राजकोट। गुजरात, राजपीपला के ‘गे’ (समलैंगिक) प्रिंस मानवेंद्र सिंह गोहिल शायद देश के पहले ही ऐसे राजकुमार हैं, जिन्होंने अपने ‘गे’ होने की बात खुद ही स्वीकार की थी। इसी के बाद से सिर्फ गुजरात ही नहीं अब देश-विदेश में भी मानवेंद्र ‘गे’ प्रिंस के रूप में पहचाने जाने लगे हैं।
वे समलैंगिकों के हितार्थ कुछ न कुछ काम करते ही रहते हैं। पिछले वर्ष उन्होंने राजपीपला में समलैंगिकों के लिए एक वृद्धाश्रम भी स्थापित किया। इस आश्रम का नाम अमेरिकन लेखिका ‘जैनेट’ पर रखा गया है। यह भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का पहला ‘गे’ आश्रम है।
आश्रम के इस नाम पर मानवेंद्र सिंह का कहना है कि जैनेट ने इस आश्रम के लिए सबसे अधिक रकम दान की थी। इसके साथ ही उनका यह भी कहना रहा कि जैनेट ‘गे’ नहीं, फिर भी उन्होंने इस आश्रम के लिए सबसे अधिक योगदान दिया। इसलिए आश्रम का नाम उन्हीं के नाम पर रखना और भी महत्वपूर्ण हो गया था।
मानवेंद्र के अनुसार ‘गे’ आश्रम बनाने का विचार उन्हें 2009 में ही आ गया था और तभी से वे इसके लिए प्रयासरत थे। आश्रम का उदघाटन जेनेट की बहन कर्लाफाइन ने किया। वह अपने पति के साथ विशेष तौर पर अमेरिका से यहां आई थीं।
उल्लेखनीय है कि मानवेंद्र सिंह गोहिल राजपीपला के ऐसे राजकुमार हैं, जिन्होंने अपने ‘गे’ होने की बात खुद ही स्वीकार की थी। इसी के बाद से सिर्फ गुजरात ही नहीं अब देश-विदेश में भी मानवेंद्र ‘गे’ प्रिंस के रूप में पहचाने जाने लगे हैं।
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