नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान पुलिस को आदेश दिया है कि राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश की 30 वर्षीय बेटी की कस्टडी को याचिकाकर्ता को सौंप दे। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश राघवेन्द्र सिंह राठौड़ ने कथित रूप से अपनी बेटी को घर में नजरबंद कर रखा है।
न्यायाधीश राठौड़ ने इस डर से अपनी बेटी को घर में नजरबंद किया था ताकि वह अपने प्रेमी सिद्धार्थ मुखर्जी से शादी नहीं कर पाए। मुखर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध किया था।
याचिका में कहा गया कि न्यायाधीश राठौड़ अपनी बेटी के सिद्धार्थ मुखर्जी से शादी करने के खिलाफ थे। मुखर्जी का आरोप है कि न्यायाधीश राठौड़ अपनी बेटी की शादी अपनी ही जाति(राजपूत) के लड़के से कराना चाहते हैं। न्यायाधीश राठौड़ की बेटी के बयान दर्ज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे उसके ब्वॉयफ्रेंड के हवाले करने को कहा।
राठौड़ की बेटी ने पिछले माह सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को ई मेल भेजकर मदद मांगी थी लेकिन मदद पिछले सप्ताह मिली उस वक्त मिली जब सुप्रीम कोर्ट ने मुखर्जी की याचिका स्वीकार कर ली और जयपुर पुलिस को आदेश दिया कि वह लड़की को सोमवार को कोर्ट में पेश करें। कुछ साल पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने लव मैरिज को लालच और वासना का उदाहरण बताया था। इसके चलते राजस्थान हाईकोर्ट की खूब आलोचना हुई थी।
न्यायाधीश राठौड़ ने इस डर से अपनी बेटी को घर में नजरबंद किया था ताकि वह अपने प्रेमी सिद्धार्थ मुखर्जी से शादी नहीं कर पाए। मुखर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध किया था।
याचिका में कहा गया कि न्यायाधीश राठौड़ अपनी बेटी के सिद्धार्थ मुखर्जी से शादी करने के खिलाफ थे। मुखर्जी का आरोप है कि न्यायाधीश राठौड़ अपनी बेटी की शादी अपनी ही जाति(राजपूत) के लड़के से कराना चाहते हैं। न्यायाधीश राठौड़ की बेटी के बयान दर्ज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे उसके ब्वॉयफ्रेंड के हवाले करने को कहा।
राठौड़ की बेटी ने पिछले माह सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को ई मेल भेजकर मदद मांगी थी लेकिन मदद पिछले सप्ताह मिली उस वक्त मिली जब सुप्रीम कोर्ट ने मुखर्जी की याचिका स्वीकार कर ली और जयपुर पुलिस को आदेश दिया कि वह लड़की को सोमवार को कोर्ट में पेश करें। कुछ साल पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने लव मैरिज को लालच और वासना का उदाहरण बताया था। इसके चलते राजस्थान हाईकोर्ट की खूब आलोचना हुई थी।
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