"बिन बिजली बेटी नहीं ब्याह रहीं"
बूंदी। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुन्धरा राजे ने प्रदेश में बिजली के हालात को खराब बताते हुए कहा है कि अब ये स्थिति आ गई है कि लोग अपनी बेटियां गांवों में ब्याहने को ही तैयार नहीं है।
उन्होंने कोटा की डोल्या पंचायत के सरपंच नंदलाल मेघवाल का मामला उठाते हुए कहा कि उसके गांव के 6 लड़के-लड़कियों की शादी आखा तीज पर होने वाली है। सरपंच ने बताया कि यदि गांव में आखा तीज से पहले बिजली नहीं आई तो ये रिश्ते टूट जाएंगे।
बूंदी जिले के कापरेन में रविवार को सुराज संकल्प यात्रा के तहत सभा को सम्बोधित करते हुए राजे बोलीं कि यह एक गांव की ही बात नहीं है। पूरे राजस्थान के ग्रामीण इलाकों की कमोबेश यही स्थिति है। सच तो यह है कि 13 दिसम्बर, 2008 को हमारी सरकार गई थी, उसके साथ ही इस प्रदेश की बिजली भी चली गई।
वसुन्धरा ने यहां सरकार को किसान विरोध बताते हुए कहा समर्थन मूल्य पर काश्तकारों का गेहूं नहीं खरीदा जा रहा। हमारे किसानों का गेहूं गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और केरल जैसे दूसरे प्रदेशों में बिक रहा है। पंजाब में इस वर्ष अब तक 68.52, हरियाणा में 40.04 और मध्यप्रदेश में 40.85 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। जबकि राजस्थान में अब तक सिर्फ 3.75 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया है। राजस्थान की 9177 ग्राम पंचायतों के मुकाबले सिर्फ 348 खरीद केन्द्र ही खोले गए हैं।
राजे के साथ सभाओं में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, सांसद दुष्यंत सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भूपेन्द्र यादव, विधायक ओम बिडला, भवानी सिंह राजावत, अशोक डोगरा, भाजपा महामंत्री कालीचरण सराफ और महिला मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष सुमन शर्मा समेत कई भाजपा नेता मौजूद रहे।
किसके भरोसे प्रदेश ?
राजे ने यहां कहा कि राजस्थान के इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव एक साथ विदेश गए हैं। उन्होंने किसी को कार्यभार भी नहीं सौंपा है। दोनों ही जब विदेश चले गए, तो मंत्री भी कहां कसर रखने वाले हैं। वे भी सचिवालय छोड़कर चले गए। लोग कह रहे हैं सरकार गई विदेश, किसके भरोसे प्रदेश?
बूंदी। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुन्धरा राजे ने प्रदेश में बिजली के हालात को खराब बताते हुए कहा है कि अब ये स्थिति आ गई है कि लोग अपनी बेटियां गांवों में ब्याहने को ही तैयार नहीं है।
उन्होंने कोटा की डोल्या पंचायत के सरपंच नंदलाल मेघवाल का मामला उठाते हुए कहा कि उसके गांव के 6 लड़के-लड़कियों की शादी आखा तीज पर होने वाली है। सरपंच ने बताया कि यदि गांव में आखा तीज से पहले बिजली नहीं आई तो ये रिश्ते टूट जाएंगे।
बूंदी जिले के कापरेन में रविवार को सुराज संकल्प यात्रा के तहत सभा को सम्बोधित करते हुए राजे बोलीं कि यह एक गांव की ही बात नहीं है। पूरे राजस्थान के ग्रामीण इलाकों की कमोबेश यही स्थिति है। सच तो यह है कि 13 दिसम्बर, 2008 को हमारी सरकार गई थी, उसके साथ ही इस प्रदेश की बिजली भी चली गई।
वसुन्धरा ने यहां सरकार को किसान विरोध बताते हुए कहा समर्थन मूल्य पर काश्तकारों का गेहूं नहीं खरीदा जा रहा। हमारे किसानों का गेहूं गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और केरल जैसे दूसरे प्रदेशों में बिक रहा है। पंजाब में इस वर्ष अब तक 68.52, हरियाणा में 40.04 और मध्यप्रदेश में 40.85 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। जबकि राजस्थान में अब तक सिर्फ 3.75 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया है। राजस्थान की 9177 ग्राम पंचायतों के मुकाबले सिर्फ 348 खरीद केन्द्र ही खोले गए हैं।
राजे के साथ सभाओं में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, सांसद दुष्यंत सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भूपेन्द्र यादव, विधायक ओम बिडला, भवानी सिंह राजावत, अशोक डोगरा, भाजपा महामंत्री कालीचरण सराफ और महिला मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष सुमन शर्मा समेत कई भाजपा नेता मौजूद रहे।
किसके भरोसे प्रदेश ?
राजे ने यहां कहा कि राजस्थान के इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव एक साथ विदेश गए हैं। उन्होंने किसी को कार्यभार भी नहीं सौंपा है। दोनों ही जब विदेश चले गए, तो मंत्री भी कहां कसर रखने वाले हैं। वे भी सचिवालय छोड़कर चले गए। लोग कह रहे हैं सरकार गई विदेश, किसके भरोसे प्रदेश?
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