शनिवार, 8 जून 2013

मालाणी धरा पर शुरू हुआ राजस्थानी महोत्सव

मालाणी धरा पर शुरू हुआ  राजस्थानी महोत्सव

वोट पर चोट करने का आह्वान 


 
  बाड़मेर. राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता की मांग को लेकर शनिवार   को बाड़मेर के महात्मा ईसरदास चारण छात्रावास परिसर में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति महोत्सव के पहले दिन संघर्ष और सम्मान सत्र का आयोजन हुआ .  ।इस महोत्सव के सम्मान तथा संघर्ष सत्र की अध्यक्षता पूर्व विधायक तथा पूर्व आईएएस सीडी देवल ने की । वहीं राज्यसभा के पूर्व सांसद तथा वर्तमान में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत, राज्य वित्त आयोग अध्यक्ष बी. डी. कल्ला,  राजस्थानी साहित्यकार तथा शिक्षाविद् प्रो. भंवरसिंह सामौर, पद्मश्री सूर्यदेवसिंह,   तथा संघर्ष समिति के संस्थापक लक्ष्मन दान  कविया ,संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी पूर्व विधायक शिव हरी सिंह सोढा शिव पूर्व प्रधान गिरधारिदान ,मुरारदान भीनमाल ,अमिता चौधरी ,वरिष्ठ पत्रकार पदम् मेहता ,मुराद अली अबडा विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित थे  । शनिवार प्रातः दस बजे महोत्सव का आगाज़  किया गया  .महोत्सव में हज़ारो की तादाद में राजस्थानी भाषा प्रेमी उपस्थित थे.भीषण गर्मी की परवाह किये बिना लोगो का हुजूम उमड़ पडा .



  महोत्सव में बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, पाली, जालौर, सिरोही, नागौर, बीकानेर चुरू ,अलवर ,उदयपुर जिलों सहित राज्य के अन्य हिस्सों एवं सीमावर्ती राज्यों से भी हजारों की तादाद में लोग जुटें  तथा राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता के लिए आर-पार की लड़ाई का आगाज 'कह दो आ डंकै री चोट, पैली भाषा - पछै वोट', 'जो राजस्थानी री बात करैला, वो राजस्थान पै राज करैला' तथा 'मायड़भाषा रो अपमान, नहीं सहैला राजस्थान' नारों के साथ किया । 

