राजस्थान में सिर्फ 48 गोडावण बचे
जयपुर। हो सकता है कि अगले कुछ वर्षो में राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण केवल किताबों, सरकारी दस्तावेजों और तस्वीरों में ही दिखाई दे। केन्द्रीय वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, अब राजस्थान में सिर्फ 48 गोडावण बचे हैं।
खेजड़ी भी खस्ता हाल
वन विभाग ने आखिरी बार 2009 में इसकी संख्या का आंकड़ा जारी किया था जो 2007 की गणना पर आधारित थी। इसके अनुसार तब राज्य में कुल 73 गोडावण थे, जबकि आजादी के समय (1947) में इनकी संख्या 4800 थी। केन्द्रीय वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के अनुसार, केवल गोडावण ही नहीं, बल्कि राज्य वृक्ष खेजड़ी और राज्य पुष्प रोहिड़ा की हालत भी खराब है। इनकी संख्या के सही आंकड़े तो उपलब्ध नहीं, लेकिन सेटेलाइट इमेजरी व सर्वे से मिली जानकारी के मुताबिक, इनकी संख्या में आजादी से अब तक 75 प्रतिशत की कमी आई है।
रोजाना 10 मोरों का शिकार
राज्य में राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार चरम पर है। रोजाना 10 मोरों का शिकार हो रहा है। इसका शिकार रोकने के लिए केन्द्र या राज्य सरकार स्तर पर कोई विशेष प्रयास नहीं किया गया है। सितंबर-2010 में राज्य जैव विविधता बोर्ड गठित किया गया, लेकिन राज्य की जैव विविधता के चि±न गोडावण, खेजड़ी और रोहिड़ा की रक्षा के लिए बोर्ड भी अभी कुछ नहीं कर सका है। ब्यूरो के विशेषाधिकारी बाबूलाल जाजू ने बताया कि बिगड़ती जैव विविधता की स्थिति के बारे में सरकार को कई बार लिखा जा चुका है। वन विभाग या उससे जुड़ा कोई भी बोर्ड, एजेंसी मोरों की हत्या पर मुकदमा तक दर्ज करवाने आगे नहीं आती।
कमेटियों के माध्यम से होगा काम
जल्द ही 9 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों में जैव विविधता कमेटियां बनाई जाएंगी। अभी तक 22 कमेटियां बना दी गई हैं। पशु, पक्षियों और हरियाली के संरक्षण के लिए कमेटियों के माध्यम से काम किया जाएगा।
एस. एस. चौधरी, चेयरमैन, राज्य जैव विविधता बोर्ड
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