भीलवाड़ा। राजस्थान के पंचों ने तुगलकी फरमान जारी कर एक दलित समुदाय का जीना मुहाल कर दिया है। भीलवाड़ा जिले की आसिंद स्थित श्योपुरा गांव के पंचों के इस फरमान के बाद रंगा स्वामी समाज के 13 परिवारों को गांव से बहिष्कृत कर दिया गया है। अब इन परिवारों नेगांव के पास करणी सराय में शरण ले रखी है।
उधर,जिला प्रशासन को जैसे ही मामले की जानकारी मिली बहिष्कृत परिवारों की मदद के लिए टीम रवाना कर दी। फिलहाल,एसडीएम समेते कई आला अधिकारी आसिंद में पीडित परिवारों के बीच पहुंच चुके हैं और समझा-बूझाकर मामला शांत करने की कोशिश में जुटे हैं।
जानकारी के अनुसार आसिंद पंचायत समिति के गांव श्योपुरा में विभिन्न जाति और समुदायों के लोग एक साथ रहते हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षो से यहां रंगास्वामी समुदाय के परिवारों को लेकर गांव में असंतोष पनपा हुआ है। रंगास्वामी परिवार पूर्व में सारंगी बजाकर खानाबदोश की तरह जीवन यापन करते थे। लेकिन समय के साथ उन्होंने पम्परागत धंधा छोड़ दिया और अब पशुओं की खरीद-फरोख्त का व्यवसाय करने लगे हैं। यह कारोबार भी गांववालों के बीच विवाद का एक कारण रहा है।
उधर,जिला प्रशासन को जैसे ही मामले की जानकारी मिली बहिष्कृत परिवारों की मदद के लिए टीम रवाना कर दी। फिलहाल,एसडीएम समेते कई आला अधिकारी आसिंद में पीडित परिवारों के बीच पहुंच चुके हैं और समझा-बूझाकर मामला शांत करने की कोशिश में जुटे हैं।
जानकारी के अनुसार आसिंद पंचायत समिति के गांव श्योपुरा में विभिन्न जाति और समुदायों के लोग एक साथ रहते हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षो से यहां रंगास्वामी समुदाय के परिवारों को लेकर गांव में असंतोष पनपा हुआ है। रंगास्वामी परिवार पूर्व में सारंगी बजाकर खानाबदोश की तरह जीवन यापन करते थे। लेकिन समय के साथ उन्होंने पम्परागत धंधा छोड़ दिया और अब पशुओं की खरीद-फरोख्त का व्यवसाय करने लगे हैं। यह कारोबार भी गांववालों के बीच विवाद का एक कारण रहा है।
चोरी के आरोपों से घिरे परिवार
स्थानीय सूत्रों के अनुसार गांव से बहिष्कृत परिवार और गांव वालों के बीच लम्बे समय से अनबन रही है। गांव वालों कई बार आरोप लगा चुके हैं कि गांव में होने वाली चोरियों के पीछे रंगास्वामी परिवारों का हाथ रहा है। इसकों लेकर कई बार पुलिस केस भी हो चुके हैं। यहीं नहीं गांव के चारागाह भी इन परिवारों की वजह से बर्बाद हो जाते हैं। पंचों की माने तो गांव के चारागाह गांव वालों के पशुओं के लिए न कि इन परिवारों के कारोबार के लिए। ये परिवार पशुधन का कारोबार करते हैं और सैकड़ों पशु गांव में डेरा जमाए रहते हैं, जो गांव के पशुओं के हक वाले चारागाह चट कर जाते हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार गांव से बहिष्कृत परिवार और गांव वालों के बीच लम्बे समय से अनबन रही है। गांव वालों कई बार आरोप लगा चुके हैं कि गांव में होने वाली चोरियों के पीछे रंगास्वामी परिवारों का हाथ रहा है। इसकों लेकर कई बार पुलिस केस भी हो चुके हैं। यहीं नहीं गांव के चारागाह भी इन परिवारों की वजह से बर्बाद हो जाते हैं। पंचों की माने तो गांव के चारागाह गांव वालों के पशुओं के लिए न कि इन परिवारों के कारोबार के लिए। ये परिवार पशुधन का कारोबार करते हैं और सैकड़ों पशु गांव में डेरा जमाए रहते हैं, जो गांव के पशुओं के हक वाले चारागाह चट कर जाते हैं।
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