बुधवार, 18 सितंबर 2013

बायतु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाल,मरीज बेहाल

बायतु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाल,मरीज बेहाल
*एक महिला चिकित्सक के जिम्मे पूरी सीएससी,बीसीएमओ मीटिंगों में व्यस्त

दलपत धतरवाल



बायतु--उपखंड मुख्यालय बायतु पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कहने को तो 24
घंटे महज ताला खुला मिलता हैं।अस्पताल के आउटडोर समय में भले ही एक
डॉक्टर मिल जाये,लेकिन आउटडोर बंद होने के बाद यहाँ पर कभी-कभी तो
इंजेक्शन लगाने व पट्टी बाँधने वाला नर्सिंग स्टाफ व कम्पाउडर तक नही
मिलता। डॉक्टरो के नब्बे फीसदी पद खाली पड़े हैं।ओपीडी के हिसाब से
नर्सिंग स्टाफ व कम्पाउडर ही कम हैं।जो हैं अपनी मर्जी के मालिक, अधिकांश
कंपाउडरों के घर पर क्लिनिक संचालित हो रहे हैं,जिससे उनका अस्पताल में
मन ही नही रहता हैं। बायतु सीएससी में मरीज का सही समय पर इलाज शुरू होना
मरीज के भाग्य की बात है।कभी कभार तो दिन में इंजेक्शन लगाने वाला भी नही
मिलता। स्वीकृत पदों की तुलना में रिक्त पदों संख्या ज्यादा हैं।कुल आठ में से छ पद रिक्त हें


बीसीएमओ मीटिंगों में---बायतु बीसीएमओ डॉ. सुनील कुमार बिस्ट को जिला
स्तर पर प्रशासन द्वारा आये दिन ली जाने वाली मीटिंगों में भाग लेने के
लिए बाड़मेर जाना पड़ता हैं।ऐसे में वे मरीजो के लिये कम समय ही निकाल पाते
हैं।डॉ. बिस्ट को नि:शुल्क दवा वितरण योजना का जिला समन्वय भी बनाया हुआ
हैं।जिसके तहत जिले भर में चल रही नि:शुल्क दवा योजना की मोनीटरिंग भी
करनी पड़ रही हैं। इस स्थिति में पीछे बची एक एमओ महिला चिकित्सक के भरोसे
पूरा सीएससी संचालित हो रहा हैं।

उधार की व्यवस्था पर भरोसा ------मरीजो की भारी भीड़ जब ज्यादा बढ़ जाती है
तो व्यवस्था के तौर पर नजदीक के प्राथमिक स्वास्थ्य से डॉक्टर बुलाकर
व्यवस्था करते है।हर साल में करीब एक लाख मरीज यहाँ इस अस्पताल में ईलाज
के लिये आते हैं।मगर सीएससी की बदहाल स्थिति के चलते मरीजो को भारी
परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।

मलेरिया की स्थिति सबसे ख़राब ---मलेरिया की स्थिति जिले भर में सबसे
ज्यादा ख़राब बायतु क्षेत्र की हैं।सबसे ज्यादा मलेरिया पीवी व पीएफ के
मरीज बायतु क्षेत्र में प्रतिवर्ष मिलते हैं।फिर भी प्रशासन इसको
नियंत्रण में करने की कोशिश नही कर रहा हैं। दूसरी और बायतु उपखंड
मुख्यालय पर निजी अस्पताल नही होने से मरीजो की सौ फीसदी निर्भरता सीएससी
पर ही रहती हैं।

दुर्घटना के समय स्थिति बेकाबू-----बाड़मेर-जोधपुर-बर-ब्यावर राष्ट्रीय
राजमार्ग 112 पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र यूँ तो राजमार्ग पर
होने हादसों में घायलों के लिए जीवनदायी साबित हो सकता हैं।मगर अधिकतर
पदों के रिक्त चलते यहाँ की व्यवस्था ही जवाब दे जाती हैं।बड़ी दुर्घटना
के समय स्थिति बड़ी बेकाबू तथा भयावह हो जाती हैं।एकाध डॉक्टर ही हाजिर
मिलता हैं।जो घायलों के इंजेक्शन व पट्टी करने में लग जाता हैं।ऐसे में
दुसरे घायलों का इलाज राम भरोसे हो जाता हैं।ऐसी स्थिति में एक डॉक्टर
का घायलों का संभालना मुश्किल हो जाता हैं।

