नई दिल्ली। पिछले वर्ष 16 दिसंबर को चलती बस में युवती से गैंगरेप के चार आरोपियों को दोषी करार दिया गया है। साकेत कोर्ट ने आरोपियों को सभी मामलों में दोषी करार दिया गया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना आरोपी मुकेश,पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर की सजा पर बुधवार को जिरह के बाद फैसला सुना सकते हैं। आरोपियों को उम्र कैद से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है। 23 वर्षीय प्रशिक्षु फीजियोथेरेपिस्ट के साथ हुई बर्बरतापूर्ण घटना के नौ महीने बाद न्यायालय का फैसला आया है।
चारों आरोपियों पर गैंगरेप,हत्या,सबूतों को नष्ट करने एवं लूट का मामला दर्ज है। इस मामले में आरोपी नाबालिग को किशोर न्याय बोर्ड ने 31 अगस्त को तीन वर्ष किशोर सुधार गृह में बिताने की सजा सुनाई थी। इस फैसले पर पीडिता के परिवार वालों ने नाराजगी जाहिर की थी और नाबालिग को और सख्त सजा दिए जाने की मांग की थी।
पीडिता की घटना के 13 दिन बाद सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इस बर्बर घटना के बाद फैले व्यापक जनाक्रोश के कारण केंद्र सरकार को सख्त दुष्कर्म-रोधी कानून बनाना पड़ा। इस मामले में तीन जनवरी को आरोपपत्र दाखिल हुआ तथा पांच फरवरी को सुनवाई शुरू हुई।
अभियोजन पक्ष ने 85 गवाह पेश किए जबकि बचाव पक्ष के 17 गवाहों के बयान लिए गए। पुलिस ने अपने आरोपपत्र में कहा था कि घटना में नाबालिग ने पीडिता के सबसे अधिक बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया था। मामले में कुल पांच व्यक्ति आरोपित थे,लेकिन मुख्य आरोपी राम सिंह ने सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना आरोपी मुकेश,पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर की सजा पर बुधवार को जिरह के बाद फैसला सुना सकते हैं। आरोपियों को उम्र कैद से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है। 23 वर्षीय प्रशिक्षु फीजियोथेरेपिस्ट के साथ हुई बर्बरतापूर्ण घटना के नौ महीने बाद न्यायालय का फैसला आया है।
चारों आरोपियों पर गैंगरेप,हत्या,सबूतों को नष्ट करने एवं लूट का मामला दर्ज है। इस मामले में आरोपी नाबालिग को किशोर न्याय बोर्ड ने 31 अगस्त को तीन वर्ष किशोर सुधार गृह में बिताने की सजा सुनाई थी। इस फैसले पर पीडिता के परिवार वालों ने नाराजगी जाहिर की थी और नाबालिग को और सख्त सजा दिए जाने की मांग की थी।
पीडिता की घटना के 13 दिन बाद सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इस बर्बर घटना के बाद फैले व्यापक जनाक्रोश के कारण केंद्र सरकार को सख्त दुष्कर्म-रोधी कानून बनाना पड़ा। इस मामले में तीन जनवरी को आरोपपत्र दाखिल हुआ तथा पांच फरवरी को सुनवाई शुरू हुई।
अभियोजन पक्ष ने 85 गवाह पेश किए जबकि बचाव पक्ष के 17 गवाहों के बयान लिए गए। पुलिस ने अपने आरोपपत्र में कहा था कि घटना में नाबालिग ने पीडिता के सबसे अधिक बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया था। मामले में कुल पांच व्यक्ति आरोपित थे,लेकिन मुख्य आरोपी राम सिंह ने सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
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