इंदौर।। 25 साल की रजनी, लॉ स्टूडेंट हैं। शादी में रजनी दुल्हन की तरह सज धजकर घोड़े पर बैठीं और बारात लेकर दूल्हे के घर तक गईं। शादी के एक घंटे लंबे जुलूस और नाच-गाने के कार्यक्रम के बाद वह मंडप में पहुंची और दूल्हे के आगे शादी का प्रस्ताव रखा। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की इस कहानी पर शायद ही किसी को विश्वास हो, लेकिन यह हकीकत है जो यहां सतवाड़ा गांव की एक शादी में दिखाई दी।
एक अलग तरह की परंपरा 'कन्या घतारी' का पालन पाटीदार समुदाय करता रहा है, जहां दुल्हन अपनी ही बारात लेकर दूल्हे के घर तक जाती है। लंबे वक्त से भुला सी दी गई परंपरा एक बार फिर जीवित होती दिखाई दी। समुदाय के वरिष्ठ लोगों ने रजनी के इस कदम का समर्थन किया और परंपरा को फिर से जीवित किए जाने के लिए उसकी तारीफ भी की।
दो दिन पहले ही विवाह के बंधन में बंधी रजनी को अभी भी घोड़े पर बैठकर दूल्हे के घर तक बारात लेकर जाना थोड़ा अटपटा लगता है। लेकिन, वह मानती हैं कि यह जरूरी था। रजनी कहती हैं कि यह तरीका महिलाओं के सशक्तीकरण में मदद करेगा और समाज में मौजूद कुछ बुराइयों का खात्मा भी करेगा।आम तौर पर, बारात लेकर दुहन के घर तक जाने को लड़के अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते हैं, लेकिन सरकारी सेवा में कार्यरत 30 साल के प्रवीण पाटीदार के लिए यह गर्व का मौका था कि उनकी दुल्हन बारात लेकर उसके घर आई। प्रवीण और रजनी शादी के बंधन में बंधे।
दूल्हे के पिता इश्वरलाल पटेल ने बताया कि शादी का कार्ड एक महीने पहले ही छपवा दिया गया था, जिसमें महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए इस परंपरा का जिक्र भी था। उन्होंने कहा, परिवार की इच्छा थी कि होने वाली बहू बारात लेकर घर तक आए।
परपंरा के मुताबिक, पहले दुल्हन को उसके माता-पिता नारियल भेंट करते हैं। इसके बाद, लड़की घोड़े पर सवार होकर बारात लेकर दूल्हे के घर तक पहुंचती है।
इसके बाद लड़की मंडप तक आती है और दूल्हे के आगे शादी का प्रस्ताव रखती है। लड़की दूल्हे से पूछती है कि क्या वह उसके साथ विवाह के बंधन में बंधना चाहेगा। परिवार के लोग दुल्हन का स्वागत करते हैं और इसके बाद शादी संपन्न हो जाती है।
एक अलग तरह की परंपरा 'कन्या घतारी' का पालन पाटीदार समुदाय करता रहा है, जहां दुल्हन अपनी ही बारात लेकर दूल्हे के घर तक जाती है। लंबे वक्त से भुला सी दी गई परंपरा एक बार फिर जीवित होती दिखाई दी। समुदाय के वरिष्ठ लोगों ने रजनी के इस कदम का समर्थन किया और परंपरा को फिर से जीवित किए जाने के लिए उसकी तारीफ भी की।
दो दिन पहले ही विवाह के बंधन में बंधी रजनी को अभी भी घोड़े पर बैठकर दूल्हे के घर तक बारात लेकर जाना थोड़ा अटपटा लगता है। लेकिन, वह मानती हैं कि यह जरूरी था। रजनी कहती हैं कि यह तरीका महिलाओं के सशक्तीकरण में मदद करेगा और समाज में मौजूद कुछ बुराइयों का खात्मा भी करेगा।आम तौर पर, बारात लेकर दुहन के घर तक जाने को लड़के अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते हैं, लेकिन सरकारी सेवा में कार्यरत 30 साल के प्रवीण पाटीदार के लिए यह गर्व का मौका था कि उनकी दुल्हन बारात लेकर उसके घर आई। प्रवीण और रजनी शादी के बंधन में बंधे।
दूल्हे के पिता इश्वरलाल पटेल ने बताया कि शादी का कार्ड एक महीने पहले ही छपवा दिया गया था, जिसमें महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए इस परंपरा का जिक्र भी था। उन्होंने कहा, परिवार की इच्छा थी कि होने वाली बहू बारात लेकर घर तक आए।
परपंरा के मुताबिक, पहले दुल्हन को उसके माता-पिता नारियल भेंट करते हैं। इसके बाद, लड़की घोड़े पर सवार होकर बारात लेकर दूल्हे के घर तक पहुंचती है।
इसके बाद लड़की मंडप तक आती है और दूल्हे के आगे शादी का प्रस्ताव रखती है। लड़की दूल्हे से पूछती है कि क्या वह उसके साथ विवाह के बंधन में बंधना चाहेगा। परिवार के लोग दुल्हन का स्वागत करते हैं और इसके बाद शादी संपन्न हो जाती है।
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