कोल्हापुर कोल्हापुर में इन दिनों दो महिला पुलिस अफसरों की जोड़ी खूब चर्चा में है. मनचलों के खिलाफ उनकी कार्रवाई का तरीका कुछ ऐसा है कि अब लोग उन्हें उनके नाम से कम, बल्कि लेडी दबंग और लेडी सिंघम के नाम से ज्यादा जानने लगे हैं.
पीले रंग की सलवार-कमीज में कोल्हापुर की एडिशनल एसपी यानी बड़ी मैडम ज्योतिप्रिया सिंह हैं और जींस में हैं शहर की छोटी मैडम यानी डीएसपी वैशाली माने. इन दोनों अफसरों को अब इस शहर के लोग उनके नाम से कम, बल्कि लेडी दबंग और लेडी सिंघम के नाम से ज्यादा जानते हैं.
दोनों अफसर पहले बाइक पर और फिर दौड़ लगाकर मनचलों और असामाजिक तत्वों को पकड़ती हैं. जैसे ही कोई लड़का उनसे रेस लगाते हुए आगे निकलने की कोशिश करता है, तो मैडम का गुस्सा सीधे सातवें आसमान पर पहुंच जाता है. पहले मैडम के सिपहसालार लड़के पर हाथ साफ करते हैं और फिर छोटी मैडम भी थप्पड़ जड़कर अपना गुस्सा निकालती हैं.
दरअसल, महाराष्ट्र के शहर कोल्हापुर में पिछले कुछ दिनों से लड़कियों के स्कूल और कॉलेजों के सामने रोड साइड रोमियो और शोहदे किस्म के लड़कों के होने की कई शिकायतें सामने आई थीं. कुछ मामलों में तो लड़कियों के घरवालों ने भी पुलिस में छेड़खानी की रिपोर्ट दी थी. लेकिन स्कूल-कॉलेजों के आस-पास बढ़ रही इस तरह की परेशानियों से निबटने के लिए कोल्हापुर पुलिस की इन दो अफ़सरों ने जो तरीका ढूंढ़ निकाला, वो थोड़ा हटकर था. ये तरीका था डायरेक्ट एक्शन यानी सीधी कार्रवाई का.
दोनों मैडम बाइक पर चलती हैं छोटी मैडम यानी शहर की डीएसपी वैशाली माने मोटरसाइकिल का हैंडल थामती हैं, जबकि दुपट्टा संभालती हुई एडिशनल एसपी साहिबा ज्योतिप्रिया सिंह उनके पीछे बैठ जाती हैं.
जब दोनों बाइक पर चलती हैं तो अचानक ही लड़कों के सामने आफत बनकर खड़ी हो जाती हैं. और फिर क्या अच्छे लड़के और क्या मनचले, सवाल-जवाब के सिलसिले में जिसकी भी जुबान लड़खड़ाती है, उसे दबोच लेती हैं और जो भागने की गलती करते हैं, उन्हें फिर चांटे ही नसीब होते हैं.
जब दोनों मैडम खुद कार्रवाई करने निकलती हैं तो फिर लवाजमे का साथ हो जाना लाज़िमी है. लिहाजा, आस-पास के कई थानों की पुलिस दोनों के साथ मिशन मजनूं पर रवाना हो जाती हैं. कई जगहों पर कार्रवाई करके तकरीबन 150 से ज्यादा लड़कों की धरपकड़ के बाद मिशन मजनूं पूरा होता है. तमाम लड़कों से पूछताछ होती है और फिर चेतावनी के साथ उन्हें रिहा कर दिया जाता है.
वैसे कोल्हापुर पुलिस की इस कार्रवाई से मनचलों का हौसला कितना टूटेगा, ये तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल इस कार्रवाई के दौरान खुद पुलिस का कानून की अनदेखी करना भी एक अहम सवाल है.
यही नहीं, पुलिस ऐसे लड़कों को भी पकड़कर पीट डालती है, जो स्कूल कॉलेज के आसपास किसी अन्य काम से भी गए होते हैं. अब सवाल ये उठता है कि क्या किसी गर्ल्स कॉलेज के पास जाना या फिर वहां से गुजरना कानूनन जुर्म है? अगर नहीं, तो इन पुलिसवालों और खासकर एडिशनल एसपी ज्योतिप्रिया सिंह की मौजूदगी में डीएसपी वैशाली माने का किसी लड़के को सरेआम पीटने और जलील करने का हक किसने दिया?
