नई दिल्ली. अब एक बार फिर कांग्रेस और बीजेपी में तलवार खिंचने के आसार हैं. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सोमवार को सभी मुख्यमंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी है. गृह मंत्री ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि कोई भी बेकसूर मुस्लिम युवक आतंक के नाम पर गलत तरीके से हिरासत में न लिया जाए. बस इस चिट्ठी के आते ही बीजेपी ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में इसे एक सांप्रदाय को रिझाने की पहल करार दिया है.
मुख्यमंत्रियों को लिखी एक चिट्ठी में शिंदे ने कहा है कि केंद्र सरकार को ऐसी सूचना मिल रही है कि तक कानून व्यवस्था की एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर बेकसूर मुस्लिम युवाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने लिखा है, 'कुछ अल्पसंख्यक युवाओं को लग रहा है कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया और उन्हें उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित किया गया है.' गृह मंत्री ने जोर दिया कि सरकार हर तरह के आतंकवाद से मुकाबला करने के अपने मुख्य सिद्धांत पर प्रतिबद्ध है.
उन्होंने मुख्यमंत्रियों को लिखा है, 'सरकार को यह तय करना है कि कोई भी बेकसूर व्यक्ति बेवजह परेशान न हो.' शिंदे ने राज्य सरकारों से कहा कि वे आतंकवाद संबंधी मामलों की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के परामर्श से विशेष अदालतें स्थापित करें, विशेष सरकारी वकीलों की नियुक्ति करें और अन्य लंबित मामलों की तुलना में ऐसे मामलों को प्राथमिकता दें.
गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के इस पत्र का प्रमुख विपक्षी दल ने विरोध किया है. पार्टी नेता एम वेंकैया नायडू ने कहा कि शिंदे को यह पत्र तुरंत वापस लेना चाहिए. यह घोर आपत्तिजनक है, लोकतंत्र और सेक्युलरिज्म के खिलाफ है.
मुख्यमंत्रियों को लिखी एक चिट्ठी में शिंदे ने कहा है कि केंद्र सरकार को ऐसी सूचना मिल रही है कि तक कानून व्यवस्था की एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर बेकसूर मुस्लिम युवाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने लिखा है, 'कुछ अल्पसंख्यक युवाओं को लग रहा है कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया और उन्हें उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित किया गया है.' गृह मंत्री ने जोर दिया कि सरकार हर तरह के आतंकवाद से मुकाबला करने के अपने मुख्य सिद्धांत पर प्रतिबद्ध है.
उन्होंने मुख्यमंत्रियों को लिखा है, 'सरकार को यह तय करना है कि कोई भी बेकसूर व्यक्ति बेवजह परेशान न हो.' शिंदे ने राज्य सरकारों से कहा कि वे आतंकवाद संबंधी मामलों की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के परामर्श से विशेष अदालतें स्थापित करें, विशेष सरकारी वकीलों की नियुक्ति करें और अन्य लंबित मामलों की तुलना में ऐसे मामलों को प्राथमिकता दें.
गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के इस पत्र का प्रमुख विपक्षी दल ने विरोध किया है. पार्टी नेता एम वेंकैया नायडू ने कहा कि शिंदे को यह पत्र तुरंत वापस लेना चाहिए. यह घोर आपत्तिजनक है, लोकतंत्र और सेक्युलरिज्म के खिलाफ है.
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