मिस्र में प्रधानमंत्री पद पर नियुक्ति को लेकर आम सहमति बनाने की कोशिशें जारी हैं। उदारवादी नेता मोहम्मद अल-बरदेई का नाम अभी तक सबसे आगे हैं। हालांकि कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टियां और बर्खास्त राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी के समर्थक उनका विरोध कर रहे हैं। नूर पार्टी की अल-बरदेई को लेकर आपत्ति से सेना की राजनीतिक समाधान की कोशिशों को झटका लगा है। कट्टरपंथी इस्लामी नूर पार्टी मुस्लिम ब्रदरहुड के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है।
मिस्र में सेना ने संविधान भंग कर राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी को हटा दिया है। इसके विरोध और समर्थन में मिस्र में जगह-जगह हिंसा हो रही है। शुक्रवार को पूरे देश में हुई हिंसा में 37 लोग मारे गए थे और 1400 लोग घायल हो गए थे। सबसे ज्यादा हिंसा एलेक्जेंड्रिया में हुई है। वहां 14 लोगों की मौत हो चुकी है। तहरीर चौक पर भी दो लोगों के मारे जाने की खबर है, जहां प्रदर्शन के दौरान महिलाओं के यौन उत्पीड़न की घटनाएं सामने आई हैं।
पिछले दिनों तहरीर चौक पर ही डच मूल की एक महिला पत्रकार के साथ गैंगरेप हुआ था। जिस वक्त यह वारदात हुई, उस समय वहां हजारों प्रदर्शनकारी मौजूद थे। महिला हिंसा विरोधी ग्रुप के लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका ऑपरेशन करना पड़ा। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बीते रविवार (30 जून) से शुरू इन विरोध-प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 91 महिलाओं के साथ या तो बलात्कार हुआ या यौन उत्पीड़न किया गया। ऐसी घटनाएं सामने आने के बाद एक स्थानीय महिला ने अपनी आपबीती बयां की है। यास्मीन अल बारामावी नाम की यह महिला नवम्बर 2012 में 'अरब स्प्रिंग' के दौरान तहरीर चौक पर गैंगरेप की शिकार हुई थी।
मिस्र में सेना ने संविधान भंग कर राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी को हटा दिया है। इसके विरोध और समर्थन में मिस्र में जगह-जगह हिंसा हो रही है। शुक्रवार को पूरे देश में हुई हिंसा में 37 लोग मारे गए थे और 1400 लोग घायल हो गए थे। सबसे ज्यादा हिंसा एलेक्जेंड्रिया में हुई है। वहां 14 लोगों की मौत हो चुकी है। तहरीर चौक पर भी दो लोगों के मारे जाने की खबर है, जहां प्रदर्शन के दौरान महिलाओं के यौन उत्पीड़न की घटनाएं सामने आई हैं।
पिछले दिनों तहरीर चौक पर ही डच मूल की एक महिला पत्रकार के साथ गैंगरेप हुआ था। जिस वक्त यह वारदात हुई, उस समय वहां हजारों प्रदर्शनकारी मौजूद थे। महिला हिंसा विरोधी ग्रुप के लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका ऑपरेशन करना पड़ा। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बीते रविवार (30 जून) से शुरू इन विरोध-प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 91 महिलाओं के साथ या तो बलात्कार हुआ या यौन उत्पीड़न किया गया। ऐसी घटनाएं सामने आने के बाद एक स्थानीय महिला ने अपनी आपबीती बयां की है। यास्मीन अल बारामावी नाम की यह महिला नवम्बर 2012 में 'अरब स्प्रिंग' के दौरान तहरीर चौक पर गैंगरेप की शिकार हुई थी।
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