 संघर्ष सत्र को संबोधित करते हुए समारोह के मुख्य वक्ता राज्य वित् आयोग के अध्यक्ष डॉ बी डी कल्ला ने कहा कि राजस्थानी महज़ भाषा नहीं हमारी संस्कृति और पहचान हें ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिये राज्य सरकार द्वारा दो हज़ार तीन में ही विधानसभा से संकल्प प्रस्ताव पारित करा संसद तक भिजवा दिया तब से अब तक प्रस्ताव संसद में ही हिचकोले खा रहा हें ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा की मान्यता कमेटियों में उलझ कर रह गयी हें ,उन्होंने कहा की मान्यता के लिए दिल्ली चलन पड़े तो हम पीछे नहीं हटेंगे उन्होंने कहा की प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति से मिल कर राजस्थानी भाषा की मान्यता के प्रयास किये जाए ,राजस्थानी भाषा की मान्यता के मुद्दे पर हम सब एक हें .इसके लिए जो भी करना पड़े करेंगे लेकिन मान्यता हर हाल में लेकर रहेंगे .सम्मलेन को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक तथा पूर्व आईएएस सीडी देवल ने कहा की राज्य के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत बाड़मेर में रिफायनरी ला सकते हें तो राजस्थानी भाषा को मान्यता भी दिला सकते हें .उन्होंने कहा की अब समय आ गया हें राजनेताओं को उनकी भास्झा में जनता जवाब दे ,जो राजस्थानी को मान्यता दिलाएगा वोट भी उसी को देंगे ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा की मान्यता का  रास्ता दस जनपथ पर हें और दस जनपथ अशोक गहलोत की जेब में हें .उन्होंने कहा अब सभी का एक ही मकसद हें राजस्थानी भाषा को मान्यता . भी मिले हम लेकर रहेंगे .जिस भाषा में सरकारें समझेगी उसी भाषा में समझायेंगे . इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत ने कहा की राजस्थानी भाषा समिति को नेताओ पर दबाव बनाये .उन्होंने कहा की नेता  वोट की चोट को ही समझती हें .चुनाव आने वाले हें .हर घर के आगे बोर्ड टांग दो पैली भाषा पच्छै वोट .उन्होंर कहा की राजस्थानी भाषा समिति जनता की भागीदारी का दायरा और अधिक बढ़ा कर नेताओं में वोट का डर  पैदा करे ,उन्होंने कहा की कांग्रेस में श्रीमती इंदरा गांधी ,भाजपा में अटल बिहारी वाजपई ,एल के  अडवानी सहित समस्त नेता समय समय पर राजस्थानी भाषा को मान्यता के समर्थन में वक्तव्य दे चुके हें .फिर समस्या कान्हा आ रही हें ,उन्होंने कहा की राजस्थान की सत्ता शासन एवं संसाधन पर जिन बाहरी लोगो ने कब्ज़ा कर रखा हें वो राजस्थानी भाषा को लेकर कुतर्क करते हें जिसका कोई औचित्य नहीं हें .उन्होंने कहा अब दिली पर चडाई करनी पड़ेगी मान्यता के लिए .उन्होंने कहा की राज्य सरकार चाहे तो राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में राजस्थानी का प्रश्न पत्र शुरू करा राजस्थानी युवाओं की राह आसन कर सकती हें .कार्यक्रम संयोजक अर्जुन दान देथा ने कहा की राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए सामूहिक प्रयासों की जरुरत को देखते हुए इस आयोजन की रूप रेखा तय की गयी थी .उन्होंने कहा की इस आयोजन में प्रदेश के विभिन अंचलो से आये लोगो की सलाह से आगे की रन निति तय की ,जायेगी उन्होंने कहा की सरकार जनता के धेर्य की परीक्षा ना ले .यह अच्छा नहीं हें ,राजस्थान के लोग भले हें सज्जन हें सहज हें इसका नाजायज़ फ़ायदा सरकार ना उठाए .उन्होंने कहा की मायद भाषा की  मान्यता के बगेर हमारी संस्कृति ख़त्म हो रही हें .हमारा रोजगार छीन रहा हें .हमारी भाषा को मान्यता की मांग को अनदेखा किया जा रहा हें जो  के बाहर हें .कार्यक्रम का सञ्चालन करते हुए प्रदेश महा मंत्री राजेन्द्र सिंह बारहट ने कहा की राजस्थानी भाषा की मान्यता से कम कुछ भी स्वीकार्य नहीं हें ,देश विदेश में राजस्थानी समाज को इस मुद्दे के साथ जोड़ा जा रहा हें .इस तरह सम्पूर्ण राजस्थानी समाज अपमानित महसूस कर रहा हें .प्रदेश एवं प्रवास में राजस्थानी वोट पर चोट करेंगे .इस अवसर पर राजस्थानी साहित्यकार और पद्म श्री सूर्यदेव सिंह ने कहा की राजस्थानी रो हेलों बाड़मेर से अलवर तक पहुँच गया हें इस आयोजन के बाद दिल्ली तक पहुँच जाएगा ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा प्रेमी अपनी शक्ति को कम नहीं आंके भाषा को मान्यता मिलनी ही हें ,मगर हमें तुरंत चाहिए  .राजस्थान दिल ,दिमाग और ईमान से एक हें उन्होंने कहा की बच्चों से उनका बचपन ना चीने भाषा छिनते ही बच्चो का बचपन स्वत छीन जाएगा ,उन्होंने कहा की देश की संसद में राजस्थान की संस्कृति एयर सभ्यता भाषा के रूप में तिल तिल  कर मर रही हें ,उन्होंने कहा की चौदह करोड़ राजस्थानी अपनी संस्कृति को मरने नहीं देंगे ,उन्होंने कहा की अपनी भाषा के लिए हमें मरना भी पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे .सम्मलेन को संबोधित करते हुए  राजस्थानी साहित्यकार तथा शिक्षाविद् प्रो. भंवरसिंह सामौरने राजस्थानी भाषा के अनूठे इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा की भाषा को ज़िंदा रखेंगे तभी हमारी संस्कृति और साहित्य ज़िंदा रहेगा ,उन्होंने कहा की असली आज़ादी भाषा में ही हें इस संवेदना को राजनेताओं को समझना होगा .सम्मलेन को राजस्थानी पत्रिका माणक के सम्पादक पदम् मेहता ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता की समस्त   हो चुकी हें .जन दबाव  हें .,मुराद अली अबडा ,डॉ लक्षमण दान कविया ,पूर्व प्रधान मुरारदान भीनमाल ,अमिता चौधरी ,हरी सिंह सोढा ,उदय राज देथा ,गिरधारी दान देथा ,चन्दन सिंह भाटी ने भी संबोधित किया .सम्मलेन में उद्घाटन भाषण उदय राज देथा ने तथा आभार और धन्यवाद भाषण डॉ अखेदान देथा ने दिया .कार्यक्रम का ओजस्वी सञ्चालन राजेंद्र सिंह बारहट ने किया 

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