बाडमेर के लीलाला में रिफायनरी लगने के मामले में दो सप्ताह पहले राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी के इस्तीफा देने के बाद चौधरी के प्रभार वाले विभागों में काम काज लगभग ठप सा चल रहा है। राजस्व विभाग, कॉलोनाइजेशन व जल संसाधन विभागों में मंत्री स्तर पर होने वाले नीतिगत मामलों पर कोई निर्णय नहीं हो रहा है।
राजस्व विभाग के अधिकारी अभी भी उनको विभाग का मंत्री मान रहे हैं और मंत्री स्तर पर होने वाले नीतिगत मामलों की पत्रावलियों को हस्ताक्षर के लिए मंत्री के बंगले भेज दिया जाता है लेकिन इस्तीफे के बाद राजस्व मंत्री जयपुर नहीं आ रहे हैं और पत्रावलियों को वापस विभाग में भेजा जा रहा है। अब अधिकारी मुख्यमंत्री कार्यालय से ही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार ही कोई निर्णय ले।
न मुख्यमंत्री न आलाकमान ने माना इस्तीफा
गौरतलब है कि राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी दो सप्ताह पहले बाडमेर के लीलाला में रिफायनरी लगाने की मांग को लेकर अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को दे चुके हैं। लेकिन उनके इस्तीफे को न तो मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया है और न ही आलाकमान ने। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि उनके इस्तीफे पर अंतिम फैंसला आलाकमान करेंगी और वे उन्हें मनाने के प्रयास कर रहे हैं। ऎसे में उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है।
विभाग के अधिकारियों के लिए अब भी मंत्री
राजस्व मंत्री हेमाराम के पास राजस्व, कॉलोनाइजेशन और जल संसाधन विभागों का प्रभार है। इन विभागों के अधिकारी हेमाराम चौधरी को विभाग का मंत्री मान रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि उनके पास जब तक मंत्री का इस्तीफा स्वीकार करने की सूचना नहीं आती तब तक उनके लिए वे विभागीय मंत्री हैं। ऎसे में पत्रावलियां हेमाराम चौधरी के पास ही भेजी जाएंगी। लेकिन पत्रावलियां भेजी तो जा रही हैं लेकिन उन पर मंत्री स्तर पर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। क्योंकि इस्तीफा देने के बाद मंत्री चौधरी एक बार भी जयपुर नहीं आए हैं और पत्रावलियां उनके आवास से वापस सचिवालय आ रही हैं।
जब तक इस्तीफा स्वीकार नहीं होता हेमाराम चौधरी विभाग के मंत्री हैं। उनके स्तर पर निर्णय वाली पत्रावलियों को हम उनके कार्यालय भेज देते हैं। उनके जयपुर आने के बाद ही पत्रावलियों पर निर्णय होगा। वैसे कोई बड़ा नीतिगत मामला फिलहाल मंत्री स्तर पर पेंडिग नहीं है।
तपेश पंवार, प्रमुख शासन सचिव, राजस्व विभाग
राजस्व विभाग के अधिकारी अभी भी उनको विभाग का मंत्री मान रहे हैं और मंत्री स्तर पर होने वाले नीतिगत मामलों की पत्रावलियों को हस्ताक्षर के लिए मंत्री के बंगले भेज दिया जाता है लेकिन इस्तीफे के बाद राजस्व मंत्री जयपुर नहीं आ रहे हैं और पत्रावलियों को वापस विभाग में भेजा जा रहा है। अब अधिकारी मुख्यमंत्री कार्यालय से ही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार ही कोई निर्णय ले।
न मुख्यमंत्री न आलाकमान ने माना इस्तीफा
गौरतलब है कि राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी दो सप्ताह पहले बाडमेर के लीलाला में रिफायनरी लगाने की मांग को लेकर अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को दे चुके हैं। लेकिन उनके इस्तीफे को न तो मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया है और न ही आलाकमान ने। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि उनके इस्तीफे पर अंतिम फैंसला आलाकमान करेंगी और वे उन्हें मनाने के प्रयास कर रहे हैं। ऎसे में उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है।
विभाग के अधिकारियों के लिए अब भी मंत्री
राजस्व मंत्री हेमाराम के पास राजस्व, कॉलोनाइजेशन और जल संसाधन विभागों का प्रभार है। इन विभागों के अधिकारी हेमाराम चौधरी को विभाग का मंत्री मान रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि उनके पास जब तक मंत्री का इस्तीफा स्वीकार करने की सूचना नहीं आती तब तक उनके लिए वे विभागीय मंत्री हैं। ऎसे में पत्रावलियां हेमाराम चौधरी के पास ही भेजी जाएंगी। लेकिन पत्रावलियां भेजी तो जा रही हैं लेकिन उन पर मंत्री स्तर पर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। क्योंकि इस्तीफा देने के बाद मंत्री चौधरी एक बार भी जयपुर नहीं आए हैं और पत्रावलियां उनके आवास से वापस सचिवालय आ रही हैं।
जब तक इस्तीफा स्वीकार नहीं होता हेमाराम चौधरी विभाग के मंत्री हैं। उनके स्तर पर निर्णय वाली पत्रावलियों को हम उनके कार्यालय भेज देते हैं। उनके जयपुर आने के बाद ही पत्रावलियों पर निर्णय होगा। वैसे कोई बड़ा नीतिगत मामला फिलहाल मंत्री स्तर पर पेंडिग नहीं है।
तपेश पंवार, प्रमुख शासन सचिव, राजस्व विभाग
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