युवती को साधु संग जाने की अनुमति
जोधपुर। साधु के सम्पर्क में आने के बाद भीलवाड़ा के गंगापुर निवासी एक युवती के सन्यासिन बनने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को युवती को साधु के सान्निध्य में उसके आश्रम में रहने की अनुमति दे दी है। वरिष्ठ न्यायाधीश नरेन्द्र कुमार जैन व न्यायाधीश अरूण भंसाली की खण्डपीठ में बुधवार को युवती ने पेश होकर कहा कि वह बालिग है और अपनी इच्छा से बाबा के सान्निध्य में जीवन गुजारना चाहती है। जबकि राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद पुरोहित व उनके सहयोगी प्रद्युम्नसिंह ने कहा कि यहां पर एक महिला रामद्वारा भी है, जहां पर सिर्फ महिलाएं रहती हैं।
सरकार इस युवती के रहने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था भी कर सकती है। ताकि वह कुछ समय के लिए बाबा के प्रभाव से दूर रहे। उनका यह भी कहना था कि यह मामला अभी एकलपीठ में विचाराधीन है। दोनो पक्षों की सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने कहा कि युवती बालिग है तो वह अपनी इच्छानुसार साधु के साथ जा सकती है। कोर्ट ने पुलिस को सुरक्षा के साथ युवती को बाबा के आश्रम में छोड़ने का आदेश दिया। इसके साथ ही खण्डपीठ ने याचिका का निस्तारण कर दिया।
यह था मामला
भीलवाड़ा जिले की सहाड़ा तहसील के गंगापुर गांव निवासी 22 वर्षीय युवती की ओर से अधिवक्ता भरत देवासी ने याचिका दायर कर न्यायालय में कहा कि आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन करने के बाद उसे संसार से वैराग्य हो गया है। वह जोधपुर के बनाड़ निवासी साधु समरथराम के सान्निध्य में अपना जीवन गुजारना चाहती है। उसके माता-पिता उसे संन्यासिनी बनने से रोक रहे हैं। जबकि उसके माता-पिता का कहना था कि साधु ने उनकी बेटी को हिप्नोटाइज कर रखा है।
जिसके कारण वह वैसा ही कह रही है, जैसा साधु चाहता है। सुनवाई के बाद न्यायाधीश प्रतापकृष्ण लोहरा ने युवती को नारी निकेतन भेजने का आदेश देते हुए साधु के चरित्र के बारे में पड़ताल कर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। जिसको युवती ने खण्डपीठ में चुनौती दी थी। अब खण्डपीठ ने याचिका का निस्तारण कर दिया है। लेकिन एकलपीठ में इस पर सुनवाई फिलहाल जारी रहेगी।
जोधपुर। साधु के सम्पर्क में आने के बाद भीलवाड़ा के गंगापुर निवासी एक युवती के सन्यासिन बनने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को युवती को साधु के सान्निध्य में उसके आश्रम में रहने की अनुमति दे दी है। वरिष्ठ न्यायाधीश नरेन्द्र कुमार जैन व न्यायाधीश अरूण भंसाली की खण्डपीठ में बुधवार को युवती ने पेश होकर कहा कि वह बालिग है और अपनी इच्छा से बाबा के सान्निध्य में जीवन गुजारना चाहती है। जबकि राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद पुरोहित व उनके सहयोगी प्रद्युम्नसिंह ने कहा कि यहां पर एक महिला रामद्वारा भी है, जहां पर सिर्फ महिलाएं रहती हैं।
सरकार इस युवती के रहने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था भी कर सकती है। ताकि वह कुछ समय के लिए बाबा के प्रभाव से दूर रहे। उनका यह भी कहना था कि यह मामला अभी एकलपीठ में विचाराधीन है। दोनो पक्षों की सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने कहा कि युवती बालिग है तो वह अपनी इच्छानुसार साधु के साथ जा सकती है। कोर्ट ने पुलिस को सुरक्षा के साथ युवती को बाबा के आश्रम में छोड़ने का आदेश दिया। इसके साथ ही खण्डपीठ ने याचिका का निस्तारण कर दिया।
यह था मामला
भीलवाड़ा जिले की सहाड़ा तहसील के गंगापुर गांव निवासी 22 वर्षीय युवती की ओर से अधिवक्ता भरत देवासी ने याचिका दायर कर न्यायालय में कहा कि आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन करने के बाद उसे संसार से वैराग्य हो गया है। वह जोधपुर के बनाड़ निवासी साधु समरथराम के सान्निध्य में अपना जीवन गुजारना चाहती है। उसके माता-पिता उसे संन्यासिनी बनने से रोक रहे हैं। जबकि उसके माता-पिता का कहना था कि साधु ने उनकी बेटी को हिप्नोटाइज कर रखा है।
जिसके कारण वह वैसा ही कह रही है, जैसा साधु चाहता है। सुनवाई के बाद न्यायाधीश प्रतापकृष्ण लोहरा ने युवती को नारी निकेतन भेजने का आदेश देते हुए साधु के चरित्र के बारे में पड़ताल कर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। जिसको युवती ने खण्डपीठ में चुनौती दी थी। अब खण्डपीठ ने याचिका का निस्तारण कर दिया है। लेकिन एकलपीठ में इस पर सुनवाई फिलहाल जारी रहेगी।
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