नई दिल्ली।। सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (NAC) को छोड़ने के ऐलान के बाद सोशल वर्कर अरुणा राय ने सनसनीखेज बयान देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोनिया गांधी की भी नहीं सुनते हैं। उन्होंने कहा है कि मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोनिया गांधी की सलाह नहीं मानी। राय के इस बयान से यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच मतभेद की चर्चाओं को फिर हवा मिल गई है।
राय ने मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी पर काउंसिल की सिफारिशों को न मानने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जमकर आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी तय करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को एक चिट्ठी लिखी थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने इस पर कुछ भी नहीं किया।
राय ने कहा वह एनएसी से नाराज नहीं हैं, लेकिन न्यूनतम मजदूरी जैसी चीजों को लागू करवाना बेहदर जरूरी है। यह अकेले एनएसी नहीं करवा सकती। NAC की चेयरपर्सन सोनिया गांधी पीएम को इस बारे में लिख चुकी हैं। उन्होंने कहा,'कर्नाटक और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने भी अलग-अलग फैसलों में न्यूनतम मजदूरी देने की बात कही है। ऐसे में पीएम को चाहिए था कि वह इस पर अपनी सहमति देते और कोर्ट के बाहर मामले को सुलझा लिया जाता, लेकिन यह बात नहीं हुई।'अरुणा राय के सहयोगी निखिल डे ने भी कहा कि न्यूनतम मजदूरी कई राज्यों में बेहद कम है। ऐसे में केंद्र सरकार को मनरेगा जैसी अपनी योजना में सरकार को न्यूनतम मजदूरी तय कर राज्यों के सामने मिसाल रखनी चाहिए।
गौरतलब है कि NAC मेंबर अरुणा राय का कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो रहा है। राय ने मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी पर काउंसिल की सिफारिशों को न मानने पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि अब वह एनएसी का हिस्सा बने रहना नहीं चाहतीं। राय ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर अनुरोध किया था कि एनएसी में अगले कार्यकाल के लिए उनके नाम पर विचार न किया जाए। सोनिया ने यह अनुरोध स्वीकार कर लिया था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें