रविवार, 22 दिसंबर 2013

जल सरंक्षण के होगा महाअभियान, जिले भर में भरवाये जाएंगे शपथ पत्र

जल सरंक्षण के होगा महाअभियान, जिले भर में भरवाये जाएंगे शपथ पत्र

बाड़मेर

"देशवासियों को वर्षभर भरपूर पेयजल उपलब्ध कराने और कृषि उत्पादन में जल की आवश्यकता पर पूर्ण नियंत्रण पाने हेतु हमें पानी की वही प्राचीन तकनीक और जलप्रबंधन पर लौटना होगा जो हमारी संस्कृति और परम्पराओं में सदियों से रची-बसी रही है दुर्भाग्य से आधुनिक जीवनशैली ने हमें पानी बचाने में नहीं बर्बाद करने में निपुण बनाया है। आईए, मानसून के पानी को यूं ही बहकर न जाने दें, इसे कल के लिये बांध लें ताकि हम विकास और प्रगति के सुप्रतिष्ठित प्रतिमान रच सकें।"इसी बात को आधार बनाकर आगामी जनवरी के पहले सप्ताह में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और सी सी डी यू की आई ई सी इकाई "प्रोमिस फॉर द फ्यूचर" कार्यक्रम की शुरुवात करने जा रही है। सी सी डी यू के आई ई सी कंसल्टेंट अशोक सिंह राजपुरोहित ने बताया कि यह कार्यक्रम जिले में पानी को लेकर आयोजित हुए सभी जन चेतना कार्यक्रमो से प्रभावी और व्यापक होगा। इस कार्यक्रम को अभियान के तोर पर चलाया जाना प्रस्तावित है। इस अभियान के अंतर्गत जिले के जनप्रतिनिधियो , कॉलेज और स्कुल के विधार्थियो को पानी पर बचत का प्रण दिलाया जायेगा साथ ही जिले से तक़रीबन बीस हजार शपथ पत्र राज की मुखिया के नाम लिखाये जाएंगे जिनमे हर कोई इस बात की शपथ लेगा की वह भविष्य में कभी भी पानी का अपव्यय नही करेगे और अगर कोई ऐसा करता हुआ उन्हें दीखता है तो वह उसे भी पानी कि एक एक बूंद की महता को बताएँगे। राजपुरोहित ने बताया कि वर्षों से वर्षा हमारी पेयजल, सिंचाई और औद्योगिक आवश्यकताओं की पूर्ति करती आई है पर जब कभी मानसून या मौसम दगा दे जाता है तो आमजीवन की समस्याऐं कहीं अधिक जटिल बन जाती हैं। मानसूनी वर्षा पर अभी भी हमारी कृषि और पेयजल का आधे से अधिक भाग निर्भर है। हमारे लिये यह भी कम संतोषजनक नहीं है कि हम वर्षा के रूप में सालभर में लगभग 4000 अरब घनमीटर पानी प्राप्त करते है। इसमें से पानी का बड़ा भाग भाप बनकर भी उड़ता है और बाकी नदियों, तालाबों, पोखरों, कुंओं और तालाबों में समा जाता है ऐसे में आज पानी को बचाना सबसे बड़ी जरूरत हे और इस बात का सन्देश सी सी डी यू की आई ई सी इकाई का महा अभियान प्रोमिस फॉर द फ्यूचर बखूबी देता नजर आएगा।

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