रविवार, 18 अगस्त 2013

मैं निकलूंगा तो फिर धमाके करूंगा: टुंडा

नई दिल्ली।। भारत को मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में एक अब्दुल करीम टुंडा ने दिल्ली पुलिस के सामने पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाले राज उगले हैं। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम का खास लश्कर-ए-तैबा के आतंकवादी टुंडा ने खुलासा किया है कि उसने ही हाफिज सईद को दाऊद से मिलवाया था। इतना ही नहीं टुंडा ने यह भी बताया है कि दाऊद अब भी पाकिस्तान के कराची में ही रह रहा है। वह कभी-कभार कराची से बाहर जाता है। टुंडा को अपने किए पर पछतावा भी नहीं है। उसने कहा कि जब मैं निकलूंगा तो फिर धमाके करूंगा। हालंकि, टुंडा के इस कबूलनामे की अभी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। गौरतलब है कि टुंडा को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने शनिवार को भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया था। टुंडा पर देश में हुए 40 से ज्यादा बम ब्लास्ट की साजिश रचने का आरोप है।

न्यूज चैनलों के मुताबिक, अब्दुल करीम टुंडा ने पूछताछ में बताया है कि वह पाकिस्तान के कराची में रहता था। सूत्रों के मुताबिक उसने बताया है कि उसका एक ठिकाना पाकिस्तान का मुरिदके था, जहां जमात−उद−दावा और लश्कर−ए−तैबा का हेडक्वॉर्टर है। टुंडा ने यह भी माना है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में उसने आतंकियों को बम बनाने की ट्रेनिंग दी। टुंडा का कहना है कि इस दौरान कई बार लश्कर के चीफ आजम चीमा और जकी−उर−रहमान लखवी मौजूद रहे। टुंडा ने यह भी बताया है कि 26/11 के मुंबई हमले के ठीक पहले उसने लखवी से मुलाकात की थी। लखवी 26/11 के मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं में से एक है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक टुंडा ने यह भी बताया है कि 2002 के बाद से वह फर्जी नोटों के रैकेट में भी शामिल रहा है।

पूछताछ के दौरान टुंडा ने लश्कर-ए-तैबा की साजिशों का खुलासा भी किया है। टुंडा ने लश्कर को आर्थिक मदद देने वालों के बारे में भी पुलिस को जानकारी दी है। वह अंग्रेजी या फिर ऊर्दू में बात कर रहा है। दिल्ली पुलिस उससे आईएसआई की गतिविधियों के बारे में भी जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रही है। हालांकि, कुछ पुलिस अधिकारियों का मानना है कि टुंडा सही-सही जानकारी नहीं दे रहा है। वह पूछताछ टीम को भटकाने की कोशिश कर रहा है। गौरतलब है कि 2001 में संसद भवन पर हुए हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकवादियों के प्रत्यर्पण की मांग की थी, टुंडा उनमें से एक था। इस सूची में लश्कर प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद और जैश-ए-मोहम्मद चीफ मौलाना अजहर मसूद के नाम भी हैं।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के पिलखुआ के रहने वाले टुंडा ने 6 दिसंबर 1993 को इंटरसिटी ट्रेनों में भी ब्लास्ट किए, जिसमें 2 लोग मारे गए थे। बम बनाने में मास्टर होने के अलावा टुंडा की जम्मू-कश्मीर के बाहर लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क का प्रचार-प्रसार करने में अहम भूमिका रही। इस आतंकी संगठन से जुड़ने से पहले वह 1980 के दशक के शुरू में होमियोपथी की एक दुकान चलाता था।

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