रविवार, 18 अगस्त 2013

सीमन्धर स्वामी की महाविदेह क्षेत्र की भाव यात्रा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब


सीमन्धर स्वामी की महाविदेह क्षेत्र की भाव यात्रा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब







सीमन्धर स्वामी की महाविदेह क्षेत्र की भाव यात्रा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
बाड़मेर।
थार नगरी बाड़मेर में चातुर्मासिक धर्म आराधना के दौरान स्थानीय श्री जिनकांतिसागरसूरि आराधना भवन में विराजित प्रखर व्याख्यात्री साध्वीवर्या श्री प्रियरंजनाश्रीजी म.सा. की पावन प्रेरणा से एवं साधना भवन में विराजित साध्वीवर्या नंदीक्षेणाश्रीजी आदि ठाणा के पावन सानिध्य में रविवार को आराधना भवन में सीमन्धर स्वामी के महाविदेह क्षेत्र की भाव यात्रा में श्रद्धा का सैलाब उमड़ा पड़ा।
खरतरगच्छ चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष मांगीलाल मालू व उपाध्यक्ष भूरचन्द संखलेचा ने बताया कि आज प्रातः 8.30 बजे साध्वीवर्या के साथ श्रद्धालु भाव यात्रा के लाभार्थी परिवार मदनलाल सगतमल मालू परिवार द्वारा विनती पर उनके निवास पर पधारे। वहां पर स्वागत सामैया तथा अक्षत की गहुली कर वधाया गया। इसके बाद साध्वीवर्या के केसर, चंदन एवं कुमकुम के पगलिये करवाये तथा मंगलाचरण कर संघ पूजन कर गाजे-बाजे, ढोल-नगाड़े के साथ मंगलगीत गाती महिलाओं के साथ सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु तथा यात्रा के लाभार्थी परिवार सहित भाव यात्रा आराधना भवन पहुंची।
खरतरगच्छ चातुर्मास कमेटी के महामंत्री नेमीचन्द बोथरा ने बताया कि भाव यात्रा के आराधना भवन पहुंचने के बाद साध्वीवर्या के मंगलाचरण से महाविदेह क्षेत्र की भाव यात्रा का आगाज हुआ। सीमन्धर स्वामी के समोवसरण को फूलों एवं हीरे जवाहरात तथा रंगीन पन्नों से सुंदरता से सजाया गया था।
साध्वीवर्या प्रियरंजनाश्रीजी ने चातुर्मास के अट्ठाइसवें दिन महाविदेह क्षेत्र की भाव यात्रा करवाते हुए कहा कि वो ऐसा क्षेत्र है जहां हम जा नहीं सकते। लेकिन मन के द्वारा शुभ भावों के द्वारा हम वहां पहुंच सकते हैं। भाव यात्रा के द्वारा परमात्मा से विनती करते हुए कहा है कि परमात्मा, इस संसार चक्र में परिभ्रमण करके मैं थक गया हूं। प्रभु, तू तो सर्व जानता है। मेरे जीवन चरित्र से तुम अंजान नहीं हो। जब कोई एक आत्मा सिद्धगति में जाता है तब एक आत्मा निगोद से बाहर निकलता है। बाद में बादर स्थावर से घूमता है। गाजर-मूली बन कर लोगों के दांतों से चबाया गया। विकलेन्द्रिय में संख्यात काल बिताया, वहां भी स्थिरता नहीं, कीड़ी-मकोड़े बनकर निर्धार बनकर बिना रास्ते के चला। सपाट तीव्रगति से दौड़ती गाड़ियों के नीचे स्वाहा हो गया। प्रभु जी कुछ शुभ कर्मों के उदय से पंचेन्द्रियपन पाया लेकिन नरक में 33 सागरोपम का आयुष्य कर्म की सजा भोगी। परमाधामी की वेदना सहन की। क्षेत्रजन्य वेदना पीड़ा नरक में सहन की। नरक के दारूण्य दुःख का वर्णन करे तो रोम-रोम खड़े हो जाये। वहां से तिर्यंच गति में गया। मछली बना क्रूर कसाईयों के हाथों से छेदन-भेदन सहते हुए आंखों में आंसू आने पर वहां कोई भी आंसू पोंछने वाला नहीं था। हे परमात्मा, तिर्यंच से निकलकर देवलोक में गया। वहां सुंदर सुखों में समय बिताया, मृत्यु आने की जानकारी से दुःख हुआ। क्या यह सभी छोड़कर जाना पड़ेगा। कुछ पुण्योदय से मानव जीवन मिला। परन्तु देश अनार्य! हे नाथ! वहां आपके दर्शन दुर्लभ। प्रभु मेरे भरत क्षेत्र में अरिहंत प्रभु का विरह है। प्रभु मेरे! भरत क्षेत्र में अरिहंत प्रभु का विरह है। प्रभु मैं तेरे चरणों में आ रहा है। प्रभु मेरी विनती को स्वीकार करके मुझे भव अटनी से पार उतारिये।
उन्होनें कहा कि भरत क्षेत्र से महाविदेह क्षेत्र 19 करोड़ 31 लाख 50 हजार किलोमीटर दूर है। वहां पहुंचने के लिये असंख्य क्षेत्र पर्वत, नदी, नालों को पार करके जाना पड़ता है। महाविदेह क्षेत्र पहुंचने के बीच में अष्टापद पर्वत, वैतादय पर्वत, लघु हिमवंत पर्वत पर स्वर्ण-चांदी के मंदिर एवं प्रतिमाएं हैं। वहां उन सभी को वंदन णमो जिणाणं आदि करते हुए वहां पहुंचे।
ऐसी भाव यात्रा करते समय सभी के चेहरों पर आनंद खुशियां झलक रही थी। तीन घंटे तक सभी अपनी आंखों पर पट्टियां बांध स्थिरता के साथ बैठे रहे। भाव यात्रा के साथ-साथ संगीत लयबद्ध चल रहा था। एकतान बनकर सभी भक्ति में सराबोर हो रहे थे।
इस अवसर पर भाव यात्रा के लाभार्थी मदनलाल सगतमल मालू परिवार का खरतरगच्छ संघ द्वारा बहुमान किया गया। भाव यात्रा में शहर के विशिष्ट गणमान्य लोगों के साथ सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आनंद लिया। भाव यात्रा समाप्ति के बाद लाभार्थी परिवार द्वारा प्रभावना दी गई।


बच्चों का शिविर सम्पन्न-
स्थानीय आराधना भवन में पूज्य साध्वीवर्या प्रियरंजनाश्री म.सा. की निश्रा में, डाॅ. प्रियदिव्यांजनाश्री म.सा. एवं साध्वी प्रियशुभांजनाश्री म.सा. के सानिध्य में बच्चों का शिविर सम्पन्न हुआ।
शिविर में साध्वी श्री ने बच्चों को रात्रि भोजन त्याग की महिमा बताई तथा कर्मों की महिमा समझाकर पाप से भयभीत बनकर धर्म को समझने का प्रयास किया। इसके अतिरिक्त बच्चों को सुसंस्कार एवं धर्म के बारे में भी जानकारी दी। इससे पहले आठ सौ बच्चों ने एकासन किये। रविवारीय प्रतियोगियों को पुरस्कार भी घोषित किये गये।शिविर में बच्चों की भारी उपस्थिति रही। शिविर समाप्ति के बाद बच्चों को प्रभावना दी गई।

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