नई दिल्ली. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की ज़िंदगी में अब कोई दोस्त नहीं है। बकौल मोदी अब उनका काम ही उनका दोस्त बन गया है और वह उसका पूरा आनंद ले रहे हैं। अपने 'प्राइवेट' स्पेस में मोदी को किसी की दखल पसंद नहीं है। मोदी का कोई दोस्त नहीं हैं क्योंकि उन्हें कभी दोस्तों की जरूरत नहीं पड़ी। उनके साथ कुछ लोग हैं जिनका उनके जीवन में अलग-अलग रोल है। मोदी अपने अस्तित्व के केंद्र में खुद हैं। कोई भी यह नहीं कह सकता है कि वह मोदी के जीवन का हर पहलू जानता है। ये दावे लेखक और पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने अपनी किताब ‘नरेंद्र मोदी : द मैन द टाइम्स’ में किेए हैं।
नीलांजन ने अपनी किताब में मोदी से हुई बातचीत का हवाला देते हुए कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। किताब के मुताबिक, जीवन में किसी दोस्त के न रह जाने का मोदी को कोई पछतावा भी नहीं है। लेकिन हमेशा ऐसे ही हालात नहीं थे। मोदी पहले दोस्ती किया करते थे, लेकिन कई बार इन कोशिशों ने विवाद खड़ा किया है। मोदी की कैबिनेट में उनकी सहयोगी आनंदीबेन पटेल के पति मफतभाई पटेल से मोदी की 90 के दशक में खूब बनती थी। लेकिन मफतभाई पटेल को बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से यह शिकायत करनी पड़ी थी कि मोदी की उनकी पत्नी के साथ करीबी ने उनके परिवार को उजाड़ कर रख दिया है। यह मुद्दा 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में फिर से उठा था। इन चुनावों में आनंदीबेन पटेल के पति मफतभाई पटेल बीजेपी के बागी धड़े के साथ कई मंचों पर मोदी के खिलाफ चुनाव प्रचार करते नजर आए थे और उन्होंने मोदी पर कई आरोप लगाए थे। हालांकि, आनंदीबेन पटेल से जब इस बारे में पूछा जाता है तो वे यही कहती हैं कि वे 'प्राइवेट' मुद्दों पर बात नहीं करना चाहती हैं।
आनंदीबेन पटले नरेंद्र मोदी के कितने करीब हैं इस बात का पता उन खबरों से भी चलता है, जिनमें कहा जाता है कि राष्ट्रीय राजनीति में पूरी तरह से कूदने की स्थिति में मोदी जिन दो लोगों को गुजरात की कमान सौंप सकते हैं, उनमें आनंदीबेन पटेल और सौरभ पटेल के नाम सबसे ऊपर हैं। हालांकि, मोदी के दिल्ली जाने की स्थिति में उनके बाद गुजरात का सीएम कौन बनेगा, इस मुद्दे पर खुद मोदी ने कभी कुछ नहीं कहा है।
koot niti se bharaa print kiya hai aapne .....!! kyaa maksad hai aapka iske peeche, ye aapne bataya hi nahi .shaatir patrkarita hai ye ........!!
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