सिर्फ दो बच्चे पैदा कर सकेंगे मुस्लिम
यांगून। म्यांमार की सरकार ने राखिने प्रांत में लगभग एक साल पहले बहुसंख्यक राखिने बौद्धों और अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिमों के बीच शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा से निपटने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है। हालांकि म्यांमार को अपने इस तरीके के लिए विश्वमंच पर आलोचनाओं का सामना कर पड़ रहा है।
म्यांमार सरकार ने देश के पश्चिमी प्रांत राखिने में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के लोगों पर पाबंदी लगाई है कि वे दो से अधिक बच्चों को जन्म नहीं दे सकते हैं। रखिने प्रांत के प्रवक्ता विन माइयंग के अनुसार सरकार ने सांप्रदायिक हिंसा की वजह जानने के लिए एक आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने अल्पसंख्यक मुस्लिमों की आबादी को सांप्रदायिक हिंसा की एक वजह बताया। माइयंग के मुताबिक सरकार ने मुस्लिमों की आबादी पर नियंत्रण रखने के लिए यह पाबंदी लगाई है।
माइयंग ने कहा कि यहां राखिने बौद्धों के मुकाबले रोहिंग्या मुस्लिमों की आबादी 10 गुणा अधिक दर से बढ़ रही है। मुस्लिमों की घनी आबादी इस तनाव की मुख्य वजह में से एक है। इसके साथ ही म्यांमार सरकार मुस्लिमों में प्रचलित बहुविवाह की प्रथा पर भी पाबंदी लगाने के लिए तैयार है। यह पाबंदी बांग्लादेश की सीमा से लगे राखिने प्रांत के उन दो शहरों बुथीडग और माउनडा में लागू है जहां मुस्लिमों की आबादी सबसे अधिक है।
इन दो शहरों में लगभग 95 प्रतिशत मुस्लिम आबादी बसती है। म्यांमार अपने इस कदम से संभवत दुनिया का ऎसा पहला देश बन गया है जहां धर्म के आधार पर इस तरह क ी पाबंदी लगाई गई है। चीन में भी ऎसी नीति है लेकिन वहां इसे किसी खास समुदाय या वर्ग पर लागू नहीं किया गया है।
म्यांमार में रांहिग्या मुस्लिमों पर एक सप्ताह पहले ही यह पाबंदी लग गई है। उल्लेखनीय है कि एक वर्ष पहले बहुसंख्यक बौद्धों ने यहां मुस्लिमों के कई घरों में आग लगा दी थी और मुस्लिमों ने मठों पर हमला कर दिया था जिससे यह हिंसा और भड़क गई। इस सांप्रदायिक हिंसा के कारण अब लगभग एक लाख 25 हजार लोग विस्थापित हो गए, विस्थापितों में अधिकतर मुस्लिम हैं।
यांगून। म्यांमार की सरकार ने राखिने प्रांत में लगभग एक साल पहले बहुसंख्यक राखिने बौद्धों और अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिमों के बीच शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा से निपटने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है। हालांकि म्यांमार को अपने इस तरीके के लिए विश्वमंच पर आलोचनाओं का सामना कर पड़ रहा है।
म्यांमार सरकार ने देश के पश्चिमी प्रांत राखिने में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के लोगों पर पाबंदी लगाई है कि वे दो से अधिक बच्चों को जन्म नहीं दे सकते हैं। रखिने प्रांत के प्रवक्ता विन माइयंग के अनुसार सरकार ने सांप्रदायिक हिंसा की वजह जानने के लिए एक आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने अल्पसंख्यक मुस्लिमों की आबादी को सांप्रदायिक हिंसा की एक वजह बताया। माइयंग के मुताबिक सरकार ने मुस्लिमों की आबादी पर नियंत्रण रखने के लिए यह पाबंदी लगाई है।
माइयंग ने कहा कि यहां राखिने बौद्धों के मुकाबले रोहिंग्या मुस्लिमों की आबादी 10 गुणा अधिक दर से बढ़ रही है। मुस्लिमों की घनी आबादी इस तनाव की मुख्य वजह में से एक है। इसके साथ ही म्यांमार सरकार मुस्लिमों में प्रचलित बहुविवाह की प्रथा पर भी पाबंदी लगाने के लिए तैयार है। यह पाबंदी बांग्लादेश की सीमा से लगे राखिने प्रांत के उन दो शहरों बुथीडग और माउनडा में लागू है जहां मुस्लिमों की आबादी सबसे अधिक है।
इन दो शहरों में लगभग 95 प्रतिशत मुस्लिम आबादी बसती है। म्यांमार अपने इस कदम से संभवत दुनिया का ऎसा पहला देश बन गया है जहां धर्म के आधार पर इस तरह क ी पाबंदी लगाई गई है। चीन में भी ऎसी नीति है लेकिन वहां इसे किसी खास समुदाय या वर्ग पर लागू नहीं किया गया है।
म्यांमार में रांहिग्या मुस्लिमों पर एक सप्ताह पहले ही यह पाबंदी लग गई है। उल्लेखनीय है कि एक वर्ष पहले बहुसंख्यक बौद्धों ने यहां मुस्लिमों के कई घरों में आग लगा दी थी और मुस्लिमों ने मठों पर हमला कर दिया था जिससे यह हिंसा और भड़क गई। इस सांप्रदायिक हिंसा के कारण अब लगभग एक लाख 25 हजार लोग विस्थापित हो गए, विस्थापितों में अधिकतर मुस्लिम हैं।
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