मुंबई को मिला पहला शरीयत कोर्ट
मंुबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को पहला दारूल कजा (शरीयत कोर्ट) मिल गया है। मुस्लिम समुदाय में विवाह संबंधी एवं अन्य मामलों को निपटाने की शक्तियां होंगी कोर्ट के पास। कोर्ट की स्थापना ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) के पास अंजुमन-ए-इस्लाम में की गई है।
मुस्लिम समुदाय की लंबे समय से मांग थी की इस तरह का कोर्ट स्थापित किया जाए। हालांकि शरीयत कोर्ट पटना,हैदराबाद,मालेगांव सहित देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे हैं। लॉ बोर्ड द्वारा नियुक्त काजी आपराधिक मामलों को छोड़कर अन्य मामलों की सुनवाई कर उनमें फैसला सुना सकेंगे।
लॉ बोर्ड के सचिव मौलाना वली रहमान ने बताया कि यह कोर्ट निकाह,तलाक और संपत्ति के उत्तराधिकार जैसे मामलों की सुनवाई कर सकेगा। निकाह में मतभेदों को जल्द से जल्द सुलझाया जाएगा और जोड़ों से कहा जाएगा या तो सामंजस्य स्थापित कर लें या फिर अलग हो जाएं अगर सामंजस्य संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे समुदाय के लोगों का समय तो बचेगा,साथ ही पैसें भी बचेंगे क्योंकि अन्य अदालतों मे मुकदमें लड़ना काफी महंगा पड़ता है।
शरीयत कोर्ट में सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को कोर्ट में आना होगा। अगर एक पक्ष ने यहां ने से पहले सिविल कोर्ट में मामला दर्ज कर रखा है तो उसे शरीयत कोर्ट में सुनवाई करवाने के लिए पूर्व के मामले को वापस लेना होगा।
रहमानी ने कहा कि शरीयत कोर्ट सिविल अदालतों से कोई प्रतिस्पर्घा नहीं करना चाहते। इसके विपरीत शरीयत कोर्ट सिविल अदालतों मे का भार कम करने में मददगार साबित होंगे जहां पहले से ही हजारों मामले लंबित हैं।
वहीं,लॉ बोर्ड के विधि सेल के प्रमुख और वरिष्ठ वकील यूसुफ मुचल्ला ने कहा कि बिहार,झारखंड,बंगाल और ओडिशा मे जिला अदालतों और उच्च न्यायलयों ने शरीय कोर्टो द्वारा दिए कई फैसलों को सही ठहराया है।
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