सोमवार, 2 सितंबर 2013

रिफाइनरी बचाओं संघर्ष समिति का धरना जारी



रिफाइनरी बचाओं संघर्ष समिति का धरना जारी
बाड़मेर।

रिफाइनरी बचाओं संघर्ष समिति के बैनर तले जिला मुख्यालय पर धरना सोमवार को 48वें दिन भी जारी रहा।
संघर्ष समिति के सदस्य डा. रमन चौधरी ने बताया कि अगर बाड़मेर के लीलाला में रिफाइनरी की स्थापना नही होती हैं तो यह बाड़मेर के इतिहास का दु:खद अध्याय होगा, जो राजनेता अपनी टिकिट बचान हेतु इस पर चप्पी साधे बैठे है उन्हे आने वाला इतिहास ओर युवा पीढी कभी माफ नही करेगी जनता अपना हित तथा अहित समझती हैं, बाड़मेर के विकास सहयोग करने वालो को जनता हमेशा याद रखेगी। धरना स्थल पर धरनार्थियो को सम्बोधित करते हुए व्यापार मण्डल के अध्यक्ष कैलाश कोटडि़या ने कहा कि अगर रिफाइनरी लीालाला में नही लगती है तो व्यापारियों के लिए तथा आम आदमी के लिए यह एक बहुत बुरा सपना होगा व्यापार के क्षेत्र में बाड़मेर की सिथति वापिस पहले वाली होने मे ज्यादा समय नही लगेंगा तथा व्यापार का सीधा फायदा जोधपुर के व्यापारियो को होगा उन्होने रिफाइनरी संघर्ष समिति के पदाधिकारियों से कहा कि वो किसी प्रकार का संकोच न करे तथा रिफाइनरी के लिए हमें महीने भर तक अगर बाड़मेर को बंद रखना पड़ा तो भी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखने को तैयार है उन्होने आग्रह किया कि संघर्ष समिति जल्द ही आगामी कार्यवाही का ऐलान करे। रावणा राजपूत समाज के जिलाध्यक्ष सुरेन्द्रसिंह दहिया ने कहा कि अगर रिफाइनरी लीलाला में नही लगती है तो इसके लिए हमे चाहे भूखा रहना पड़े चाहे महीनो भर बाड़मेर बंद रखना पड़े हर संभव लीलाला में लगाने के प्रयास किये जायेगें। उन्होने कहा कि अगर रिफाइनरी लीलाला से चली गर्इ तो हमारे पास मात्र भूकम्प के झटको के अलावा कुछ नही बचेगा। दहिया ने कहा कि राजस्थान सरकार चाह रही है कि बाड़मेर सिर्फ मरूस्थल एवं अकाल के लिए जाना जाये तथा हरगीज नही होने दिया जाएगा बाडमेर तेल उत्पादक इण्डस्ट्रीज रूप में अपनी पहचान बना चुका हैं उसकी पहचान को छीनने की कोशिश करने वालो को बर्दास्त नही किया जाएगा।

धरना स्थल पर धर्माराम जांणी, टीकमाराम लेगा, सताराम हुडा, मोहनलाल माली, दमाराम सहारण, उमेदाराम, गंगाराम गोदारा सहित सैकड़ो किसानो ने समर्थन दिया। वहीं संघर्ष समिति की रथ यात्रा रेखाराम खोथ, शंकरलाल माली, टीकमाराम लेगा के नेतृत्व में लंगेरा, आटी, देरासर आदि गांवो का दौरा कर रिफाइनरी का संदेश गांव-गांव तक पहुचाया गया।

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