मंगलवार, 21 मई 2013

किस-किस को चीर कर दिखाएं दिल कि "दर्द" कितना है

किस-किस को चीर कर दिखाएं दिल कि "दर्द" कितना है

बाड़मेर। पाकिस्तान के अमरकोट की एक बेटी जो डेढ़ साल पहले दुल्हन बनकर बाड़मेर आई थी, पंद्रह दिन पहले ही चल बसी। बेटी के देहांत की खबर सरहद के उस पार पहुंची तो पूरा परिवार टूट गया। अपनी लाडो की आखिरी सूरत देखना तो दूर वे उसके बारहवें तक बेटी के ससुराल भी नहीं आ सके। नियमानुसार बाड़मेर के राष्ट्रीय राजमार्ग पंद्रह के उत्तर दिशा में पाकिस्तानी नागरिकों का आना वर्जित है। ब्ााड़मेर आने का वीजा नहीं मिल रहा है।

बारहवां यहां और रस्में वहां
बेटी की मृत्यु के बाद मोबाइल पर ही ससुराल पक्ष के लोगों ने उन्हें तीये, नवें, बारहवें की रस्मों की जानकारी दी
और पीहर पक्ष ने अपनी ओर से पाकिस्तान में उन रस्मों को मन मसोस कर किया। ऎसा यह एक परिवार नहीं। बाड़मेर जिले में दस हजार के करीब परिवार है जिनकी रिश्तेदारी पाकिस्तान में है।

रिश्तेदारी की मजबूरी
पाकिस्तान में रहने वाले परिवारों को अपनी रिश्तेदारी भारत में करना मजबूरी है क्योंकि कुछ समाजों में बंटवारे के बाद यह स्थिति हुई कि एक गौत्र के लोग पाकिस्तान में रह गए और दूसरा गौत्र भारत में आ गया। संबंध करने के लिए उन्हें यहां पर ही आना पड़ता है। अधिकांश लोग बाड़मेर में रहने के कारण इन परिवारों के लिए कानूनी बंधन से जरूरी सामाजिक बंधन निभाना बन रहा है।

यह है अड़चन
भारत और पाकिस्तान के बीच सरहद का रास्ता 2005 में खुल गया। मुनाबाव के रास्ते थार एक्सप्रेस पाकिस्तान आ-जा रही है लेकिन सुरक्षा के लिहाज से सीमावर्ती बाड़मेर जिले के एनएच पंद्रह से उत्तर दिशा मे पाकिस्तानी नागरिकों का प्रवेश निषेध है। इस कारण पाकिस्तान से भारत आने के बावजूद अपनों से मिलने के लिए जोधपुर रूकना पड़ता है।

यह हुए प्रयास
वर्ष 2005 में तात्कालीन भाजपा सरकार के वक्त तत्कालीन केन्द्रीय केबिनेट मंत्री जसवंतसिंह ने इसके लिए प्रयास किए। इसके बाद सांसद रहे मानवेन्द्रसिंह ने भी इस मुद्दे को रखा लेकिन सुरक्षा के कारण इजाजत नहीं मिली। मौजूदा सांसद हरीश चौधरी ने भी संसद में मामला उठाया और चुनावी वादा भी किया था, लेकिन अभी तक नतीजा नहीं निकला है।

अधूरी खुशी
भारत पाकिस्तान के बीच थार एक्सप्रेस के संचालन ने खुशी दी है लेकिन यह अधूरी हो गई है। हमारे परिवारों के लोग यहां हमारे घर नहीं आ पा रहे हैं। इससे काफी दिक्कतें आती है। इस बारे में यहां नेताओं व अधिकारियों से कई बार गुहार की है, लेकिन सभी कानून की बात कहकर चुप्पी साध लेते है। इसमें कोई कानूनी अड़चन है तो उसे भी दूर किया जाना चाहिए।
तेजदान चारण

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें