मंगलवार, 19 मार्च 2013

डीएमके ने यूपीए से समर्थन वापस लिया

डीएमके ने यूपीए से समर्थन वापस लिया
चेन्नई/नई दिल्ली। पहले से ही संकट में घिरी यूपीए सरकार को डीएमके ने तगड़ा झटका दिया है। श्रीलंकाई तमिलों के मसले पर डीएमके ने यूपीए से नाता तोड़ लिया है।

डीएमके चीफ एम करूणानिधि ने मंगलवार को यूपीए से समर्थन वापस लेने की घोषणा की। करूणानिधि ने कहा है कि उनकी पार्टी यूपीए को बाहर से भी समर्थन नहीं देगी। डीएमके के इस फैसले से यूपीए संकट में घिर गई है। डीएमके के लोकसभा में 18 सांसद हैं। इनका यूपीए को समर्थन हासिल था।

जल्द इस्तीफा देंगे मंत्री

चेन्नई में प्रेस कांफ्रेंस में करूणानिधि ने कहा कि हमारे मंत्री जल्द ही इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में यूपीए को समर्थन देना संभव नहीं था।

डीएमके ने हमेशा तमिलों के लिए काम किया है। तमिलों के खिलाफ युद्ध अपराध को लेकर हम श्रीलंकाई सरकार के खिलाफ कड़ा रूख अपनाने की मांग कर रहे थे। हालांकि करूणानिधि ने यह भी कहा है कि अगर सरकार उनकी मांगें मान लेती है तो हम अपना फैसला बदल भी सकते हैं।

करूणानिधि को मनाने के लिए सोमवार को गुलाम नबी आजाद, पी.चिदंबरम और एके एंटनी चेन्नई गए थे। करूणानिधि ने उनके सामने मांग रखी थी कि श्रीलंकाई तमिलों के मसले पर संसद में प्रस्ताव पारित कराया जाए। अमरीकी प्रस्ताव से जुड़ा संशोधन संसद में प्रस्ताव के रूप में पारित किया जाना चाहिए।

हमारी मांग मौजूदा प्रस्ताव में संशोधन के साथ-साथ श्रीलंका में जातीय नरसंहार और मानवाधिकारों के उल्लंघन की अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की है।

इस बीच पुडुचेरी विधानसभा में केंद्र से संरा मानवाधिकार आयोग में श्रीलंका सरकार के खिलाफ लाए जा रहे अमरीका प्रायोजित प्रस्ताव का समर्थन करने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया।

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