेपित किए गए उपग्रह जीसैट-14 के प्रक्षेपण पर 145 करोड़ रूपए की लागत आई है।

इसरो अध्यक्ष राधाकृष्णन ने बताया कि इसरो वर्तमान जीएसएलवी प्रक्षेपण यान के जरिए कई संचार उपग्रह लांच करने की योजना पर काम कर रहा है। राधाकृष्णन ने बताया कि हम जीसैट-6, 7ए, 9 संचार उपग्रह को जीएसएलवी प्रक्षेपण यान के जरिए लांच करने वाले हैं। हम अपने दूसरे चंद्रयान के लिए तथा जीसैट उपग्रह के लिए भी इसी प्रक्षेपण यान का उपयोग करने वाले हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें