बीकानेर : सात में से पांच सीटों पर सीधी टक्कर
बीकानेर। जिले की 7 सीटों में से कई पर भितरघात व बागियों ने प्रमुख दलों के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। कोलायत में 1980 से लगातार जीत रहे देवीसिंह भाटी के गढ़ में भाटी परिवार के ही भंवरसिंह सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे दूसरी सीटों व भाजपा की बगावत संभालने में जुटे देवीसिंह को फिर अपने हलके में ला दिया है।
जाहिर है, यहां सेंधमारी आसान नहीं होगी। बीकानेर पूर्व में भाजपा की सिद्धिकुमारी व कांग्रेस के गोपाल गहलोत बाहरी व भीतरी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। कांग्रेस ने माली वोटों में घुसपैठ की है, लेकिन टिकट नहीं मिलने से अल्पसंख्यक, वैश्य व ब्राह्मणों का एक धड़ा नाराज है। कुनबे को साधने की इस कोशिश के बीच सिद्धि कुमारी को शाही परिवार के ग्लैमर का लाभ मिल रहा है।
बीकानेर पश्चिम में कांग्रेस के बी.डी. कल्ला व भाजपा के गोपाल जोशी जातिगत समीकरण बिठाने व रूठों को मनाने में लगे हैं। खाजूवाला सुरक्षित सीट पर भाजपा के विश्वनाथ व कांग्रेस के गोविंदराम में सीधी टक्कर है, पर नतीजा सीधा नहीं लग रहा। गोविंदराम को संघर्ष का लाभ मिलने के साथ ही पाला बदली का नुकसान हो सकता है। श्रीडूंगरगढ़ में कांग्रेस के मंगलाराम गोदारा व भाजपा के किसानाराम नाई की जंग जातिगत हो गई है।
किसनाराम के गैर जाट वोटों का ध्रुवीकरण निर्दलीय व अन्य प्रत्याशी बिगाडऩे में लगे हैं। अलबत्ता लगातार तीन बार विधायक रहे मंगलाराम से नाराज नेताओं का साथ उन्हें लाभ दिला सकता है। लूणकरणसर से दो चुनाव जीत चुके कांग्रेस के वीरेंद्र बेनीवाल त्रिकोण में फंसे हैं।
भाजपा ने युवा जाट सुमित गोदारा को उतारा तो मानिकचंद बागी हो गए। वे दो जाटों के बीच अन्य जातियों का ध्रुवीकरण बिठा रहे हैं। यहां ब्राह्मण वोट महत्वपूर्ण हैं। नोखा में कन्हैयालाल झंवर दूसरी बार निर्दलीय मैदान में हैं। कांग्रेस के रामेश्वर डूडी पिछली हार का बदला लेने जोर लगा रहे हैं। मुकाबला बहुकोणीय तब हो गया जब भाजपा ने बिहारीलाल बिश्नोई को दोहराने की बजाय सहीराम बिश्नोई को टिकट थमाया। बिहारीलाल बगावत कर बिश्नोई वोटों के साथ भाजपा के शहरी वोटों में भी सेंध लगा रहे हैं।
बीकानेर। जिले की 7 सीटों में से कई पर भितरघात व बागियों ने प्रमुख दलों के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। कोलायत में 1980 से लगातार जीत रहे देवीसिंह भाटी के गढ़ में भाटी परिवार के ही भंवरसिंह सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे दूसरी सीटों व भाजपा की बगावत संभालने में जुटे देवीसिंह को फिर अपने हलके में ला दिया है।
जाहिर है, यहां सेंधमारी आसान नहीं होगी। बीकानेर पूर्व में भाजपा की सिद्धिकुमारी व कांग्रेस के गोपाल गहलोत बाहरी व भीतरी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। कांग्रेस ने माली वोटों में घुसपैठ की है, लेकिन टिकट नहीं मिलने से अल्पसंख्यक, वैश्य व ब्राह्मणों का एक धड़ा नाराज है। कुनबे को साधने की इस कोशिश के बीच सिद्धि कुमारी को शाही परिवार के ग्लैमर का लाभ मिल रहा है।
बीकानेर पश्चिम में कांग्रेस के बी.डी. कल्ला व भाजपा के गोपाल जोशी जातिगत समीकरण बिठाने व रूठों को मनाने में लगे हैं। खाजूवाला सुरक्षित सीट पर भाजपा के विश्वनाथ व कांग्रेस के गोविंदराम में सीधी टक्कर है, पर नतीजा सीधा नहीं लग रहा। गोविंदराम को संघर्ष का लाभ मिलने के साथ ही पाला बदली का नुकसान हो सकता है। श्रीडूंगरगढ़ में कांग्रेस के मंगलाराम गोदारा व भाजपा के किसानाराम नाई की जंग जातिगत हो गई है।
किसनाराम के गैर जाट वोटों का ध्रुवीकरण निर्दलीय व अन्य प्रत्याशी बिगाडऩे में लगे हैं। अलबत्ता लगातार तीन बार विधायक रहे मंगलाराम से नाराज नेताओं का साथ उन्हें लाभ दिला सकता है। लूणकरणसर से दो चुनाव जीत चुके कांग्रेस के वीरेंद्र बेनीवाल त्रिकोण में फंसे हैं।
भाजपा ने युवा जाट सुमित गोदारा को उतारा तो मानिकचंद बागी हो गए। वे दो जाटों के बीच अन्य जातियों का ध्रुवीकरण बिठा रहे हैं। यहां ब्राह्मण वोट महत्वपूर्ण हैं। नोखा में कन्हैयालाल झंवर दूसरी बार निर्दलीय मैदान में हैं। कांग्रेस के रामेश्वर डूडी पिछली हार का बदला लेने जोर लगा रहे हैं। मुकाबला बहुकोणीय तब हो गया जब भाजपा ने बिहारीलाल बिश्नोई को दोहराने की बजाय सहीराम बिश्नोई को टिकट थमाया। बिहारीलाल बगावत कर बिश्नोई वोटों के साथ भाजपा के शहरी वोटों में भी सेंध लगा रहे हैं।
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