बिल से खाना प्लेट में पहुंच जाएगा?
पुणे। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को लेकर केन्द्र की यूपीए पर निशाना साधा। मोदी ने कहा कि सरकार यह सोचती है कि खाद्य सुरक्षा बिल लाने से ही जरूरतमंद लोगों तक खाना पहुंच जाएगा।
पुणे के फग्र्यूसन कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि दिल्ली की सरकार यह सोचती है कि खाद्य सुरक्षा बिल लाने से ही आपकी प्लेट में खाना पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि दूसरों की सत्ता में रूचि है जबकि मेरी भारतीयों के सशक्तिकरण में दिलचस्पी है।
गौरतलब है कि खाद्य सुरक्षा यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। खाद्य सुरक्षा बिल पर सहमति नहीं बनने के कारण कैबिनेट ने अध्यादेश लाने को मंजूरी दी थी।
"वेस्टर्न नहीं,मॉर्डन एजुकेशन चाहिए"
मोदी ने कहा कि हमारी शिक्षा मेन मेकिंग थी लेकिन उसे मनी मेकिंग बना दिया गया है। शिक्षा व्यवस्था की हालत पहले से बदतर हुई। जिस तरह अमरीका की शिक्षा व्यवस्था में सर्वागीण विकास के अवसर मिलते हैं उसी तरह हमारे गुरूकुलों में राजा और प्रजा को एक साथ शिक्षा प्राप्त करने की व्यवस्था थी लेकिन आज छात्रों को सर्वागीण विकास के लिए उचित शिक्षा नहीं मिल रही है।
मोदी ने कहा कि मैं सोशल मीडिया खासतौर पर टि्वटर पर बहुत एक्टिव हूं। सोशल मीडिया के जरिए देश के कोने-कोने के छात्रों का मुझसे संपर्क होता है। मैंने युवाओं से सुझाव मांगे थे। करीब 2500 युवाओं ने मुझे सुझाव भेजे। मेरे भाषण में कई विचार उन युवाओं के हैं। आगे भी मुझे आपका मार्गदर्शन चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश की 65 फीसदी जनसंख्या युवा है। यही देश और दुनिया को बहुत कुछ दे सकता है,लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत है।
युवाओं की राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका है। युवा देश के बारे में सोचता है। वह कुछ करना चाहता है। नौजवानों के पास सपने हैं,उमंग है लेकिन देश में निराशा का माहौल है। देश को इस माहौल से निकालना होगा। 120 करोड़ के देश में जब एक भी खिलाड़ी मेडल नहीं जीत पाता तो बहुत निराशा होती है। हमने अब तक अपनी युवा पीढ़ी को कोई अवसर नही दिया। युवाओं को आगे ले जाने के लिए सोच चाहिए।
1200 साल की गुलामी के बावजूद देश सीना तानकर खड़ा है। गुलामी के दौर में अंग्रेजों को ललकारने का साहस लोकमान्य बाल गंगाधकर तिलक ने दिखाया था। इस मंच से मैं राजनितिक बयान नहीं देना चाहता हूं लेकिन हमें यह सोचना होगा कि क्या हमने अपने पूर्वजों के सपनों को पूरा किया है।
पुणे। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को लेकर केन्द्र की यूपीए पर निशाना साधा। मोदी ने कहा कि सरकार यह सोचती है कि खाद्य सुरक्षा बिल लाने से ही जरूरतमंद लोगों तक खाना पहुंच जाएगा।
पुणे के फग्र्यूसन कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि दिल्ली की सरकार यह सोचती है कि खाद्य सुरक्षा बिल लाने से ही आपकी प्लेट में खाना पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि दूसरों की सत्ता में रूचि है जबकि मेरी भारतीयों के सशक्तिकरण में दिलचस्पी है।
गौरतलब है कि खाद्य सुरक्षा यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। खाद्य सुरक्षा बिल पर सहमति नहीं बनने के कारण कैबिनेट ने अध्यादेश लाने को मंजूरी दी थी।
"वेस्टर्न नहीं,मॉर्डन एजुकेशन चाहिए"
मोदी ने कहा कि हमारी शिक्षा मेन मेकिंग थी लेकिन उसे मनी मेकिंग बना दिया गया है। शिक्षा व्यवस्था की हालत पहले से बदतर हुई। जिस तरह अमरीका की शिक्षा व्यवस्था में सर्वागीण विकास के अवसर मिलते हैं उसी तरह हमारे गुरूकुलों में राजा और प्रजा को एक साथ शिक्षा प्राप्त करने की व्यवस्था थी लेकिन आज छात्रों को सर्वागीण विकास के लिए उचित शिक्षा नहीं मिल रही है।
मोदी ने कहा कि मैं सोशल मीडिया खासतौर पर टि्वटर पर बहुत एक्टिव हूं। सोशल मीडिया के जरिए देश के कोने-कोने के छात्रों का मुझसे संपर्क होता है। मैंने युवाओं से सुझाव मांगे थे। करीब 2500 युवाओं ने मुझे सुझाव भेजे। मेरे भाषण में कई विचार उन युवाओं के हैं। आगे भी मुझे आपका मार्गदर्शन चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश की 65 फीसदी जनसंख्या युवा है। यही देश और दुनिया को बहुत कुछ दे सकता है,लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत है।
युवाओं की राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका है। युवा देश के बारे में सोचता है। वह कुछ करना चाहता है। नौजवानों के पास सपने हैं,उमंग है लेकिन देश में निराशा का माहौल है। देश को इस माहौल से निकालना होगा। 120 करोड़ के देश में जब एक भी खिलाड़ी मेडल नहीं जीत पाता तो बहुत निराशा होती है। हमने अब तक अपनी युवा पीढ़ी को कोई अवसर नही दिया। युवाओं को आगे ले जाने के लिए सोच चाहिए।
1200 साल की गुलामी के बावजूद देश सीना तानकर खड़ा है। गुलामी के दौर में अंग्रेजों को ललकारने का साहस लोकमान्य बाल गंगाधकर तिलक ने दिखाया था। इस मंच से मैं राजनितिक बयान नहीं देना चाहता हूं लेकिन हमें यह सोचना होगा कि क्या हमने अपने पूर्वजों के सपनों को पूरा किया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें