लंदन। ताइवान की एक 20 साल की लड़की पर अपनी तरह का नए वायरस ने जानलेवा हमला बोला है। यह वायरस घातक रोग बर्ड फ्लू का है और इसे "एच6एन1" नाम दिया गया है।
इस वायरस की चपेट में आने का विश्व में अपनी तरह का यह पहला मामला है। यह वायरस आनुवंाशिक स्तर पर अपनी संरचना में बदलाव लाकर लोगों को प्रभावित करने में सक्षम है।
मेडिकल फील्ड से जुड़े जर्नल "लैसिंट रेस्पिरेटरी मेडिसिन" में गुरूवार को वैज्ञानिकों के हवाले से बताया गया कि मध्य ताइवान की इस 20 वर्षीय महिला को बर्ड फ्लू के विषाणु से पॉजिटिव पाया गया है और विषाणु की यह किस्म "एच6एन1" है।
इस महिला का उपचार ताइपे स्थित "सेन्टर फार डिजीज कंट्रोल" संस्थान में डा. हो शेंग वु की निगरानी में किया जा रहा है और बर्ड फ्लू की निगरानी में दी जाने वाली दवा "टैमीफ्लू" का उस पर अच्छा असर हो रहा है।
उन्होंने बताया कि इस विषाणु के आनुवांशिक विश्लेषण से पता चलाहै कि इसने अपने बाहरी प्रोटीन आवरण "हेमाग्लूटीनिन" में बदलाव किया है ताकि यह मानव कोशिकाओं से आसानी से चिपककर उन्हें संक्रमित कर सके।
इस वायरस की चपेट में आने का विश्व में अपनी तरह का यह पहला मामला है। यह वायरस आनुवंाशिक स्तर पर अपनी संरचना में बदलाव लाकर लोगों को प्रभावित करने में सक्षम है।
मेडिकल फील्ड से जुड़े जर्नल "लैसिंट रेस्पिरेटरी मेडिसिन" में गुरूवार को वैज्ञानिकों के हवाले से बताया गया कि मध्य ताइवान की इस 20 वर्षीय महिला को बर्ड फ्लू के विषाणु से पॉजिटिव पाया गया है और विषाणु की यह किस्म "एच6एन1" है।
इस महिला का उपचार ताइपे स्थित "सेन्टर फार डिजीज कंट्रोल" संस्थान में डा. हो शेंग वु की निगरानी में किया जा रहा है और बर्ड फ्लू की निगरानी में दी जाने वाली दवा "टैमीफ्लू" का उस पर अच्छा असर हो रहा है।
उन्होंने बताया कि इस विषाणु के आनुवांशिक विश्लेषण से पता चलाहै कि इसने अपने बाहरी प्रोटीन आवरण "हेमाग्लूटीनिन" में बदलाव किया है ताकि यह मानव कोशिकाओं से आसानी से चिपककर उन्हें संक्रमित कर सके।
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