राजस्थानी एक समृद्ध भाषा- जांगिड
राजस्थानी भाषा विचार गोष्ठी
सिवाना। राजस्थानी भाषा विश्व की समृद्धतम भाषाओ में से एक है। यह भाषा साहित्य सृजन की दृष्टि से भी श्रेष्ठ है यही कारण है कि राजस्थान के कई इतिहासकारों ने इस भाषा में ही इतिहास को समेटकर ख्याति प्राप्त की है। राजस्थान की बोलो प्रेम की बोली है। व्याकरण की दृष्टि से भी यह सम्पन्न है। ये बात अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति सिवाना मोट्यार परिषद के ब्लॉक अध्यक्ष जितेन्द्र जांगिड ने कस्बे में आयोजित राजस्थानी भाषा विचार गोष्ठी में सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने राजस्थानी भाषा की संवेधानिक मान्यता के लिए चलाए जा रहे अभियान की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कुछ लोगो द्वारा ये अफवाह फैलाई जा रही है राजस्थानी भाषा की मान्यता से कोई फायदा नही होगा। उनकी गलतफहमी दूर करने के लिए बुद्धिजीवियों को आगे आना होगा। सुधीर शर्मा ने कहा कि अगर राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता दी जाती है तो उसका सबसे बड़ा फायदा राजस्थान के युवाओ को होगा। वे अपनी मातृभाषा में अध्ययन कर रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकेंगे। वही लोकसेवा आयोग की प्रतियोगी परिक्षाओ में राजस्थानी भाषा को अनिवार्य रूप से शामिल करने से राजस्थान के छात्रों को रोजगार मिलने की सम्भावना बढ़ जाएगी क्योकि अन्य राज्यों से आने वाले छात्र राजस्थानी भाषा के बारे में कोई विशेष जानकारी नही रखते।गोष्ठी में विष्णु वैष्णव ने अपील करते हुए कहा कि हो सकता है यह आन्दोलन और भी लम्बा चले अतः क्षेत्र के भामाशाहो को इस पुण्य कार्य में सहयोग करने के लिए आगे आना होगा। इस अवसर पर मीठालाल, कलाराम, थानाराम, पुखराज, विकास कुमार, श्रवण कुमार, अमित कुमार सहित कई लोगो ने अपने विचार रखे।
....लिखे गए 1100 पोस्टकार्ड.... इस अवसर पर 11 से 25 अगस्त तक मनाए गए राजस्थानी भाषा पखवाडा का विवरण भी प्रस्तुत किया गया जिसके अनुसार इस कार्यक्रम में कुल ग्यारह सौ पोस्टकार्ड राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री को राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए भेजे गए है। वही हस्ताक्षर अभियान में भी हजारो लोगो ने अपना समर्थन दिया है।
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