बिना इंजन के डिब्बे चलने के मामले की जाच शरू
बाड़मेर बिना इंजन के डिब्बे चलने के मामले में मिडिया में हाई -लाईट होने के बाद जोधपुर रेलवे डीआरएम राजेन्द्र जेन ने पुरे मामले में जाच आदेश के साथ एक कमेठी गाठित की है जिसमे 4 सदस्य है जोकि इस पुरे मामले के जाच के लिए सोमवार सुबह ही बाड़मेर पहच गए और हादसे के समय जो अधिकारी और कर्मचारी ड्यूटी पर थे उनसे पूछताछ कर घटना स्थल जाकर पुरे तथ्यों को जुटाए है यह कमेठी मगलवार तक अपनी रिपोट डीआरएम को सोपेगे
इस कमेटी में नीरज शर्मा सुरक्षा अधिकारी,अजय शर्मा आपरेशन ,तपन राय सिग्लिंग हेड ,राम बिहारी पावर से जुड़े है जो अलग अलग तरीके से अपनी जाच कर ब्राहे है ऐसे हादसे दुबारा न हो इसके लिए भी सख्त कदम उठाए जाएगे इस मामले में रिपोट आने के बाद हो सकता है कि लापहरवाह कर्मचारियों के विरुद्ध कोई कारवाही भी की जा सकती है
इस कमेटी में नीरज शर्मा सुरक्षा अधिकारी,अजय शर्मा आपरेशन ,तपन राय सिग्लिंग हेड ,राम बिहारी पावर से जुड़े है जो अलग अलग तरीके से अपनी जाच कर ब्राहे है ऐसे हादसे दुबारा न हो इसके लिए भी सख्त कदम उठाए जाएगे इस मामले में रिपोट आने के बाद हो सकता है कि लापहरवाह कर्मचारियों के विरुद्ध कोई कारवाही भी की जा सकती है
इस मामले में तकनीकी खामी होने की बात सामने आ रही है
बिना इंजन के ब़ाडमेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस ट्रेन रविवार रात को ब़ाडमेर स्टेशन से रवाना होकर करीब 18 किमी तक दौड पडी थी । हालांकि इस दौरान कोई अनहोनी नहीं हुई। सूचना मिलते ही रेलवे प्रशासन में खलबली मच गई थी । रेलवे प्रशासन की सूझबूझ से बडा हादसा टल गया।
हुआ यूं कि जैसे ही टे्रन बिना इंजन के रवाना हुई थी। उसी दौरान टे्रन में यात्री भी सवार थे। अचानक रवाना हुई टे्रन को रोकने के बारे में रेलवे प्रशासन कुछ सुझाव देता इससे पहले ही सूचना मिली कि उसी ट्रेक पर सामने से कालका एक्सप्रेस आ रही है। प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए उत्तरलाई स्टेशन पर ही कालका एक्सप्रेस को रूकवा दिया।
अगर दो मिनट की देरी हो जाती तो बडा हादसा हो सकता था। 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चली टे्रन को रोकने के लिए ट्रेक पर पत्थर लगाए गए। टे्रन रूकने पर ही प्रशासन की जान में जान आई। करीब एक घंटे बाद इंजन भेजकर टे्रन को वापस लाया गया।
बिना इंजन के ब़ाडमेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस ट्रेन रविवार रात को ब़ाडमेर स्टेशन से रवाना होकर करीब 18 किमी तक दौड पडी थी । हालांकि इस दौरान कोई अनहोनी नहीं हुई। सूचना मिलते ही रेलवे प्रशासन में खलबली मच गई थी । रेलवे प्रशासन की सूझबूझ से बडा हादसा टल गया।
हुआ यूं कि जैसे ही टे्रन बिना इंजन के रवाना हुई थी। उसी दौरान टे्रन में यात्री भी सवार थे। अचानक रवाना हुई टे्रन को रोकने के बारे में रेलवे प्रशासन कुछ सुझाव देता इससे पहले ही सूचना मिली कि उसी ट्रेक पर सामने से कालका एक्सप्रेस आ रही है। प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए उत्तरलाई स्टेशन पर ही कालका एक्सप्रेस को रूकवा दिया।
अगर दो मिनट की देरी हो जाती तो बडा हादसा हो सकता था। 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चली टे्रन को रोकने के लिए ट्रेक पर पत्थर लगाए गए। टे्रन रूकने पर ही प्रशासन की जान में जान आई। करीब एक घंटे बाद इंजन भेजकर टे्रन को वापस लाया गया।
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