भारत-चीन के बीच आठ नए समझौते
नई दिल्ली। भारत और चीन ने सीमा पर छिटपुट विवाद को पीछे छोड़ते हुए सोमवार को व्यापार,निवेश नदियों के जल प्रवाह और आधारभूत ढ़ांचे के विकास सहित सहयोग के आठ समझौतों पर हस्ताक्षर कर मैत्रीपूर्ण संबंधों के नए अध्याय की शुरूआत की।
भारत-चीन विश्व अर्थव्यवस्था के इंजन -
भारत यात्रा पर आए चीन के प्रधानमंत्री ली कु चियांग और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद दोनों देशों ने आठ समझौते किए तथा एशिया के दो महान देशों को विश्व अर्थव्यवस्था का इंजन करार देते हुए व्यापार,निवेश बढ़ाने का निश्चय किया। चीन के प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक मतैक्य कायम हुआ है तथा उन्होंने सहयोग बढ़ाने के लिए नए क्षेत्रों की पहचान की है।
घुसपैठ की घटनाएं रोकी जाएंगी -
चीन ने सुरक्षा परिषद में भारत की भूमिका के विस्तार का समर्थन भी किया। दोनों नेताओं ने लद्दाख में कुछ दिन पहले चीनी सैनिकों की घुसपैठ के संबंध में कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए मौजूदा प्रणाली को और कारगर बताया जाएगा। वार्ता के बाद द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम पर दोनों देशों ने एक संयुक्त घोषणापत्र भी जारी किया।
घुसपैठ से सीखा सबक -
प्रधानमंत्री ने पश्चिमी मोर्चे के लद्दाख में हाल ही हुई चीनी घुसपैठ का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों पक्षों ने इससे सबक सीखा है तथा ऎसे मुद्दों को सुलझाने के लिए कायम प्रणाली का लेखा-जोखा लिया है। उन्होंने कहा कि समाधान की मौजूदा प्रणाली उपयोगी सिद्ध हुई है। उन्होंने कहा कि सीमा विवाद का यथाशीघ्रा
नदी के निचले भाग वाले देश के हितों का संरक्षण हो -
समाधान होना चाहिए तथा इसी उद्देश्य से दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि शीघ्र ही बैठक कर एक उचित और स्वीकार्य हल तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। चीनी क्षेत्र में बन रहे बांधों के कारण ब्रह्मपुत्र के जल प्रवाह में कमी को लेकर भारत की चिंता के संबंध में मनमोहन ने कहा कि नदी के निचले भाग वाले देश के हितों का संरक्षण होना चाहिए।
उन्होंने जलप्रवाह को आंकने के लिए गठित मौजूदा विशेषज्ञ दल का कार्यक्षेत्र बढ़ाने पर भी जोर दिया। साझा नदियों के जल प्रबंधन के बारे में सोमवार को हुए करार पर मनमोहन ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दोनों देश हिमालयी क्षेत्र का पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए मिल कर काम करेंगे।
चीन अपना बाजार और खोले -
मनमोहन ने दुनिया में समृद्धि के लिए भारत और चीन की भूमिका को महत्वपूर्ण करार देते हुए पड़ोसी देश से आग्रह किया कि वे अपना बाजार भारतीय उत्पादों के लिए और खोले ताकि व्यापार असंतुलन को दूर किया जा सके। उन्होंने आधारभूत ढांचे तथा उत्पादन क्षेत्र में चीन के निवेश को आमंत्रित भी किया। दोनों नेताओं ने पूर्व एशिया और दक्षिण-एशिया के बीच बेहतर संपर्क कायम करने के लिए बहुराष्ट्रीय संपर्क मार्गो के निर्माण का काम तेज किए जाने पर भी सहमति व्यक्त की।
विवाद सुलझाने को कृतसंकल्प -
चीन के प्रधानमंत्री ने कहा,हम यह स्वीकार करते हैं कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद सहित कुछ मतभेद हैं लेकिन इन्हें व्यावहारिक रूप से सुलझाने के लिए हम कृतसंकल्प हैं। मेहमान नेता ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का सीधे समर्थन नहीं करते हुए केवल इतना कहा कि चीन इस विश्व संस्था में भारत की बढ़ी भूमिका देखना चाहता है। ली ने प्रधानमंत्री को चीन यात्रा का न्योता दिया जिसे मनमोहन ने स्वीकार कर लिया।
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