मेलनर्स ने की आत्महत्या, परिजन बोले- ड्यूटी पर किया जाता था परेशान
१०८ एंबुलेंस पर कार्यरत था मेलनर्स, आबूरोड में ट्रेन के आगे कूदकर दी जान।
साथी कार्मिकों और परिजनों ने लगाए ड्यूटी पर अधिकारियों द्वारा परेशान करने के आरोप।
कालंद्री. किवरली के निकट शुक्रवार को एक युवक ने ट्रेन के सामने आकर आत्महत्या कर ली। युवक १०८ एंबुलेंस में मेल नर्स के रुप में कार्यरत था। जीआरपी के अनुसार कालंद्री निवासी मजीद खां (२५) पुत्र सुभान खां ने जोधपुर अहमदाबाद के सामने आकर जान दे दी। घटना के बाद जीआरपी मौके पर पहुंची और शव को मोर्चरी में रखवाया। शनिवार को मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इधर, इस मामले में १०८ एंबुलेंस के स्टाफ और मृतक के परिजनों ने बताया कि मजीद अधिकारी द्वारा अनावश्यक रुप से परेशान करने के कारण तनाव में था। ऐसे में उसने यह कदम उठाया। इस संबंध में कार्मिकों ने सीएमएचओ को एक ज्ञापन भी सौंपा। जानकारी के अनुसार मजीद खां शुक्रवार को आबूरोड में ड्यूटी के लिए गया हुआ था। वहीं पर उसने ट्रेन के सामने आकर आत्महत्या कर ली। सूचना के बाद जीआरपी मौके पर पहुंची और शव को मोर्चरी में रखवाया। शनिवार को परिजनों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया गया। जिसके बाद परिजन शव का कालंद्री लेकर आए। जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया।
साथी कार्मिकों ने सौंपा ज्ञापन
इस मामले में जिले में १०८ एंबुलेंस के कार्मिकों ने सीएमएचओ को ज्ञापन सौंपकर बताया है कि मजीद खां ड्यूटी को लेकर परेशान था। उसे कुछ समय से परेशान किया जा रहा था। ज्ञापन में बताया गया है कि १०८ सेवा के जिला प्रभारी अशोक थांकी सभी स्टाफ को मानसिक रुप से परेशान करता है। ऐसे में जिला प्रभारी को हटाने की कार्रवाई की जाए।
मिला है ज्ञापन
॥एंबुलेंस १०८ के कार्मिक मेरे पास आए थे। उन्होंने इस संबंध में ज्ञापन सौंपा है। मामले की जांच की जाएगी और इस संबंध में सोमवार को जयपुर रिपोर्ट भेजी जाएगी। -डॉ. सुशील परमार, सीएमएचओ, सिरोही
एक माह पहले ही हुआ गौना
मजीद खां सुभान खां का सबसे छोटा बेटा था। करीब सात माह पहले उसकी शादी हुई थी और एक माह पहले ही गौना हुआ था। घर में इस खुशी को बमुश्किल एक महीना ही बीता था कि यह घटना हो गई। ऐसे में घर में सब का रो-रो कर बुरा हाल था।
कुछ समय से परेशान था
मृतक के पिता सुभान खान ने बताया कि मजीद अपनी ड्यूटी को लेकर पिछले कुछ दिन से परेशान और तनाव में था। उन्होंने बताया कि कालंद्री में निवास होने के बावजूद उसकी ड्यूटी माउंट आबू में लगा दी गई। उसे पारिश्रमिक के तौर पर मात्र पांच हजार रुपए दिए जाते थे, लेकिन तीन माह से उसे वेतन भी नहीं दिया गया।
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