सांसद व मंत्रीजी भी नही दे रहे ध्यान-----बाड़मेर सांसद हरीश चौधरी व
राजस्थान सरकार के राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी भी बायतु के रहने वाले
हैं।उपखंड मुख्यालय के अस्पताल की स्थिति को लेकर जब भी वे बायतु आये
उनको अवगत करवाया व ज्ञापन भी दिये,लेकिन उन्होंने इस बार कोई ध्यान नही
दिया। ईलाज के अभाव में तड़पते मरीजो की पीड़ा को सांसद व मंत्री ने एक
बार भी नही समझा। दु:ख की बात है कि राजस्व मंत्री ने अपने साढ़े चार साल
व सांसद हरीश चौधरी ने अपने लगभग तीन साल के कार्यकाल में कभी सीएससी का
निरीक्षण तक करने की जहमत नही उठाई। सांसद व मंत्री जी दिल्ली व जयपुर भी
इस मार्ग से निकलते हैं लेकिन उन्हें 10 मिनट की भी फुर्सत नही मिली।

आपातकाल वार्ड बना स्टोर रूम ------केयर्न इंडिया ने मरीजो से दर्द को
समझते हुए करीब 20 लाख की लागत से आपातकाल वार्ड क=तो बना दिया मगर
चिकित्सको के अभाव में अब यह स्टोर रूम बन गया,इसी वार्ड में नि;शुल्क
दवा वितरण का काउंटर खोल दिया गया।तथा नर्सिंग स्टाफ के रहने की व्यवस्था
भी इसी वार्ड में हैं।

सेवा के नाम पर छलावा-------दिखावे के तौर पर बायतु सीएससी पर राष्ट्रीय
मोबाइल मेडिकल यूनिट की वैन खड़ी रहती हैं।जो आधुनिक उपकरणों से लैस
चिकित्सकीय टीम के साथ ढाणी-ढाणी जाकर मरीजो की जाँच व उपचार करने का
दावा करती हैं।इसके उलटे हकीकत कुछ और ही हैं।स्वयंसेवी संस्था के मार्फ़त
संचालित हो रही यह वैन दिन भर किन गाँवो में जाती है,इस बात की जानकारी
बायतु बीसीएमओ को भी नही हैं।यहाँ तक सम्बंधित गाँवो के ग्रामीणों को भी
जानकारी नही रहती हैं।

इधर परेशानी उधर मजे----बायतु सीएससी भले ही चिकित्सको की कमी का दंश झेल
रहा हैं सीएससी कवास में छ:डॉक्टर कार्यरत हैं।बाड़मेर जिला मुख्यालय से
कवास की कम दूरी होने के कारण डॉक्टर कवास तक ही आना चाहते हैं।ताकी
हररोज बाड़मेर से उप डाउन कर सके।

सीएससी से पीएससी ठीक----- बायतु क्षेत्र में कुल आठ पीएससी है इन आठो
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कुल 14 डॉक्टर के पद स्वीकृत है जिन पर
दस डॉक्टर कार्यरत हैं।वही चार पद रिक्त है।



"सीएससी बायतु की स्थिति बुरी तरह से बदहाल हैं, डॉक्टरों का कोई
अता-पता ही नही हैं,क्षेत्र में मलेरिया,डेंगू जैसे गंभीर बिमारियों के
रोगी मिल रहे हैं,लेकिन इलाज करने वाला कोई नही हैं।मरीजो को चिकित्सा
सुविधा नही मिल रही है। सरकार को अतिशीघ्र डॉक्टरों की व्यवस्था करनी
चाहिये।
"बालाराम मूंढ़ " भाजपा नेता बायतु

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