नई दिल्ली। आपको कहीं मकान बनवाना हो, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हो या फिर राशन कार्ड। अब सरकारी दफ्तरों और बाबुओं की चिकचिक और लालची निगाहों से आप बच सकेंगे। यूपीए सरकार इस पर एक नया बिल संसद में पेश करने जा रही है। बिल पर जल्द ही कैबिनेट की सहमति ली जाएगी।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से लाए जा रहे संशोधित बिल में सरकार, सरकारी सेवा में भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में एक और कोशिश करेगी। सरकारी स्कूल और कॉलेजों में भी नामांकन के लिए ऑनलाइन अप्लाई किए जाएंगे। बिल के कानून का रूप लेने के बाद देश में कहीं भी, कोई भी व्यक्ति मकान बनवाने के लिए ऑनलाइन नक्शे पास करवा सकता है और राशन कार्ड बनवा सकता है। इस तरह के तमाम ऐसे कामों में लोगों को सरकारी दफ्तर और वहां बैठे बाबुओं की ‘टेबल फीस’ से बचाने की कोशिश इस बिल के जरिए होगी। इसमें बीपीएल श्रेणी से नीचे के लोगों के लिए इंटरनेट अप्लाई का शुल्क भी नहीं लगेगा।
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने ‘भास्कर’ से बातचीत में कहा कि यह बिल आम व्यक्ति की परेशानियों के समाधान और उसके हित के लिए लाया जा रहा है। जो संसद के इसी सत्र में पास होगा। गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे जब सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते हुए दिल्ली में अनशन पर बैठे थे तब उनसे बातचीत में भी सरकार ने यह आश्वासन दिया था। क्योंकि तब भी आम लोगों का गुस्सा उनके जरूरी और मौलिक सुविधाओं से जुड़े कामकाज में रिश्वत मांगे जाने को लेकर काफी अधिक था।
टालमटोल की तो लगेगा जुर्माना
अगर तय समयसीमा के बाद कई दिनों तक अधिकारी, आवेदनकर्ता को टालमटोल वाला जवाब देता है और तकनीकी खराबी का हवाला देता है तो संबंधित अधिकारी पर बीस हजार रुपए का जुर्माना किया जाएगा। यह जुर्माना अधिकारी की तनख्वाह से काटने का प्रावधान भी है। यहीं नहीं, तकनीकी खराब को दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी भी अधिकारी और कार्यालय की होगी। जिसके ऊपर आने वाला खर्च तुरंत प्रभाव से उस अधिकारी को उनका कार्यालय भुगतान करेगा। सरकार के द्वारा लाई जा रही इस योजना के तहत विकलांग लोगों का खास खयाल रखा गया है। इसमें विकलंागों के ऑनलाइन फार्म भरने के लिए हर कार्यालय में कर्मचारी तैनात होंगे और यह सेवा अनिवार्य होगी।
सरकारी बाबुओं से आम व्यक्ति का सीधा संवाद कम करने और आम आदमी की परेशानियों को कम करने के उद्देश्य से लाए जा रहे इस बिल के अमल में आने के बाद अब अधिकारी तकनीकी खराबी का बहाना भी नहीं बना पाएंगे। अगर कोई व्यक्ति इस तकनीक के जरिए अपना आवदेन फॉर्म भरता है तो उसे तय समयसीमा के अंदर उस कार्ड की डिलीवरी अनिवार्य होगी। उदाहरण के तौर पर अगर एक व्यक्ति अपने पासपोर्ट, राशन कार्ड, मकान का नक्शा या स्कूल-कॉलेज में नामांकन का आवेदन इंटरनेट सेवा के जरिए ऑनलाइन करता है तो संबंधित विभाग के अधिकारी यह बहाना नहीं बना सकते कि सर्वर डाउन है या अपलोड नहीं हुआ। आवेदनकर्ता के पास सिर्फ आवेदन का डॉकेट नंबर (रजिस्ट्रेशन नंबर) होता है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से लाए जा रहे संशोधित बिल में सरकार, सरकारी सेवा में भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में एक और कोशिश करेगी। सरकारी स्कूल और कॉलेजों में भी नामांकन के लिए ऑनलाइन अप्लाई किए जाएंगे। बिल के कानून का रूप लेने के बाद देश में कहीं भी, कोई भी व्यक्ति मकान बनवाने के लिए ऑनलाइन नक्शे पास करवा सकता है और राशन कार्ड बनवा सकता है। इस तरह के तमाम ऐसे कामों में लोगों को सरकारी दफ्तर और वहां बैठे बाबुओं की ‘टेबल फीस’ से बचाने की कोशिश इस बिल के जरिए होगी। इसमें बीपीएल श्रेणी से नीचे के लोगों के लिए इंटरनेट अप्लाई का शुल्क भी नहीं लगेगा।
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने ‘भास्कर’ से बातचीत में कहा कि यह बिल आम व्यक्ति की परेशानियों के समाधान और उसके हित के लिए लाया जा रहा है। जो संसद के इसी सत्र में पास होगा। गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे जब सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते हुए दिल्ली में अनशन पर बैठे थे तब उनसे बातचीत में भी सरकार ने यह आश्वासन दिया था। क्योंकि तब भी आम लोगों का गुस्सा उनके जरूरी और मौलिक सुविधाओं से जुड़े कामकाज में रिश्वत मांगे जाने को लेकर काफी अधिक था।
टालमटोल की तो लगेगा जुर्माना
अगर तय समयसीमा के बाद कई दिनों तक अधिकारी, आवेदनकर्ता को टालमटोल वाला जवाब देता है और तकनीकी खराबी का हवाला देता है तो संबंधित अधिकारी पर बीस हजार रुपए का जुर्माना किया जाएगा। यह जुर्माना अधिकारी की तनख्वाह से काटने का प्रावधान भी है। यहीं नहीं, तकनीकी खराब को दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी भी अधिकारी और कार्यालय की होगी। जिसके ऊपर आने वाला खर्च तुरंत प्रभाव से उस अधिकारी को उनका कार्यालय भुगतान करेगा। सरकार के द्वारा लाई जा रही इस योजना के तहत विकलांग लोगों का खास खयाल रखा गया है। इसमें विकलंागों के ऑनलाइन फार्म भरने के लिए हर कार्यालय में कर्मचारी तैनात होंगे और यह सेवा अनिवार्य होगी।
सरकारी बाबुओं से आम व्यक्ति का सीधा संवाद कम करने और आम आदमी की परेशानियों को कम करने के उद्देश्य से लाए जा रहे इस बिल के अमल में आने के बाद अब अधिकारी तकनीकी खराबी का बहाना भी नहीं बना पाएंगे। अगर कोई व्यक्ति इस तकनीक के जरिए अपना आवदेन फॉर्म भरता है तो उसे तय समयसीमा के अंदर उस कार्ड की डिलीवरी अनिवार्य होगी। उदाहरण के तौर पर अगर एक व्यक्ति अपने पासपोर्ट, राशन कार्ड, मकान का नक्शा या स्कूल-कॉलेज में नामांकन का आवेदन इंटरनेट सेवा के जरिए ऑनलाइन करता है तो संबंधित विभाग के अधिकारी यह बहाना नहीं बना सकते कि सर्वर डाउन है या अपलोड नहीं हुआ। आवेदनकर्ता के पास सिर्फ आवेदन का डॉकेट नंबर (रजिस्ट्रेशन नंबर) होता है।
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