पीले रंग की सलवार-कमीज में कोल्हापुर की एडिशनल एसपी यानी बड़ी मैडम ज्योतिप्रिया सिंह हैं और जींस में हैं शहर की छोटी मैडम यानी डीएसपी वैशाली माने. इन दोनों अफसरों को अब इस शहर के लोग उनके नाम से कम, बल्कि लेडी दबंग और लेडी सिंघम के नाम से ज्यादा जानते हैं.
दोनों अफसर पहले बाइक पर और फिर दौड़ लगाकर मनचलों और असामाजिक तत्वों को पकड़ती हैं. जैसे ही कोई लड़का उनसे रेस लगाते हुए आगे निकलने की कोशिश करता है, तो मैडम का गुस्सा सीधे सातवें आसमान पर पहुंच जाता है. पहले मैडम के सिपहसालार लड़के पर हाथ साफ करते हैं और फिर छोटी मैडम भी थप्पड़ जड़कर अपना गुस्सा निकालती हैं.
दरअसल, महाराष्ट्र के शहर कोल्हापुर में पिछले कुछ दिनों से लड़कियों के स्कूल और कॉलेजों के सामने रोड साइड रोमियो और शोहदे किस्म के लड़कों के होने की कई शिकायतें सामने आई थीं. कुछ मामलों में तो लड़कियों के घरवालों ने भी पुलिस में छेड़खानी की रिपोर्ट दी थी. लेकिन स्कूल-कॉलेजों के आस-पास बढ़ रही इस तरह की परेशानियों से निबटने के लिए कोल्हापुर पुलिस की इन दो अफ़सरों ने जो तरीका ढूंढ़ निकाला, वो थोड़ा हटकर था. ये तरीका था डायरेक्ट एक्शन यानी सीधी कार्रवाई का.
दोनों मैडम बाइक पर चलती हैं छोटी मैडम यानी शहर की डीएसपी वैशाली माने मोटरसाइकिल का हैंडल थामती हैं, जबकि दुपट्टा संभालती हुई एडिशनल एसपी साहिबा ज्योतिप्रिया सिंह उनके पीछे बैठ जाती हैं.
जब दोनों बाइक पर चलती हैं तो अचानक ही लड़कों के सामने आफत बनकर खड़ी हो जाती हैं. और फिर क्या अच्छे लड़के और क्या मनचले, सवाल-जवाब के सिलसिले में जिसकी भी जुबान लड़खड़ाती है, उसे दबोच लेती हैं और जो भागने की गलती करते हैं, उन्हें फिर चांटे ही नसीब होते हैं.
जब दोनों मैडम खुद कार्रवाई करने निकलती हैं तो फिर लवाजमे का साथ हो जाना लाज़िमी है. लिहाजा, आस-पास के कई थानों की पुलिस दोनों के साथ मिशन मजनूं पर रवाना हो जाती हैं. कई जगहों पर कार्रवाई करके तकरीबन 150 से ज्यादा लड़कों की धरपकड़ के बाद मिशन मजनूं पूरा होता है. तमाम लड़कों से पूछताछ होती है और फिर चेतावनी के साथ उन्हें रिहा कर दिया जाता है.
वैसे कोल्हापुर पुलिस की इस कार्रवाई से मनचलों का हौसला कितना टूटेगा, ये तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल इस कार्रवाई के दौरान खुद पुलिस का कानून की अनदेखी करना भी एक अहम सवाल है.
यही नहीं, पुलिस ऐसे लड़कों को भी पकड़कर पीट डालती है, जो स्कूल कॉलेज के आसपास किसी अन्य काम से भी गए होते हैं. अब सवाल ये उठता है कि क्या किसी गर्ल्स कॉलेज के पास जाना या फिर वहां से गुजरना कानूनन जुर्म है? अगर नहीं, तो इन पुलिसवालों और खासकर एडिशनल एसपी ज्योतिप्रिया सिंह की मौजूदगी में डीएसपी वैशाली माने का किसी लड़के को सरेआम पीटने और जलील करने का हक किसने दिया?
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