उदयपुर। विशिष्ट न्यायालय (यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण मामलात) के न्यायाधीश रामचंद्रसिंह झाला ने दुष्कर्म के आरोपी दो सिपाहियों को गुरुवार को दस-दस साल की कड़ी कैद सुनाई। यह घटना ऋषभदेव थाने के (परिसर में स्थित) स्टाफ क्वार्टर में इसी साल 14 फरवरी को हुई थी।
दुष्कर्म पीडि़ता थाने में तैनात महिला कांस्टेबल की नाबालिग बेटी थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी सिपाही भीम सिंह पुत्र गौतम सिंह निवासी गांव जावद (सलूंबर) पर दुष्कर्म करने और दूसरे आरोपी सिपाही किशोर सिंह पुत्र भंवरलाल जाट निवासी बाड़मेर (मूढों की ढाणी, नगाना) पर दुष्कर्म के लिए सरकारी क्वार्टर उपलब्ध करवाने का आरोप है। लोक अभियोजक प्रणय सनाढ्य ने दोनों अभियुक्त सिपाहियों पर आरोप साबित करने के लिए 17 गवाह और 37 दस्तावेजी सुबूत पेश किए।
यह था मामला
बालिका की मां (महिला कांस्टेबल) ने 15 फरवरी को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें बताया गया था कि 14 फरवरी की शाम को बालिका हरे चने के छिलके व ठंडी रोटी भैंस को खिलाने घर से निकली थी। लौटते समय सिपाही किशोर सिंह और भीम सिंह खड़े थे। दोनों ने बालिका को पास बुलाया था। मां के सहकर्मी होने से दोनों सिपाहियों पर भरोसा करके बालिका उनके पास चली गई। भीम सिंह उसका मुंह दबा कर किशोर सिंह के क्वार्टर में ले गया था। किशोर सिंह घर के पिछले दरवाजे से बाहर निकल गया था। दुष्कर्म करने के बाद बालिका को क्वार्टर से बाहर निकाल दिया गया। रात 8 बज कर 5 मिनट पर बदहवास हालत में घर पहुंची बालिका ने मां को आपबीती बताई।
महकमे की बदनामी पर निलंबन व गिरफ्तारी
दिल्ली गैंग रेप घटना के बाद ऋषभदेव थाना परिसर के पुलिस क्वार्टर में महिला सिपाही की बेटी से पुलिस के सिपाहियों द्वारा किए गए दुष्कर्म से राज्य भर में पुलिस विभाग की बदनामी हुई थी।दुष्कर्म के आरोपी दोनों सिपाहियों को वारदात के अगले दिन गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया था।
विधानसभा में भी उठा था मुद्दा
भाजपा के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने मार्च में विधानसभा के बजट सत्र में सरकार को कटघरे में ला खड़ा किया था। गृह मंत्रालय के आदेश पर तत्कालीन पुलिस आईजी टी.सी. डामोर, कलेक्टर विकास भाले व एसपी हरिप्रसाद शर्मा ने ऋषभदेव थाना तथा घटना स्थल का निरीक्षण किया था।केस की जांच ऋषभदेव के डिप्टी पन्ना लाल मीणा को दी गई थी।
मुख्य आरोपी को सजा
अदालत ने दुष्कर्म के आरोपी सिपाही भीम सिंह को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6 के अंतर्गत 10 वर्ष की कड़ी कैद तथा 50 हजार रुपए जुर्माना सुनाया।
सह आरोपी को सजा
अदालत ने सह आरोपी सिपाही किशोर सिंह को स्थान उपलब्ध कराने व इस कार्य के लिए दुष्प्रेरित करना साबित हो जाने पर धारा 6 सपठित 17 के तहत 10 वर्ष कड़ी कैद और 50 हजार रुपए जुर्माना सुनाया।
इन धाराओं में एक जैसी सजा
दोनों आरोपियों को धारा 363 के अंतर्गत 5-5 वर्ष की कड़ी कैद व 10-10 हजार जुर्माना, धारा 366 के तहत 7-7 वर्ष की कैद व 15-15 हजार रुपए जुर्माना और धारा 368 के तहत 5-5 वर्ष कड़ी कैद और 10-10 हजार रुपए जुर्माना सुनाया गया।
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