मंगलवार, 5 नवंबर 2013

गांधीजी का चरखा हुआ नीलाम

लंदन। महात्मा गांधी द्वारा यरवदा जेल के प्रवास के दौरान इस्तेमाल किया हुआ ऎतिहासिक चरखा यहां मंगलवार को 1 लाख 10 हजार पाउंड में नीलाम हो गया । यह कीमत नीलामी में इसकी अपेक्षित की गई कीमत से दुगनी है।
इस दौरान गांधी की लिखी उनकी आखिरी वसीयत भी 20 हजार पाऊंड में नीलाम हुई।

यह नीलामी यहां के प्रसिद्ध मुलॉक नीलामी घर में संपन्न हुई।

एतिहासिक है यह चरखा
गांधी के चरखे की बोली 60 हजार पाऊंड से शुरू हुई थी। यह चरखा गांधीजी ने पुणे में किए अपने जेल प्रवास के दौरान इस्तेमाल किया था। इसे उन्होने बाद में अमरीका के मिशनरी रेव्ड फ्लॉयड ए पफर को भारत पर उनके किए गए कामों के लिए भेंट कर दिया था।

महत्वपूर्ण दस्तावेज है आखिरी वसीयत
गांधीजी द्वारा लिखी गई उनकी आखिरी वसीयत गुजराती भाषा में है और इसे उन्होने साबरमती आश्रम में लिखा था। यह वसीयत उनकी एतिहासिक सोच को दर्शाने के साथ उनकी 1921 में लिखी पिछली वसीयत से भी आगे आने वाले 5 सालों के भविष्य के बारे में बात करती है।

इस नीलामी में गांधीजी के 60 के लगभग कीमती चीजें शामिल थीं जिनमें चरखा, जरूरी दस्तावेज,फोटोज और किताबें प्रमुख थीं।

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